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क्या शिक्षक बच्चों को डांट या मार सकते हैं? जानें स्कूलों में अनुशासन और दंड को लेकर भारत में क्या हैं दिशा-निर्देश

बीते दिन एक स्कूल में बच्चों के साथ अमानवीय बर्ताव किया गया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें दूसरी कक्षा के छात्र के होमवर्क न करने पर उसे खिड़की से उल्टा लटकाकर पीटा गया। बता दें कि भारत में बच्चों को डांटना या मारना सख्त मना है और शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत यह एक गंभीर उल्लंघन माना जाता है। चलिए जानते हैं स्कूलों में अनुशासन और दंड को लेकर भारत में क्या दिशा-निर्देश हैं
Editorial
Updated:- 2025-09-30, 15:44 IST

Corporal Punishment in Indian schools:घर के बाद स्कूल बच्चों के लिए दूसरा घर होता है। विद्या के मंदिर में शिक्षकों द्वारा बच्चों को अच्छे-बुरे की समझ के साथ उन्हें बेहतर भविष्य के लिए ज्ञान दिया जाता है। अब ऐसी जगह पर अगर किसी विद्यार्थी के साथ कुछ बुरा या गलत किया जाता है, तो यह बात बहुत सारे सवाल खड़े करती हैं। बीते दिन इंटरनेट पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें होमवर्क पूरा न करने पर बच्चे को उल्टा लटका दिया गया। अब ऐसे में मन में सवाल आता है कि क्या स्कूल में बच्चों के अनुशासन और दंड को लेकर किसी प्रकार का कोई दिशा-निर्देश नहीं बनाया गया है। इस तरह के केस को देखने के बाद अमूमन लोगों के मन  में डर बना रहता है कि कहीं ऐसी घटना हमारे बच्चे के साथ न हो।

अगर आप भी अपने बच्चे का दाखिला या फिर वह पढ़ रहा है, तो इन नियमों के बारे में पता होना बहुत जरूरी है। इस लेख में आज हम आपको स्कूलों में अनुशासन और दंड को लेकर भारत में दिशा-निर्देश क्या हैं इसके बारे में बताने जा रहे हैं।

स्कूल में बच्चों को मारने पर क्या कानून लगता है?

mental harassment of students in schools

भारत में स्कूलों में शिक्षक बच्चों को डांट या मार नहीं सकते हैं। शारीरिक दंड और मानसिक उत्पीड़न दोनों ही सख्त मना हैं। साथ ही यह कानूनी रूप से प्रतिबंधित हैं। बता दें कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के दिशा-निर्देशों के तहत, यह बच्चे के अधिकारों का गंभीर उल्लंघन माना जाता है।

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शारीरिक और मानसिक दंड देने को लेकर भारत में क्या नियम है?

भारत में टीचर बच्चे को किसी भी तरह का शारीरिक दंड नहीं दे सकता है। इसमें मारना, थप्पड़ मारना, कान खींचना, घुटने के बल खड़ा करना या अन्य गतिविधियां शामिल है जिससे बच्चे को शारीरिक कष्ट पहुंचे। इसके साथ ही, शिक्षक बच्चों को मानसिक उत्पीड़न जैसे सबके सामने शर्मिंदा करना, डराना या बच्चे को लगातार ताना मारना इत्यादि शामिल है।

दंड देने पर शिक्षकों पर क्या लगाया जा सकता है आपराधिक मुकदमा?

child rights protection in schools

गंभीर मामलों में, शिक्षकों पर भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत आपराधिक मुकदमा चलाया जा सकता है, जो निम्न है-

  • IPC की धारा 323/325- स्वेच्छा से चोट पहुंचाना या गंभीर चोट पहुंचाना शामिल है।
  • किशोर न्याय (देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के अनुसार, बच्चों के प्रति क्रूरता के लिए शिक्षकों और संस्थानों को जवाबदेह ठहराता है।

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