ओणम जिसे फसलों का पर्व कहा जाता है। यह केरल राज्य में 10 दिनों तक मनाया जाने वाला सबसे प्रमुख पर्व है। मलयालम पंचांग के हिसाब से ओणम का पर्व चिंगम माह में मनाया जाता है। यह पहला महीना माना जाता है। ये पर्व अगस्त और सितंबर के बीच आता है। इस दिन ऐसी मान्यता है कि राजा महाबलि अपनी समस्त प्रजा से मिलने के लिए आते हैं। जिसकी खुशी में यह पर्व मनाया जाता है। केरल में इस दिन का अलग महत्व देखने को मिलता है। ऐसे में ओणम पर्व की कथा भगवान विष्णु के वामन अवतार और राजाबलि को समर्पित है, लेकिन क्या आप जानते हैं, एक समय में राजा बलि से सभी देवगण भयभीत हो गए थे। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से राजा बलि की कहानी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार, जब असुर राजा बलि तीनों लोक पर अपना अधिकार जमा लिया था। तब वह अपना 100वां यज्ञ कर रहे थे। यह बात जानकर देवों के राजा इंद्र परेशान हो गए और वह भगवान विष्णु के पास मदद लेने के लिए पहुंचे। उसके बाद इंद्र को भयभीत देखकर भगवान विष्णु ने सोचा कि अब मेरे वामन अवतार लेने का समय आ गया है। फिर भगवान विष्णु (भगवान विष्णु मंत्र) ने वामन अवतार लिया और राजा बलि के यज्ञ में दान मांगने के लिए पहुंचे। बता दें, राजा बलि महादानी थे।
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तब भगवान विष्णु ने राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांग ली। इस बात को सुनकर असुरों के गुरु शुक्राचार्य ने राजा बलि को समझाया कि इसमें किसी की कोई चाल है। लेकिन राजा बलि दान देने का वचन पहले ही दे दिए थे। उन्होंने वामनदेव को तीन पग धरती नाप लेने को कहा। उसके बाद भगवान विष्णु ने एक पग में धरती, दूसरे पग में आकाश नाप लिया। फिर उन्होंने कहा कि तीसरा पग कहां रखें। इस पर राजा बलि ने कहा कि अब उनका सिर ही बाकी बचा है। उस पर रख दें। तब भगवान विष्णु ने अपने दो पग से आकाश और पृथ्वी को बलि के अधिकार से मुक्ति कर दिया। यह देखकर राजा इंद्र बेहद प्रसन्न हुए और उनकी समस्याएं खत्म हो गई।
राजाबलि के दानशीलता और वचनबध्दता से भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने बलि को पाताल लोक का राजा बना दिया और राजाबलि को वर मांगने को भी कहा। तब राजाबलि ने कहा कि हे प्रभु ! आप मेरे साथ पाताल लोक चलें और वहां निवास करें। तब भगवान विष्णु अपने वचन से बद्ध थे। इसलिए वह अपने भक्त बलि के साथ पाताल में चले गए और वहीं रहने लग गए।
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भगवान विष्णु को पाताल लोक में रहते देख मां लक्ष्मी समेत सभी देवगण चिंतित हो गए। तब मां लक्ष्मी एक दिन गरीब महिला बनकर राजाबलि के पास पहुंची और उसे राखी बांधकर अपना भाई बना लिया। उन्होंने बलि से कहा कि वे भगवान विष्णु को अपने वचन से मुक्त कर दें, ताकि वह वैकुंठ धाम पहुंच सकें। फिर राजाबलि ने भगवान विष्णु को अपने वचन से मुक्ति कर दिया।
तब भगवान विष्णु ने राजा बलि को वरदान दिया कि वह हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि (एकादशी नियम) तक पाताल लोक में ही आकर रहेंगे। इस कारण भगवान विष्णु हर साल चातुर्मास में योग निद्रा में चले जाते हैं।
इस प्रकार भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि को पृथ्वी और आकाश के अधिकार से मुक्त कर पाताल लोक का राजा बना दिया। अगर आपको हमारी स्टोरीज पसंद आए, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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