बॉलीवुड की दुनिया देखने में तो बहुत ही ज्यादा चमक-धमक वाली होती है, लेकिन इस मायानगरी के पीछे की सच्चाई कम ही लोगों को पता होती है। दूर से ग्लैमरस दिखने वाली इस दुनिया में कई कहानियां दब कर रह जाती हैं। कई ऐसी एक्ट्रेस और एक्टर्स रहे हैं जो अपनी जिंदगी पर्दे पर तो दिलोजान से जीते दिखाई दिए हैं, लेकिन पर्दे के पीछे वो अकेलेपन, धोखे और फरेब का शिकार हुए हैं।
परवीन बॉबी, जिया खान, मीना कुमारी, अचला सचदेव जैसे कई नाम इस लिस्ट का हिस्सा बन सकते हैं। बॉलीवुड के चमकदार चेहरे के पीछे कई राज़ दफ़न हैं और ऐसा ही एक राज़ है गुजरे जमाने की एक्ट्रेस प्रिया राजवंश का।
प्रिया अपने जमाने में चंद फिल्मों के बाद ही काफी मशहूर हो गई थीं। मज़े की बात तो ये है कि उनकी सभी फिल्में चेतन आनंद द्वारा बनाई गई थीं और वो बस उन्हीं के साथ काम करती थीं। आज हम उनकी जिंदगी और बेरहमी से किए गए कत्ल के बारे में बात करते हैं।
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प्रिया का असली नाम और जिंदगी-
प्रिया शिमला में पैदा हुई थीं और उनका असली नाम था वेरा सुरेंद्र सिंह। पर्दे पर आने से पहले उनकी असली जिंदगी के बारे में कम ही लोगों को पता है, लेकिन जो जानकारी है वो ये कहती है कि पिता की जॉब लंदन में लगने के कारण प्रिया लंदन चली गईं और वहां उन्होंने रॉयल अकादमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट्स से ग्रेजुएशन किया।
प्रिया की एक तस्वीर गाहे-बगाहे मुंबई में बैठे चेतन आनंद को मिली और बस वहीं से चेतन आनंद ने तय कर लिया कि वो प्रिया को अपनी फिल्म की हिरोइन बनाएंगे।
प्रिया को बस यूं ही एक तस्वीर के कारण अपनी पहली फिल्म में रोल मिल गया। ये फिल्म थी चेतन आनंद द्वारा 1964 में बनाई गई फिल्म 'हकीकत'।
फिल्मी दुनिया का सफर और प्यार-
चेतन आनंद प्रिया के मिलने के पहले ही पत्नी और एक्ट्रेस ऊषा आनंद से अलग हो चुके थे। प्रिया के मिलने के बाद उन्हें ऐसा लगा जैसे उन्हें साथी मिल गया हो।
उन्होंने प्रिया के साथ 6 और फिल्में बनाईं। प्रिया को किसी और डायरेक्टर के साथ उन्होंने काम नहीं करने दिया। चेतन आनंद ही वो इंसान थे जिन्होंने प्रिया को बनाया था।
प्रिया की दूसरी फिल्म थी रंगीन फिल्म 'हीर रांझा' जिसमें उनके साथ राज कुमार भी थे। प्रिया को इस फिल्म के लिए काफी ज्यादा तारीफ मिली थी। प्रिया ने इस फिल्म के बाद 'हिंदुस्तान की कसम, हंसते जख्म, साहेब बहादुर, कुदरत, हाथों की लकीरें' जैसी फिल्मों में काम किया था।
प्रिया के रिश्ते को लेकर लोग बातें करते थे, लेकिन उन्हें हमेशा ही चेतन आनंद की पार्टनर के तौर पर ही जाना जाता था। चर्चित फिल्म जर्नलिस्ट शीला वेसुना ने अपने एक ब्लॉग 'She didn't deserve this gory end' में लिखा है कि, 'प्रिया को कोई और नाम नहीं दिया जा सकता था, वो बहुत ही डिग्निफाइड महिला थीं। प्रिया को चेतन आनंद का कम्पैनियन और सच्चा साथी ही कहा जा सकता था।'
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प्रिया की मौत और उसके पीछे की कहानी-
प्रिया राजवंश की मौत चेतन आनंद के बंगले पर हुई। प्रिया का अपना एक फ्लैट था, लेकिन उन्हें चेतन के घर वक्त बिताना पसंद था। चेतन आनंद की मौत 1997 में हो चुकी थी और उनकी वसीयत के मुताबिक उनकी प्रॉपर्टी और मुंबई के जुहू वाले बंगले के राइट्स तीन हिस्सों में बांटे गए थे। उनके दोनों बेटे केतन और विवेक और उनकी साथी प्रिया। इस मामले से देव आनंद और उनके भाई बहुत दूर थे।
27 मार्च 2000 को प्रिया की चेतन आनंद के बंगले में ही मौत हो गई थी जिसे शुरुआत में सुसाइड या अल्कोहल की अधिकता बताया जा रहा था, लेकिन पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के बाद ये सामने आया था कि प्रिया की गला दबाकर हत्या कर दी गई थी।
उस रात प्रिया की वहां काम करने वाली मेड माला चौधरी से बहस हुई थी। माला ने अपने कजिन अशोक चिन्नास्वामी के साथ मिलकर ये हत्या की थी, लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती।
माला ने ये स्वीकार किया था कि उसे 4000 रुपए के एवज में प्रिया को मारना था और ये पैसे उसे एक नजदीकी परिवार वाले ने दिए थे। माला और विवेक आनंद के रिश्तों को लेकर भी कई खुलासे हुए थे, लेकिन इसे विवेक आनंद द्वारा सिरे से नकार दिया गया था। प्रिया की डेड बॉडी को देखने जो सबसे पहले फैमिली डॉक्टर आए थे उन्होंने भी गले पर निशान होने के बाद भी इसे नेचुरल डेथ करार दे दिया था।(रेखा और आमिर क्यों नहीं करते साथ काम, जानें)
प्रिया की मौत के बाद कई लोगों के नाम सामने आए और तत्कालीन मीडिया रिपोर्ट्स में ये बात भी बढ़ा-चढ़ा कर सामने आई कि प्रिया की फाइनेंशियल हालत सही नहीं थी और इसलिए वो उस बंगले को बेचना चाहती थीं। इसके लिए केतन, विवेक और उनके बीच बहस भी होती थी।
उस दौरान मेड माला और उसके साथ अशोक चिन्नास्वामी ने ये स्वीकार कर लिया कि उन्होंने दुपट्टे से प्रिया की गला दबाकर हत्या कर दी थी।
प्रिया जो चेतन आनंद के इतने करीब थीं और इस परिवार का हिस्सा ही बन गई थीं उनकी मौत के बाद आनंद परिवार का कोई भी सदस्य नहीं आया। ऐसा माना जा रहा था कि चेतन आनंद के मरने के बाद प्रिया का इस परिवार से नाता ही टूट गया था।
2002 में माला चौधरी और अशोक चिन्नास्वामी को कत्ल के इल्जाम में सजा हुई और केतन और विवेक को इसकी साजिश रचने का दोषी पाया गया, लेकिन उन्होंने इस फैसले के खिलाफ अपील की और उन्हें बेल मिल गई। 2011 में एक बार फिर इस मामले में अपील की गई कि उनके दोषी होने के फैसले पर दोबारा गौर किया जाए, लेकिन इसका फैसला अभी तक नहीं आया।
प्रिया राजवंश को गए अब 22 साल हो गए हैं, लेकिन उनके कत्ल को लेकर गुत्थियां अभी भी सुलझ नहीं पाई हैं। प्रिया एक जिंदादिल इंसान थीं और इस तरह उनका अंत सही नहीं था।
ये थी बॉलीवुड की एक चर्चित कहानी। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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