वर्ष के 12 महीनों में हर माह हिंदुओं के कई पर्व आते हैं। हर माह अलग तीज-त्योहार मनाए जाते हैं और हर किसी का महत्व भी अलग होता है। साल का 6वां महीना जून शुरू हो चुका है। इस माह भी कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार आने वाले हैं। इस माह सबसे बड़ा पर्व गंगा दशहरा है, जिसे पूरे देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। इसके साथ ही निर्जला एकादशी, योगिनी एकादशी, प्रदोष व्रत और दर्श अमावस्या भी इस माह पड़ेगी। इन सभी पर्व का अपना अलग-अलग महत्व है, अगर आप भी इन त्योहारों के महत्व, तिथि और शुभ मुहूर्त जानने के लिए आप यह आर्टिकल पढ़ें।
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जून के प्रमुख त्योहारों की लिस्ट
- रंभा तृतीया - 2 जून
- विनायक चतुर्थी- 3 जून और 17 जून
- गंगा दशहरा- 9 जून
- निर्जला एकादशी- 11 जून
- प्रदोष व्रत- 12 जून, रविवार
- कबीर जयंती, वट सावित्री व्रत- 14 जून
- योगिनी एकादशी- 24 जून
- मासिक शिवरात्रि व्रत- 27 जून
- दर्श अमावस्या- 29 जून

रंभा तृतीया
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ने वाला यह पर्व खास कुंवारी कन्याओं के लिए होता है। यह जून माह का सबसे पहला पर्व है। इस दिन कन्याएं और महिलाएं सोलह श्रृंगार करके शिव-पार्वती और देवी लक्ष्मी की पूजा करती हैं। मान्यता है कि इस दिन यदि आप अप्सरा रंभा को महिलाएं याद करती हैं और उसके विभिन्न नामों को दोहराती हैं, तो उनके जीवन में प्रेम आता है।
शुभ मुहूर्त- 1 जून बुधवार की रात में 09 बजकर 47 मिनट से शुरू होकर 3 जून शुक्रवार की रात 12 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा
गंगा दशहरा
गंगा दशहरा का पर्व हर वर्ष दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इसे पूरे देशभर में मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि राजा भगीरथ की विशेष तपस्या के बाद इस दिन देवी गंगा पृथ्वी लोक में आई थीं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जो भी गंगा नदी में स्नान करता है उसके 10 जन्मों के पाप खत्म हो जाते हैं।
शुभ मुहूर्त - 9 जून 2022, बृहस्पतिवार के दिन प्रातः 8:21 से 10 जून, शुक्रवार, शाम 7:25 बजे तक बनाया जाएगा।
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वट सावित्री व्रत
वट सावित्री का व्रत वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहला वट सावित्री ज्येष्ठ माह की अमावस्या और दूसरा ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को होता है। इस वर्ष 30 मई को अमावस्या वाला वट सावित्री मनाया जा चुका है और अब 14 जून को पूर्णिमा वाला वट सावित्री पर्व मनाया जाएगा। यह महिलाओं का पर्व है और इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं।
दर्श अमावस्या
दर्श अमावस्या के दिन पूर्वजों की पूजा की जाती है। दर्श अमावस्या के दिन चंद्र देव की पूजा भी की जाती है। कई लोग इस दिन चंद्र देव के लिए उपवास भी रखते हैं और अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करते हैं।
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