Holika Dahan 2025 Parikrama: क्या होलिका दहन के दिन लगाई जाती है अग्नि की उल्टी परिक्रमा?

होलिका दहन, जिसे छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है, होली के त्योहार से एक दिन पहले मनाया जाता है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। अब ऐसे में इस दिन होलिका अग्नि की कितनी बार उल्टी परिक्रमा लगाने से लाभ हो सकता है। इसके बारे में इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
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हिंदू धर्म में होलिका दहन का पर्व अच्छाई और खुशहाली का त्योहार है। होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि सत्य की हमेशा जीत होती है। होलिका दहन के दिन लोग लकड़ियों और उपलों का ढेर जलाते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं कि वे उनके जीवन से सभी बुराइयों को दूर करें। वहीं होलिका दहन के अगले दिन होली का त्योहार मनाया जाता है, जो रंगों का त्योहार है। अब ऐसे में आप सभी लोग जानते हैं कि होलिका अग्नि की परिक्रमा लगाने बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि होलिका अग्नि की उल्टी परिक्रमा लगाने का भी महत्व है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि होलिका अग्नि की उल्टी परिक्रमा कितनी बार लगानी चाहिए?

होलिका अग्नि की उल्टी परिक्रमा कितनी बार लगानी चाहिए?

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होलिका अग्नि की परिक्रमा विधिवत रूप से आप 11, 21 बार परिक्रमा लगाएं और फिर उसके बाद होलिका अग्नि की परिक्रमा 3 बार उल्टी लगानी चाहिए। जब उल्टी परिक्रमा हो जाए तो मुंह पर उलटा हाथ रखकर उंची आवाज में चिल्लाएं। साथ ही गुड़ और आटे से बनाए गए बिच्छू डालें। उसके बाद होलिका मंत्र पढ़ें। ऐसा करने से व्यक्ति को अग्नि के भय से सुरक्षा मिलती है और जातक के जीवन में किसी तरह की कोई समस्याएं नहीं आती है। परिक्रमा के बाद, लोग होलिका की राख को अपने माथे लगाने से शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है।

होलिका दहन के दौरान पढ़ें ये अग्नि मंत्र

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होलिका दहन के दिन अग्नि की परिक्रमा करने के दौरान इस मंत्र का विशेष रूप से जाप करें। होलिका दहन के समय मंत्रों का जाप करने से वातावरण में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। होलिका दहन के समय मंत्रों का जाप करने से जीवन में आने वाले कष्टों से मुक्ति मिलती है।

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मंत्रों के जाप से घर में सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। साथ ही व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी हो सकती है। इसके अलावा अगर आप किसी तरह की कोई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है तो इससे भी छुटकारा मिल सकता है।

  • ऊं होलिकायै नम:
  • ऊं प्रह्लादाय नम:
  • ऊं नृसिंहाय नम:
  • अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः। अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्।

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Image Credit- HerZindagi

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