Budget Dictionary In Hindi: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई, दिन मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का बजट पेश कर चुकी हैं। बजट पेश करने में कई ऐसे शब्दों का इस्तेमाल होता है, जिसे आम लोगों का समझना थोड़ा मुश्किल होता है। फाइनेंस बिल, फिस्कल डेफिसिट और रेवेन्यू डेफिसिट आदि कई ऐसे शब्द हैं, जो आपको बजट को सुनने या पढ़ने में मिलेंगे। इन शब्दों को समझने के बाद ही आप बजट को समझ सकती हैं। इसी के साथ चलिए बिना देर किए हम आपको बजट से संबंधित कुछ ऐसे शब्दों के बारे में बताते हैं, जिसकी मदद से आप बजट के हिस्से को बेहतरीन तरीके समझ पाएंगे।
बजट में इस्तेमाल किया जाने वाले कठिन शब्दों का आसान मतलब
टैक्स (कर)- टैक्स दो तरह का होता है- डायरेक्ट और इनडायरेक्ट। बजट में इन टैक्स की चर्चा अवश्य होती है। डायरेक्ट टैक्स वह होता है जो सरकार आम आदमी से डायरेक्ट वसूलती है। उदाहरण के लिए इनकम टैक्स और कॉर्पोरेट टैक्स। जबकि इनडायरेक्ट टैक्स वो होता है, जो आम आदमी से इनडायरेक्टली लिया जाता है। जैसे- एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स और कस्टम ड्यूटी।
रेवेन्यू डेफिसिट (राजस्व घाटा)- बजट में आपने रेवेन्यू डेफिसिट शब्द जरूर पढ़ा या सुना होगा। इसका मतलब समझना आसान काफी आसान हो सकता है। सरकार द्वारा कमाई टारगेट सेट करने के बाद अगर उतनी कमाई नहीं हो पाती है, तो उसे रेवेन्यू डेफिसिट कहते हैं।
बजट एस्टिमेट- इसका हिंदी मतलब है- बजट अनुमान यानी आने वाले वित्त वर्ष में केंद्र सरकार जो कमाई और खर्च का अनुमान बताती है, उसे ही बजट एस्टिमेट कहा जाता है।
फिस्कल सरप्लस (राजकोषीय मुनाफा)- बजट में इस शेब्द का जिक्र भी आपने जरूर सुना होगा। इसका मतलब है कि सरकार को फायदे में चल रही है। अगर सरकार की खर्च के मुकाबले कमाई ज्यादा हो, तो इस कंडिशन को ही फिस्कल सरप्लस कहते हैं।
फिस्कल डेफिसिट (राजकोषीय घाटा)- अगर सरकार की कमाई में गिरावट और खर्च ज्यादा हो रहा है, तो इसका मतलब है कि सरकार घाटे में है। ऐसे में, सरकार द्वारा फिस्कल डेफिसिट टर्म का इस्तेमाल किया जाता है।
एप्रोप्रिएशन बिल (विनियोग विधेयक)- बजट में फाइनेंस बिल के साथ ही एप्रोप्रिएशन बिल भी पेश किया जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि इस बिल में केंद्र सरकार के खर्च की पूरी जानकरी लिखी होती है।
इनकम टैक्स (आयकर)- आपकी कमाई पर जो टैक्स लगता है, उसे ही इनकम टैक्स कहा जाता है। आसान भाषा में कहें तो जिस भी जगह से आपको आमदनी हो रही है और उस पर ब्याज मिल रहा है, तो आपको आमदनी के हिसाब से इनकम टैक्स भी देना होगा, लेकिन यह तभी होगा, जब आप इनकम टैक्स के दायरे में आएंगे।
रिवाइज्ड एस्टिमेट (संशोधित अनुमान)- पिछले फाइनेंशियल ईयर में सरकार द्वारा लगाए गए कमाई और खर्च के अनुमान में जब बदलाव करके पुनः पेश किया जाता है, तो उसे रिवाइज्ड एस्टिमेट कहा जाता है।
रेवेन्यू एक्सपेंडिचर (राजस्व व्यय)- देश को चलाने के लिए सरकार द्वारा जो खर्च किया जाता है, उसे रेवेन्यू एक्सपेंडिचर कहा जाता हैं। दरअसल, सरकार इसका इस्तेमाल सैलरी देने, कर्ज देने, सब्सिडी देने और राज्य सरकारों को ग्रांट देने में करती है।
फाइनेंस बिल (वित्त विधेयक)- फाइनेंस बिल में सरकार की कमाई का ब्यौरा होता है, जो केंद्रीय बजट पेश होने के बाद संसद में आमतौर पर सरकार द्वारा पेश किया जाता है।
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कैपिटल एक्सपेंडिचर (पूंजीगत व्यय)- ऐसे खर्च जिससे सरकार को कमाई होती है, उसे कैपिटल एक्सपेंडिचर कहते हैं। ये खर्च सरकार को ओर से निवेश में या स्कूल-कॉलेज, सड़क, अस्पताल आदि बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।
कस्टम ड्यूटी (सीमा शुल्क)- इसे हिंदी में सीमा शुल्क कहते हैं। कस्टम ड्यूटी का इस्तेमाल आपको बजट में आम है। यह वो शुल्क है, जो दूसरे देश से आ रहे सामान या दूसरे देश में भेजे जा रहे सामान पर लगाया जाता है। इसे इकोनॉमिक वर्ड में कस्टम ड्यूटी कहते हैं।
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कॉर्पोरेट टैक्स- कंपनियां या फर्म अपनी कमाई से सरकार को जो टैक्स देती हैं, उसे ही कॉर्पोरेट टैक्स कहा जाता है।
एक्साइज ड्यूटी (उत्पाद शुल्क)- देश के भितर तैयार होने वाले सामानों पर जो टैक्स लगता है, उसे एक्साइज ड्यूटी कहा जाता है। इन शब्दों को जानने के बाद आपको बजट समझना आसान हो सकता है।
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Image Credit- Herzindagi
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