दशहरा या विजयादशमी का त्यौहार मुख्य रूप से बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह वह दिन है जब भगवान राम ने अहंकार और अधर्म के प्रतीक रावण का वध किया था और साथ ही मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का संहार किया था। यह पर्व हमें संदेश देता है कि चाहे बुराई कितनी भी बड़ी क्यों न हो, सत्य और धर्म की हमेशा विजय होती है। इस दिन देशभर में रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं जो लोगों को अपने अंदर की बुराइयों को खत्म करने की प्रेरणा देते हैं। पंचांग के अनुसार, हर साल दशहरा अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर मनाया जाता है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि आखिर इस साल कब पड़ रहा है दशहरा, क्या है इस दिन पूजा से लेकर रावण दहन का शुभ मुहूर्त और महत्व।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि का आरंभ 1 अक्टूबर, बुधवार के दिन, शाम 7 बजकर 01 मिनट पर होगा। वहीं, इसका समापन अगले दिन 2 अक्टूबर, गुरुवार के दिन, शाम 7 बजकर 10 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, दशहरा 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
दशहरा के दिन श्री राम की प्रातः पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा जो कि अभिजीत मुहूर्त है। इसके अलावा, विजय मुहूर्त और अपराहन समय में भी श्री राम एवं माता सीता की पूजा की जा सकती है।
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दशहरा यानी कि 2 अक्टूबर के दिन शस्त्र पूजा के लिए दो मुख्य मुहूर्त बन रहे हैं। पहला मुहूर्त है अपराह्न पूजा का समय है जो इस दिन दोपहर 1 बजकर 21 मिनट से दोपहर 3 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। इस समय में दशहरे का दान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
वहीं, दूसरा मुहूर्त है विजय मुहूर्त जो 2 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 09 मिनट से दोपहर 2 बजकर 56 मिनट तक रहेगा। यह समय शस्त्र पूजा और किसी भी नए काम को शुरू करने के लिए बहुत शुभ है। इस मुहूर्त में किया गया है कार्य अक्षय फल प्रदान करता है।
दशहरे के दिन रावण दहन हमेशा प्रदोष काल में किया जाता है क्योंकि रावन परम शिव भक्त था और शिव जी का प्रिय समय प्रदोष काल है। ऐसे में 2 अक्टूबर के दिन रावण दहन सूर्यास्त के बाद शाम 6 बजकर 05 मिनट पर घर के आंगन और मैदानों में किया जाएगा।
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दशहरे का दिन स्वयं में एक 'अबूझ मुहूर्त' होता है। यानी यह पूरे साल के सबसे शुभ दिनों में से एक है जिस पर बिना कोई मुहूर्त देखे हर तरह का शुभ काम शुरू किया जा सकता है। इस दिन भगवान राम और देवी दुर्गा की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय मिलती है।
दशहरे की पूजा से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है। इस दिन शमी वृक्ष की पूजा करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है और घर में धन-समृद्धि का आगमन होता है जिससे आर्थिक तंगी दूर होती है और करियर में उन्नति मिलती है।
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