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Small Cap vs Large Cap म्यूचुअल फंड्स में से क्या है ज्यादा सही? जानें निवेश करने के लिए बेहतर ऑप्शन

यदि आप निवेश के लिए म्यूचुअल फंड से जुड़ रहे हैं तो आपको पता होना चाहिए कि स्मॉल कैप म्युचुअल फंड और लार्ज कैप म्युचुअल फंड में क्या अंतर है। जानते हैं, इसके बारे में... 
Editorial
Updated:- 2025-09-30, 22:41 IST

आजकल रिटेल निवेशक म्यूचुअल फंड से जुड़ते जा रहे हैं। बता दें कि पहले के मुकाबले अब संख्या बढ़कर 24.89 करोड़ हो गई है। ऐसे में इसमें पैसा लगाना निवेशकों के लिए बेहद लाभदायक साबित हो रहा है। पर इसमें भी दो कैप यानी स्मॉल कैप म्युचुअल फंड और लार्ज कैप म्यूचुअल फंड मौजूद हैं। ऐसे में यह पता होना जरूरी है कि दोनों में से निवेश करने के लिए अच्छा ऑप्शन क्या है। हमारा लेख इसी विषय पर है। हम आपको बताएंगे कि बड़े और स्मॉल कैप म्यूचुअल फंड में क्या अंतर है। साथ ही मार्केट कैप के बारे में भी जानेंगे। 

मार्केट कैप किसे कहते हैं?

बता दें कि लार्ज, स्मॉल और मिड, इन तीनों के बाद जिस शब्द का इस्तेमाल होता है उसका नाम है कैप यानी मार्केट केपीटलाइजेशन। यह कंपनी के कुल शेयरों की ताजा मार्केट वैल्यू का जोड़ होता है।

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इसी के तहत कंपनियों को लार्ज, स्मॉल और मिड तीनो सेगमेंट में नापती हैं। ऐस में सेबी यानी सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया लिस्टेड कंपनियों को कैप के आधार पर क्वालीफाई करके 6 महीने में फिर से वर्गीकरण करती है।

स्मॉल कैप फंड किसे कहते हैं?

जिन कंपनियों का मार्केट कैप 5000 करोड़ से कम होता है। वह छोटी कंपनियों में आती हैं। ऐसे में जो लोग इनमें निवेश करते हैं उन्हें कम से कम 65% संपत्ति स्मॉल कैप कंपनियों में लगानी होती है। हालांकि भविष्य में इनके बढ़ने की उम्मीद ज्यादा होती है। स्मॉल कैप कंपनियों के शेयरों में लिक्विडिटी कम होती है, जिसका अर्थ है कि इन शेयरों को खरीदने या बेचने में मुश्किल हो सकती है। लेकिन इनमें रिस्क भी ज्यादा हो सकता है क्योंकि छोटी कंपनियां होने के कारण इनमें अस्थिरता ज्यादा होती है और मार्केट में उतार-चढ़ाव का अधिक प्रभाव इन पर पड़ता है।

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लार्ज कैप

देश की बड़ी कंपनियों में निवेश करने वाले लार्ज कैप में निवेश करते हैं। इनमें मार्केट कैप के लिहाज से टॉप 100 कंपनियां शामिल हैं। इनकी मार्केट वैल्यू 20000 करोड रुपए से ज्यादा हो सकती है।

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यह निरंतर रिटर्न देते हैं और स्थिर होते हैं। ऐसे में जोखिम का खतरा बेहद कम होता है। वही ये 5 सालों में औसतन 7 प्रतिशत का रिटर्न देते हैं। लार्ज कैप कंपनियों के शेयरों में लिक्विडिटी अधिक होती है, जिसका अर्थ है कि इन शेयरों को खरीदने या बेचने में आसानी होती है।

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