पोंगल, दक्षिण भारत के लोगों के लिए नया साल का जश्न है। यह त्योहार न केवल तमिलनाडु में बल्कि केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। पोंगल का मतलब है 'उबलना', और यह इसीलिए है क्योंकि इस त्योहार के दौरान चावल, दूध और गुड़ से बना एक विशेष पकवान उबाला जाता है। पोंगल, नई फसल के आगमन का प्रतीक है। किसान इस दिन अपनी नई फसल का पहला भाग भगवान सूर्य को अर्पित करते हैं। ऐसी मान्यता है कि सूर्य देव के उत्तरायण होने से मौसम बदलता है और खेती के लिए अनुकूल समय आता है। अब ऐसे में इस साल पोंगल का त्योहार कब से शुरू हो रहा है और इसका त्योहार का महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
कब से शुरू हो रहा है पोंगल का त्योहार?
भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में एक जीवंत और रंगीन त्योहार मनाया जाता है जिसे पोंगल कहते हैं। यह चार दिनों तक चलने वाला यह त्योहार, तमिल संस्कृति और कृषि परंपराओं का एक खास प्रतीक है। इस साल, पोंगल का उत्सव 14 जनवरी से शुरू होकर 17 जनवरी को संपन्न होगा। आपको बता दें, पोंगल का त्योहार चार दिनों तक मनाया जाता है, जिनमें से हर दिन का अपना अलग महत्व है। इस दौरान, लोग एक-दूसरे को मिठाई खिलाते हैं, पारंपरिक नृत्य करते हैं, और भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए पूजा करते हैं।
चार दिन मनाया जाने वाला पोंगल के त्योहार का महत्व
पोंगल का त्योहार 4 दिनों तक मनाया जाता है। वहीं पोंगल के हर दिन का त्योहार का विशेष महत्व है।
- भोगी पोंगल - इस साल पोंगल का पहला त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाएगा। तमिलनाडु में इस त्योहार पर लोग पुराने सामानों को त्यागकर नए जीवन की शुरुआत करते हैं। वे मानते हैं कि पुराने सामानों को जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और नए साल की शुरुआत शुभ होती है।
- सूर्य पोंगल - सूर्य पोंगल दूसरा दिन मनाया जाता है और यह त्योहार 15 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन सूर्यदेवता की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है। इस दिन नई फसल से तौयार किए गए पकवान चढ़ाएं जाते हैं। इसे पोंगल दिवस भी कहा जाता है।
- मात्तु पोंगल - मात्तु पोंगल तीसरे दिन मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 16 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन गाय और बैलों की भी पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन उन्हें अच्छे से नहलाया जाता है और उनके सींगों को रंग कर सजाते हैं। इसके बाद इनकी पूजा विधिवत रूप से की जाती है।
- कन्या पोंगल - कन्या पोंगल का त्योहार चौथे दिन मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 17 जनवरी को मनाया जाएगा। इसे तिरुवल्लूर के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार विशेष रूप से रिश्तों को मजबूत करने के लिए मनाया जाता है।
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पोंगल पूजा का शुभ समय क्या है?
सूर्य पोंगल के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 8:00 बजे से 10:30 बजे तक रहेगा। इस दिन सूर्यदेव की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है।
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पोंगल पूजा का महत्व क्या है?
पोंगल का त्योहार दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु में बड़ी धूमधाम से मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। यह एक फसल का त्योहार है, जो नई फसल की खुशी में मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य देव, इंद्र देव और मवेशियों की पूजा के साथ जुड़ा हुआ है। पोंगल का सबसे प्रमुख कारण है नई फसल की खुशी। किसान अपनी मेहनत का फल देखकर प्रकृति और देवताओं का धन्यवाद करते हैं। पोंगल में सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है। सूर्य को जीवनदाता माना जाता है और उनकी कृपा से ही फसल अच्छी होती है। द्र देव को वर्षा का देवता माना जाता है। अच्छी बारिश के लिए इंद्र देव की पूजा की जाती है ताकि फसल अच्छी हो। पोंगल के साथ ही तमिल नववर्ष की शुरुआत होती है। इस दिन नए साल का स्वागत किया जाता है और नए साल में खुशहाली की कामना की जाती है।
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Image Credit- HerZindagi
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