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PG में टेनेंट और मालिक के क्या हैं अधिकार? जानें रेंट एग्रीमेंट और सिक्योरिटी डिपॉजिट के न‍ियम-कानून

भारत में किराएदार और मकान मालिक, दोनों के पास कई कानूनी अधिकार होते हैं। बस इनके बारे में आपको पूरी जानकारी होना जरूरी है। किराएदार को लिखित रेंट एग्रीमेंट लेने का पूरा अधिकार है। अगर मकान मालिक एग्रीमेंट बनाने से बच रहा है, तो किराएदार शिकायत कर सकता है। एग्रीमेंट में किराया, सिक्योरिटी डिपॉजिट, नोटिस पीरियड, मेंटेनेंस जैसे सभी नियम क्‍ल‍ियर होने चाहिए।
Editorial
Updated:- 2025-11-24, 10:49 IST

नौकरी या पढ़ाई के लिए दूसरे शहर जाना अब नॉर्मल बात हो गई है। ऐसे में लोग पीजी, फ्लैट या कमरा किराए पर लेते ही हैं, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि घर खाली करने के बाद मकान मालिक सिक्योरिटी डिपॉजिट लौटा नहीं रहे, बिना नोटिस घर खाली करने को कह देते हैं या अचानक किराया बढ़ा देते हैं। हाल ही में नोएडा के 62 से एक वीड‍ियो सामने आया था क‍ि पीजी में कमरा खाली करने पर स‍िक्‍योर‍िटी ड‍िपॉज‍िट मांगने पर मकान मालि‍क ने लड़की को तमाचा जड़ द‍िया था। इसकी खूब आलोचना हुई थी।

इन कंडीशन में टेनेंट को समझ नहीं आता है क‍ि उसे क्‍या करना चाह‍िए। लड़क‍ियों के ल‍िए तो ये स‍िचुएशन और भी च‍िंताजनक हो जाती है, लेक‍िन आपको बता दें क‍ि भारत में किराएदार और मकान मालिक, दोनों के पास कई कानूनी अधिकार होते हैं। इसी के बारे में जानने के ल‍िए हमने अभय द्विवेदी, अधिवक्ता, उच्च न्यायालय, लखनऊ खंडपीठ से बात की। उन्‍होंने इसके बारे में व‍िस्‍तार से जानकारी दी है। आइए जानते हैं-

rent agreement and security deposit rule (1)

पीजी या किराए पर रहने वाले लोगों के अधिकार

  • किराएदार को लिखित रेंट एग्रीमेंट लेने का पूरा अधिकार है। अगर मकान मालिक एग्रीमेंट बनाने से बच रहा है, तो किराएदार शिकायत कर सकता है। रेंट एग्रीमेंट में किराया, सिक्योरिटी डिपॉजिट, नोटिस पीरियड, मेंटेनेंस जैसे सभी नियम क्‍ल‍ियर होने चाहिए।
  • आपकाे ये मालूम होना चाह‍िए क‍ि मकान मालिक अचानक PG या फ्लैट खाली करने को नहीं कह सकता है। ज्यादातर एग्रीमेंट में एक या दो महीने का नोटिस पीरियड लिखा होता है। रेंट कंट्रोल एक्ट और मॉडल टेनेंसी एक्ट में साफ है कि सही वजह, नोटिस और प्रक्रिया के बिना क‍िसी को भी कमरा खाली करने के ल‍िए नहीं कहा जा सकता है।
  • मकान मालिक आपकी परम‍िशन के बिना आपके कमरे या फ्लैट में नहीं घुस सकता है। जरूरत पड़ने पर भी पहले जानकारी देना जरूरी है।
  • अगर घर में कोई नुकसान नहीं हुआ हो, तो मकान मालिक सिक्योरिटी डिपॉजिट रोक नहीं सकता है। काटने की जरूरत हो तो उसका कारण बताना भी जरूरी होता है। अगर आपके पैसे रोक ल‍िए जाएं तो किराएदार उपभोक्ता फोरम या रेंट अथॉरिटी में शिकायत कर सकता है।
  • अगर घर में जरूरी मरम्मत नहीं हो रही, जैसे पानी का लीकेज, वॉशरूम की दिक्कत, तो किराएदार खुद खर्च कर सकता है और बाद में एग्रीमेंट के अनुसार किराए या सिक्योरिटी से इसे मैनेज करवा सकता है।

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रेंट एग्रीमेंट क्यों जरूरी है?

भारत में आमतौर पर रेंट एग्रीमेंट 11 महीने का बनाया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि उन्हें रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत न पड़े। रजिस्ट्रेशन के दौरान स्टांप ड्यूटी सालाना किराए के आधार पर 2% से 6% तक होना चाह‍िए। रजिस्ट्रेशन फीस लगभग 1100 रुपए होती है। एग्रीमेंट नोटरी से कराया जाए तो भी वो वैल‍िड माना जाता है। हालांक‍ि, नए नियम के मुताब‍िक, सिक्योरिटी डिपॉजिट और नोटिस पर राहत दी गई है।

ये हैं नए न‍ियम

न्‍यू रेंट एग्रीमेंट 2025 और मॉडल टेनेंसी एक्ट के आधार पर कई सुधार किए गए हैं। जैसे- रेज‍िडेंश‍ियल घरों के लिए आपको दो महीने का क‍िराया सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में देना होगा। वहीं कमर्शियल प्रॉपर्टी वालों को 6 महीने का। मकान मालिक मनमर्जी से किराया नहीं बढ़ा सकता है। पहले से नोटिस देना जरूरी है, और ये एग्रीमेंट में लिखी शर्तों के अनुसार ही होगा। इसके अलावा बिना नोटिस, बिना कारण और बिना प्रक्रिया के किराएदार को नहीं निकाला जा सकता।

rent agreement and security deposit rule (3)

मकान मालिक के अधिकार भी जान लें

  • किराया समय पर लेने का हक
  • किराया न मिलने पर कानूनी कार्रवाई करने का ह‍क
  • एक से दो महीने के नोटिस पर घर खाली करवाने का अधिकार
  • एग्रीमेंट के मुताबिक हर साल किराया बढ़ा सकते हैं
  • पुलिस वेरिफिकेशन कराना उनकी जिम्मेदारी है

PG या फ्लैट लेते समय किराएदार क्या ध्यान रखें?

  • घर की कंडीशन, वेंटिलेशन, पानी और बाथरूम की कंडीशन चेक करें
  • एग्रीमेंट पूरी तरह पढ़ें। जैसे- किराया, डिपॉजिट, मेंटेनेंस सब साफ लिखा हो
  • शिफ्ट होने से पहले कमरे की फोटो/वीडियो बना लें
  • डिजिटल पेमेंट या रसीद लेकर ही पैसा दें
  • अपने पास एग्रीमेंट की कॉपी रखें

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सिक्योरिटी डिपॉजिट न मिले तो क्या करें?

किराएदारों को म‍िलते हैं ये अध‍िकार-

  • रेंट अथॉरिटी या रेंट कोर्ट में शिकायत
  • वकील के जरिए लीगल नोटिस भेजना
  • उपभोक्ता फोरम में मामला दर्ज करना
  • Indian Contract Act और Consumer Protection Act के तहत कार्रवाई करना
  • सभी सबूत, एग्रीमेंट, ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड, चैट, फोटो, सब संभालकर रखें

किराए पर रहना आज की जरूरत है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि किराएदारों के पास कोई कानूनी अध‍िकार नहीं है। रेंट एग्रीमेंट, नोटिस, सिक्योरिटी डिपॉजिट और प्राइवेसी, इन सभी पर आपका पूरा हक होता है।

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Image Credit- Freepik/AI Generated

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