नवरात्रि व्रत हो या कोई अन्य, इस मौके पर अधिकतर लोग सिंघाड़े और कुट्टू के आटे का इस्तेमाल करते हैं। ये दोनों देखने में कुछ हद तक एक जैसे लगते हैं अब ऐसे में कई बार लोगों को कुट्टू और सिंघाड़े का आटा एक ही लगता है, लेकिन आपको बता दें कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। ये दोनों ही आटे ग्लूटेन-फ्री होते हैं और पोषक तत्वों से भरपूर माने जाते हैं, जिस वजह से इन्हें अक्सर एक ही समझा जाता है। हालांकि आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि कुट्टू और सिंघाड़े का आटा वास्तव में काफी अलग होते हैं। उनके स्रोत, पोषक तत्वों की मात्रा, तासीर और स्वाद में महत्वपूर्ण अंतर हैं। अगर आप भी मेरी तरह इन दोनों को एक समझते हैं, तो यह लेख आपकी काफी मदद कर सकता है। यहां हम इन दोनों के बीच के अंतर के बारे में बताने जा रहे हैं।
कुट्टू का आटा वास्तव में किसी अनाज से नहीं बल्कि बकव्हीट नामक एक बीज से बनाया जाता है। इसका स्वाद हल्का अखरोट जैसा और थोड़ा अजीब होता है। साथ ही इसका रंग हल्का काला होता है। वहीं सिंघाड़े के आटे को पानी में उबालने के बाद सुखाकर उसका आटा बनाते हैं। आटा पानी में उगने वाले फल सिंघाड़ा होता है। यह हल्का महीन और इसका स्वाद थोड़ा मीठा और सौम्य होता है।
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पोषण की दृष्टि से, कुट्टू का आटा प्रोटीन और फाइबर का एक अच्छा स्रोत है, जो इसे उपवास के दौरान लंबे समय तक पेट भरा रखने और ऊर्जा प्रदान करने में सहायक बनाता है। इसमें मैग्नीशियम और आयरन जैसे मिनरल्स भी अधिक होते हैं। इसकी तासीर गर्म मानी जाती है।
वहीं सिंघाड़े का आटा कम कैलोरी वाला और आसानी से पचने वाला होता है। यह पोटेशियम से भरपूर होता है, जो शरीर में पानी के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। कुट्टू के मुकाबले इसमें प्रोटीन और फाइबर कम होता है, लेकिन यह कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट का अच्छा स्रोत है। सिंघाड़े के आटे की तासीर ठंडी होती है, जो इसे शरीर को शीतलता प्रदान करने वाला बनाती है।
कुट्टू और सिंघाड़े दोनों ही आटे ग्लूटेन-मुक्त होते हैं । वे उपवास के साथ-साथ ग्लूटेन वाले लोगों के लिए भी उपयुक्त होते हैं। कुट्टू का आटा अक्सर पूड़ी, पराठा और चीला बनाने के लिए उपयोग होता है। बता दें कि कुट्टू दिल संबंधी समस्यों और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोंल करने में लाभकारी है।
वहीं सिंघाड़े के आटे का उपयोग हलवा, पकौड़ी और पूड़ी बनाने में भी किया जाता है, क्योंकि यह अधिक हल्का होता है। सिंघाड़े का आटा पाचन को दुरुस्त रखने और शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है।
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