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बच्चों पर पढ़ाई का बोझ डालने से पहले जान लें 3 बातें, वरना जीवन की रेस में रह जाएंगे पीछे

एजुकेशन का उद्देश्य बच्चों को रट्टू तोता बनाना नहीं है बल्कि उन्हें एक खुशहाल, समझदार और सक्षम इंसान बनाना है। ऐसे में उनपर पढ़ाई का बोझ डालना सही नहीं है। 
Editorial
Updated:- 2025-10-27, 17:51 IST

आजकल पढ़ाई इतनी मुश्किल हो गई है कि बच्चों पर अच्छे अंक लाने और क्लास में टॉप करने का दबाव बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में वे न केवल अपनी जिज्ञासा को खो रहे हैं बल्कि और सीखने की उत्सुकता और खोते जा रहे हैं। वहीं, माता-पिता भी भूल जाते हैं कि सिर्फ किताबी ज्ञान से सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती है बल्कि प्रैक्टीकल नॉलेज का होना बेहद जरूरी है। यदि आप भी अपने बच्चे को जबरदस्ती घंटों पढ़ने या हर प्रतियोगिता जीतने के लिए मजबूर करते हैं, तो आपको पढ़ाई का बोझ डालने से पहले इन 3 बातों को ज़रूर जान लेना चाहिए। ऐसे में इनके बारे में पता होना जरूरी है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि बच्चों पर पढ़ाई का बोझ डालने से क्या हो सकता है। पढ़ते हैं आगे...

पढ़ाई का बोझ डालने के नुकसान?

जब बच्चों पर उनकी क्षमता से ज्यादा और लगातार पढ़ने का बोझ डाला जाता है, तो इसका नकारत्मक प्रभाव उनके मानसिक स्वास्थ्य पर सीधे पड़ता है।

kids problem (2)

बता दें कि ज्यादा तनाव व डर की वजह से वे नई जानकारी को ठीक से समझ नहीं पाते। लंबे समय तक रहने वाला ये तनाव बच्चों में चिंता, निराशा और सीखने के प्रति अरुचि पैदा कर सकता है। इस दबाव के कारण बच्चा भविष्य में चुनौतियों का सामना करने की बजाय उनसे दूर भागने लगता है। इससे अलग वह खुद को कभी सफल नहीं मानता और उसमें आत्मविश्वास की कमी भी हो जाती है।

ज्यादातर माता-पिता बच्चे के अच्छे अंकों (IQ) पर जोर दे सकते हैं, लेकिन वे ये भूल जाते हैं कि जीवन की असली सफलता अंकों से नहीं, बल्कि भावनात्मक बुद्धिमत्ता (EQ) से तय होती है। EQ का मतलब होता है लोगों से जुड़ना, अपनी भावनाओं को समझना, टीमवर्क करना और मुश्किल स्थितियों को संभालना।

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ऐसे में जो बच्चे केवल किताबें पढ़ते हैं और समाज की गतिविधियों से दूर रहते हैं, वे भले ही टॉपर बन जाएं, लेकिन उनमें निर्णय लेने की क्षमता बेहद कम होती है उनमें लीडरशिप स्किल्स और संघर्ष से निपटने का लचीलापन नहीं आता। बता दें कि करियर में आगे बढ़ने के लिए जीवन कौशल (Life Skills) IQ से ज्यादा जरूरी आईक्यू है।

kids problem (3)

माता-पिता की आदत होती है कि वे अपने बच्चे की तुलना दूसरों से करते हैं। जैसे -वे पड़ोस या रिश्तेदार के बच्चों से अपने बच्चों की तुलना करेंगे। उदहारण - शर्मा जी का बेटा कितना पढ़ता है और एक तुम हो जो पढ़ते ही नहीं.. यह तुलना बच्चे को प्रेरित करने की बजाय उसे अपमानित महसूस कराती है।

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Images: Freepik/pinterest

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