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ऑनलाइन ट्रोलर्स के खिलाफ इस्तेमाल किए जा सकते हैं ये कानून

सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग के मामले बड़ी तेजी से बढ़ रहे हैं। चाहे वो सेलिब्रिटीज हो या फिर आम जानता, ट्रोलर्स सभी को शिकार बनाते हैं। 
Editorial
Updated:- 2022-05-02, 19:08 IST

आज का युग सोशल मीडिया का है। ऐसे में इस तकनीक के बारे में जानना बेहद जरूरी हो गया है, ताकि आप कहीं पीछे न छूट जाएं। लेकिन जिस तरह से सोशल मीडिया रफ्तार बढ़ रही है, उसी स्पीड से इंटरनेट पर जुर्म भी अपने पैर पसार रहा है। ट्रोलर या ट्रोलिंग का नाम आपने कभी न कभी जरूर सुना होगा, खासकर सेलेब्रिटीज तो इस शब्द के आदि हो चुके हैं। शायद ही ऐसा कोई सेलेब्रिटी बचा होगा, जिसे ट्रोलर्स ने अपना निशाना न बनाया हो। लेकिन मजे के लिए की जाने वाली ट्रोलिंग आपके लिए मुसीबत भी बन सकती हैं।

आज के आर्टिकल में हम आपको ऐसे कानूनों के बारे में बताएंगे, जिसे ट्रोलर्स के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसा करने से मनचले ट्रोलर्स को सबक सीखने को जरूर मिलेगा। तो देर किस बात की आइए जानते हैं, सोशल मीडिया ट्रोल से जुड़े नियमों के बारे में-

इंटरनेट ट्रोलिंग क्या है?

what is internet trolling

इंटरनेट ट्रोलिंग में किसी व्यक्ति का मकसद सोशल मीडिया के किसी प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों को उकसाना, चिढ़ाना, भड़काना और किसी विषय संबंधित सामान्य चर्चा में बुरी तरह से पेश आना होता है। ज्यादातर ट्रोलिंग की शुरुआत हंसी मजाक के साथ होती है, लेकिन अंत तक यह समस्या विकराल रूप ले लेती है, जहां लोगों को गाली-गलौज और रेप थ्रेट्स तक मिलने शुरू हो जाते हैं।

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ट्रोलिंग से जुड़े कानूनी रास्ते-

rules related onilne trolling

जब ट्रोलिंग हद से आगे बढ़ जाए, तब आपको जल्द से जल्द कानूनी एक्शन लेना चाहिए। जिसके तहत अपराधी को सबक सिखाया जा सकता है। अगर कोई व्यक्ति सोशल मीडिया पर भद्दी टिप्पणियां पोस्ट करता है, तो उस पर धारा 354 ए आईपीसी के तहत कंप्लेंट की जा सकती है। जिससे अपराधी को एक साल की कैद और जुर्माना हो सकता है।

अगर कोई व्यक्ति किसी महिला को उसकी इच्छा के विरुद्ध अश्लील पोस्ट या मैसेज भेजता है या फिर यौन पक्ष की मांग करता है, तो इसमें तीन साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान होता है। इसके अलावा ट्रोलर्स द्वारा किए गए कार्य के अनुसार आप उस पर आपराधिक धमकी, यौन उत्पीड़न, मानहानि, दृश्यरतिकता, ऑनलाइन स्टॉकिंग और अश्लील सामग्री भेजने से संबंधित कार्रवाही कर सकती हैं।

भारतीय दंड संहिता, 1860 ट्रोलिंग या बदमाशी को परिभाषित नहीं करता है, लेकिन सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम,2000 के तरह इन कानूनों का इस्तेमाल साइबर बुली और ट्रोल्स के खिलाफ लड़ने में इस्तेमाल किया जा सकता है।

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कितने प्रभावी हैं ये कानूनी रास्ते-

internet trolling

ट्रोलर्स को सजा देना इतना भी आसान नहीं है। क्योंकि ट्रोलर्स अक्सर भीड़ में गुमनाम होते हैं, जिस कारण कानूनी प्रक्रिया में स्वीकृति मिलना बेहद मुश्किल हो जाता है। हालांकि अगर कोई व्यक्ति अभद्र भाषा, बलात्कार की धमकी या फिर हिंसा से जुड़ी धमकी देता है, तो उस पर कार्रवाई हो सकती है।

भारत में ट्रोलिंग को लेकर चलाया गया है मुकदमा-

how to be safe from cyber trolling

ऐसा बहुत कम हो पाता है कि ट्रोलिंग के लिए बात मुकदमे तक पहुंचे। इसके पीछे वजह यह है कि ज्यादातर ट्रोलिंग समूह में की जाती है, जिस कारण असल ट्रोलर्स का पता लगा पाना मुश्किल होता है। लेकिन कई मामले ऐसे हुए जिसमें ऑनलाइन गाली गलौज और टिप्पणी के चलते अपराधी को गिरफ्तार किया गया है।

तो ये थी इंटरनेट ट्रोलिंग से जुड़ी जरूरी जानकारियां, जो आपके बेहद काम आ सकती हैं। आपको हमारा यह आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही ऐसी जानकारियों के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।

Image Credit- freepik

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