herzindagi
Sama Chakeva Origin Story

छठ के तुरंत बाद क्यों मनाते हैं सामा-चकेवा? जानिए भाई-बहन के इस अनोखे पर्व का इतिहास

Sama Chakeva Origin Story: सामा-चकेवा पर्व बिहार में क्यों मनाते हैं और इसके पीछे क्या इतिहास छिपा है। जानते हैं इस लेख के माध्यम से...
Editorial
Updated:- 2025-10-29, 16:32 IST

सामा-चकेवा पर्व बिहार में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। ये एक अत्यंत महत्वपूर्ण और मनमोहक लोक पर्व है, जिसे छठ पूजा के तुरंत बाद मनाते हैं। बता दें, ये त्योहार कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि से शुरू होकर पूर्णिमा तक मनाया जाता है। यह पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और प्रेम का प्रतीक है। ऐसे में इस महत्वपूर्ण त्योहार को मनाने की परंपरा कब से शुरू हुईं और इसके पीछे क्या इतिहास है, आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि सामा-चकेवा को मनाने के पीछे क्या कारण है। पढ़ते हैं आगे...

सामा चकेवा पर्व किन जगहों पर मनाया जाता है?

सामा चकेवा मुख्य रूप से बिहार के साथ-साथ मिथिलांचल और नेपाल के कुछ हिस्सों में बड़े जोरों-शोरों से मनाया जाता है।

sama chakeva

साथ ही झारखंड, बंगाल, उड़ीसा में भी इसे मनाने की परंपरा चली आ रही है।  

मिट्टी की मूर्तियों का महत्व

इस पर्व पर मिट्टी की मूर्तियों का विशेष महत्व है। भाईयों के लिए बहनें सामा-चकेवा, चुगला और अन्य पात्रों की छोटी-छोटी मूर्तियां स्वयं बनाती हैं और उन्हें रंगती व सजाती हैं।

पारंपरिक पोशाक

जो बहनें इस पर्व का हिस्सा बनती हैं वे मुख्य तौर पारंपरिक मैथिली पोशाक पहनती हैं। बता दें कि ये 'साड़ी' के रूप में होती हैं, जिन पर अक्सर मधुबनी कला की पेंटिंग या विशेष बॉर्डर छपा होता है। 

पारंपरिक लोकगीत गाए जाते हैं?

वहीं, बहनें रोज शाम को टोकरी में इन मूर्तियों को सजाकर, पारंपरिक लोकगीत गाते हुए उन्हें इकट्ठा करती हैं। गीतों में मुख्य रूप से चुगला को खरी-खोटी सुनाई जाती है और भाई के प्रेम और उसकी रक्षा की कामना की जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस त्योहार में, चुगला एक काल्पनिक पात्र होता है, जो श्यामा (सामा) और चारुदत्त (चकेवा) के रिश्ते के बारे में गलत आरोप लगाता है। 

इसे भी पढ़ें - Ekadashi in November 2025: देवउठनी और उत्पन्ना, नवंबर में कब-कब पड़ेंगी एकादशी तिथियां, शुभ मुहूर्त और महत्व समेत जानें अन्य बातें

छठ के तुरंत बाद इसे मनाने का कारण

सामा-चकेवा छठ के तुरंत बाद मनाया जाता है क्योंकि यह दोनों पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष में आते हैं और दोनों ही प्रकृति तथा पारिवारिक पवित्रता पर आधारित हैं।

sama chakeva story

छठ पूजा जहां सूर्य देव और छठी मैया की उपासनाकर परिवार की समृद्धि के लिए की जाती है, वहीं सामा-चकेवा उस समृद्धि की रक्षा और भाई-बहन के प्रेम को मजबूत करने का संदेश देता है। यह परंपरा लोक आस्था और अटूट पारिवारिक बंधनों को दर्शाती है। सामा चकेवा से जुड़ी एक कथा भी है, जिसे पढ़ने का महत्व है। 

सात दिनों तक मनाते हैं ये त्योहार

7 दिनों तक बहनें भाई के अच्छे जीवन के लिए मंगल कामना करती हैं। वहीं, आखिरी दिन कार्तिक पूर्णिमा को सामा-चकेवा को टोकरी में सजाकर नदी तालाबों के घाटों पर ले जाया जाता है और पारंपरिक गीतों के साथ सामा चकेवा का विसर्जन किया जाता है।

इसे भी पढ़ें -November Festival List 2025: तुलसी विवाह, देव दिवाली से लेकर विवाह पंचमी तक, नवंबर 2025 में आएंगे 1 दर्जन से भी ज्‍यादा बड़े छोटे त्‍योहार...यहां देखें लिस्‍ट और जानें सही तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त

आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

Images: Freepik/pinterest

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।