बिपाशा बासु और करण सिंह ग्रोवर ने किया अपनी बेटी का 'मुखे भात', जानें इस खूबसूरत रिवाज के बारे में

बिपाशा बसु और करण सिंह ग्रोवर आए दिन बेटी देवी की फोटोज और वीडियोस शेयर करते हैं। हाल ही में उन्होंने देवी की 'मुखे-भात' की तस्वीरें साझा की हैं। आइये जानते हैं इस खूबसूरत रिवाज के बारे में।  

karan singh grover daughter devi video
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बिपाशा बसु और करण सिंह ग्रोवर साल 2022 में मात-पिता बने थे। बिपाशा बसु ने नवंबर में बेटी को जन्म दिया था और उसका नाम देवी रखा था।

बिपाशा बसु और करण सिंह ग्रोवर आए दिन अपने बेटी देवी के फोटोज और वीडियोज सोशल मीडिया पर शेयर करते रहते हैं।

अब हाल ही में उन्होंने एक और वीडियो शेयर किया है जो देवी के 'मुखे-भात' का है। अन्नप्राशन को ही बंगाली भाषा में 'मुखे-भात' कहते हैं।

हिन्दू धर्म में मुखे-भात की परंपरा बच्चे के लिए बहुत ही महतवपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इस दिन बच्चा पहली बार मुंह में अन्न डालता है।

अलग-अलग जगहों पर इस रस्म को अलग-अलग नाम से जाना जाता है जैसे कि केरल में चूरूनू और गढ़वाल में भातखुलाई कहा जाता है।

वहीं, उत्तर की तरफ इसे अन्नप्राशन (छोटे बच्चों को अन्नप्राशन से पहले अनाज क्यों नहीं खिलाते) कहा जाता है और बंगाल की तरफ यह मुखे-भात कहलाता है। इस रस्म में चावल खास होता है।

चावल को मुंह में डालने को ही मुखे भाता कहते हैं। इस अनुष्ठान के बाद ही बच्चे को धीरे-धीरे आहार दिया जाना शुरू होता है।

मुखे-भात के लिए पुजारी से शुभ मुहूर्त निकलवाया जाता है। इस दिन बच्चे को नए कपड़े पहनाए जाते हैं जो पारंपरिक होते हैं।

मुखे-भात की शुरुआत पूजा और हवन (हवन की राख के उपाय) से होती है। यह पूजा बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन के लिए की जाती है।

बच्चे को चंदन लगाया जाता है, उसकी नजर उतारी जाती है और बच्चे की भी पूजा होती है क्योंकि वह ईश्वर तुल्य होते हैं।

mukhe bhaat ceremony of bengal

पूजा के बाद बच्चे को पहली बार ठोस आहार खिलाया जाता है जिसमें सबसे पहले मुंह में चावल का टुकड़ा डाला जाता है।

इसके बाद एक खेल भी खेला जाता है जिसके मुताबिक एक चांदी की प्लेट में कई सारी तरह-तरह की वस्तुएं रखी जाती हैं।

इनमें सीखने का प्रतीक किताबें, धन का प्रतीक आभूषण, ज्ञान का प्रतीक कलम, संपत्ति का प्रतीक चिकनी मिट्टी आदि होते हैं।

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इसके अलावा, भोजन के प्रति प्रेम का प्रतीक खाद्य पदार्थ भी चांदी की थाली में रखा जाता है।

फिर उस प्लेट को बच्चे से कुछ दूरी पर रखा जाता है। फिर प्लेट में रखी किसी भी एक वस्तु को बच्चे को उठाना होता है।

माना जाता है कि प्लेट में रखी जिस वस्तु को बच्चा उठाता है उसका भविष्य उसी के साथ जुड़ा होता है।

इसी के साथ मुखे-भात की सुंदर और महत्वपूर्ण रस्म का समापन होता है।

मुखे-भात की परंपरा वाकई बहुत खूबसूरत और बच्चे के लिए महत्वपूर्ण होती है। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

Image Credit: instagram, twitter

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