होली के सातवें और आठवें दिन बाद हर वर्ष हिंदू धर्म को मानने वाले परिवार में शीतलाअष्टमी मनाई जाती है। यह पर्व उत्तर भारत में बहुत ही महत्वपूर्ण होता है और इसे घर के सभी सदस्य मिल कर बनाते हैं। इस पर्व को लसौड़ा, बसौड़ा और बसियौरा के नाम से भी जाना जाता है और हर वर्ष चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी-अष्टमी के दिन इसे मनाया जाता है।
भोपाल के पंडित एवं ज्योतिषाचार्य विनोद सोनी पोद्दार कहते हैं, ' इस पर्व के नाम से ही आप समझ सकते हैं कि यह गर्मी के मौसम में शीतलता पाने के लिए मनाया जाता है और इस दिन शीतला माता की पूजा और व्रत रखा जाता है। इतना ही नहीं, इस पर्व पर बासी खाने का प्रसाद चढ़ता है और यही खाना सभी को प्रसाद स्वरूप खाना होता है।'
इस पर्व का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में पंडित जी बताते हैं-
शीतलाष्टमी कब है और शुभ मुहूर्त क्या ?
इस वर्ष शीतलाष्टमी 5 अप्रैल 2021 को है। इसके एक दिन पहले 4 अप्रैल को सप्तमी है और इस दिन रात के वक्त रसोई में जो भी खाना बनता है उसे दूसरे दिन प्रसाद के तौर पर देवी को चढ़ाया जाता है और ग्रहण किया जाता है। 5 अप्रैल को आप सुबह 06 बजकर 35 मिनट से शाम 06 बजकर 36 मिनट तक शीतला माता की पूजा कर सकते हैं और उनका व्रत रख सकते हैं।
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कैसे करें शीतला माता का शीतलाष्टमी व्रत और पूजन
- शीतलाष्टमी का व्रत रखने के लिए आपको सुबह उठकर स्नान करना होता है और साफ कपड़े पहनने होते हैं।
- इसके बाद आप शीतला माता के मंदिर या प्रतिमा के आगे खड़े होकर व्रत रखने का संकल्प करें और साथ ही इस मंत्र का उच्चारण करें। 'मम ग्रहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्ये'
- आपको बता दें कि शीतला माता के एक हाथ में झाड़ू होती है। इसका अर्थ है कि आपको अपने घर, शरीर और मन की सफाई अवश्य करनी चाहिए।
- आप शीतला माता के व्रत को फलाहार रख सकती हैं और दिन में फल आदि का सेवन कर सकती है।
- रात के समय शीतला माता की पूजा करें और अपना व्रत खोलें। इस दिन आप केवल बासी भोजन से ही अपना व्रत खोल सकती हैं।

क्या है शीतलाष्टमी का महत्व-
पंडित जी कहते हैं, 'इस पर्व के साथ ही बसंत ऋतु समाप्त हो जाती हैं गर्मियों का मौसम शुरू हो जाता है। गर्मियों के मौसम में तन और मन शीतल बना रहे और किसी भी प्रकार का संक्रमण न फैले, इसलिए शीतला माता की पूजा की जाती है।' मान्यताओं के अनुसार चेचक जिसे छोटी माता और बड़ी माता भी कहा जाता है। उससे बचने के लिए भी इस शीतला माता की पूजा करना अनिवार्य है। पंडित जी कहते है, 'ग्रीष्म ऋतु में ही चेचक की बीमारी फैलती है। इसके प्रकोप से बचने के लिए भी लोग शीतला माता की पूजा करते हैं। '
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