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gauri sawant about her journey and struggles

गौरी सावंत ने स्टैंड-अप कॉमेडी के जरिए बताई अपनी कहानी, लोगों की गालियों से लेकर तालियों तक की खुलकर बात

वेब सीरीज 'ताली' ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट गौरी सावंत की जिंदगी पर आधारित है। गौरी, पहली बार स्टैंड-अप कॉमेडी के जरिए अपनी जिंदगी की कहानी कहती हुई नजर आ रही हैं। <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2023-08-22, 12:04 IST

गौरी सावंत की जिंदगी पर बनी वेव सीरीज ताली काफी सुर्खियां बटोरी रही है। इस वेब सीरीज में गौरी का किरदार सुष्मिता सेन ने निभाया है। यह कहानी असल में फेमस ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट गौरी सावंत की जिंदगी पर आधारित है। जहां वेब सीरीज में सुष्मिता सेन ने उनका किरदार बखूबी निभाया है। वहीं, असल जिंदगी की बात करें तो गौरी सावंत ने अपनी जिंदगी में आई मुश्किलों और दर्द के बारे में हमेशा खुलकर बात की है। एक बार फिर से वह लोगों की गालियों से लेकर तालियों तक, अपनी जिंदगी के हर पहलू के बारे में बात करती हुई नजर आ रही हैं, लेकिन इस बार तरीका जरा अनोखा है। आइए जानते हैं।

गौरी सावंत ने स्टैंड-अप कॉमेडी के जरिए बताई अपनी कहानी

 

 

 

 

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ट्रांसजेंडर और एक्टिविस्ट गौरी सावंत इस बार स्टैंड-अप कॉमेडी के जरिए लोगों के सामने अपनी बात रखती नजर आ रही हैं। इस एक्ट में गौरी बता रही हैं कि किस तरह से उन्हें अपने मूल अधिकारों के लिए भी संघर्ष करना पड़ा। यह पहली बार नहीं है जब वह अपने सफर के बारे में बात कर रही हैं। इससे पहले भी कई प्लेटफॉर्म पर वह अपनी बात रख चुकी हैं। हालांकि, स्टैंड-अप कॉमेडी के जरिए उन्होंने अपनी बात पहले नहीं कही है। उनके इस एक्ट की वीडियो को सुष्मिता सेन ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर किया है। अपनी पहचान बदलने को लेकर, गौरी को किस तरह लोगों की बातें सुननी पड़ी, इस बारे में उन्होंने इस वीडियो में कटाक्ष किया है।

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कौन हैं गौरी सावंत?

gauri sawant journey

गौरी सावंत का जन्म पुणे में एक मराठी परिवार में हुआ था। बचपन में उनका नाम गणेश नंदन था। लेकिन लड़कों की तरह रहना, कपड़े पहनना या बात करना, उन्हें पसंद नहीं था। वह बचपन से अपनी पहचान ढूंढ रही थीं। इस बीच उनकी मां का देहांत हो गया। वह धीरे-धीरे अपनी पहचान समझने लगी थीं। उन्हें लड़कियों की तरह बिंदी लगाना, साड़ी पहनना और साज-श्रंगार करना पसंद था। गौरी बचपन में अक्सर कहा करती थीं कि उन्हें बड़े होकर मां बनना है और उन्होंने इस बात को सच भी कर दिखाया। उनका परिवार उनकी सेक्शुएलिटी को नहीं अपना पा रहा था। इसलिए उन्हें घर छोड़ना पड़ा। सर्जरी के बार वह गणेश से गौरी बन गईं। ट्रांसजेंडर के अधिकारों के बारे में वह आज खुलकर संघर्ष करती हैं। पहले गौरी NGO हमसफर ट्रस्ट के साथ जुड़ी। इसके बाद उन्होंने अपना खुद का NGO खोला जिसका नाम ‘सखी चार चौगी’है। यह एनजीओ ट्रांसडेंडर समुदाय के लोगों की नौकरी ढूंढ़ने में मदद करता है।

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