टेक्नोलॉजी के इस जमाने में अधिकतर लोग अब सिर्फ स्क्रीन पर ही पढ़ना पसंद करते हैं, लेकिन इससे किताबों का महत्व कम नहीं हो जाता। किताबें ना केवल ज्ञान का भंडार होती हैं, बल्कि ये आपकी सच्ची साथी भी साबित हो सकती हैं। जब आप किताबों के साथ कुछ वक्त बिताते हैं तो इससे आप कई मायनों में बेहतर बनते हैं।
तरह-तरह की किताबें पढ़ने के लिए सबसे अच्छी जगह है लाइब्रेरी। भारत के हर राज्य में कई लाइब्रेरी हैं और उनमें से कुछ काफी पुरानी हैं। आप जरा सोचकर देखिए कि आप एक ऐसी जगह पर कदम रख रहे हैं, जहां प्राचीन ग्रंथ बीते युगों की कहानियां सुनाते हैं। तंजावुर की जीवंत सड़कों से लेकर कोलकाता की चहल-पहल भरी गलियों तक, आपको इन लाइब्रेरी में भारत के वर्तमान से लेकर इतिहास तक की कई अनसुनी कहानियों के बारे में जानने को मिलता है। वास्तव में, ये लाइब्रेरी सिर्फ़ किताबों का संग्रह नहीं हैं, बल्कि ये हमारे अतीत और हमारी परंपराओं से भी हमें रूबरू करवाती हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको भारत में मौजूद कुछ पुरानी लाइब्रेरी के बारे में बता रहे हैं, जहां पर आपको एक बार तो जरूर जाना चाहिए-
यह लाइब्रेरी तमिलनाडु के तंजावुर में स्थित है और इसकी स्थापना 16वीं शताब्दी में हुई थी। बता दें कि इस लाइब्रेरी की स्थापना तंजावुर के मराठा शासकों ने की थी। इसमें तमिल, संस्कृत और फ़ारसी सहित अलग-अलग भाषाओं में पांडुलिपियों, पुस्तकों और दस्तावेजों का बहुत बड़ा कलेक्शन है। यह लाइब्रेरी मुख्य रूप से अपनी ऐतिहासिक पांडुलिपियों के लिए प्रसिद्ध है और शोधकर्ताओं और विद्वानों के लिए एक खजाना है। इसकी वास्तुकला मराठा राजवंश की भव्यता को दर्शाती है।
केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित केरल स्टेट सेंट्रल लाइब्रेरी हर किसी को जरूर जाना चहिए। इस लाइब्रेरी की स्थापना साल 1829 में हुई थी। यह भारत की सबसे पुरानी पब्लिक लाइब्रेरी में से एक है और इसके चारों ओर एक सुंदर बगीचा है। इसमें पुस्तकों का एक काफी बड़ा कलेक्शन है। यह पढ़ने वाले बच्चों और बुक लवर के लिएए एक बेहतरीन स्थान है। अगर आप शांतिपूर्ण वातावरण में कुछ अच्छी किताबों में खो जाना चाहते हैं तो ऐसे में आपको केरल स्टेट सेंट्रल लाइब्रेरी जरूर जाना चाहिए।
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उत्तर प्रदेश में रामपुर में मौजूद रामपुर रज़ा लाइब्रेरी भारत की सबसे पुरानी लाइब्रेरियों में से एक है। इसकी स्थापना 1774 में नवाब फैजुल्लाह खान द्वारा की गई थी। इस लाइब्रेरी में अरबी, फ़ारसी, उर्दू और अंग्रेजी में पांडुलिपियों और किताबों का एक बेहतरीन कलेक्शन है। इस लाइब्रेरी में 30,000 से अधिक पांडुलिपियां हैं, जिनमें कुछ दुर्लभ ग्रंथ और कलाकृतियां शामिल हैं। यह लाइब्रेरी अपने ऐतिहासिक दस्तावेजों और पांडुलिपियों के अपने बेहतरीन कलेक्शन के लिए जानी जाती है।
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पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन में स्थित टैगोर लाइब्रेरी को बहुत ही विशेष माना जाता है। साल 1900 में इसकी स्थापना खुद रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा की गई थी। यह लाइब्रेरी विश्वभारती विश्वविद्यालय का हिस्सा है और इसमें टैगोर की कृतियों और कई अन्य साहित्यिक खजाना है। अगर आप पश्चिम बंगाल में हैं तो ऐसे में आपको टैगोर लाइब्रेरी जरूर जाना चाहिए।
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