आजकल फिल्मी पर्दे पर न जाने कितनी तरह की लव स्टोरी दिखाई देती है। न सिर्फ फिल्मों में बल्कि असल जिंदगी में भी हम कई लव स्टोरीज के बारे में जानते हैं। लेकिन क्या आप जानती हैं कि आखिर 1950 के दौर में कोई लव स्टोरी कैसी होती थी? उस दौर की अधिकतर कहानियां शादी के बाद शुरू होती थीं। आपने मुकेश अंबानी-नीता अंबानी, अनिल अंबानी-टीना अंबानी, आकाश अंबानी-श्लोका मेहता आदि की लव स्टोरी शायद पढ़ी या सुनी हो, लेकिन आज हम आपको धीरूभाई अंबानी और कोकिलाबेन अंबानी की स्टोरी के बारे में बताने जा रहे हैं।
धीरजलाल हीराचंद अंबानी यानि धीरूभाई अंबानी और कोकीला बेन की शादी 1955 में हुई थी। ये वो दौर था जब भारत आज़ादी के बाद की अपनी स्थिति को समझ रहा था और धीरूभाई को यमन के अदन शहर में नौकरी भी मिली थी। कोकिलाबेन अंबानी को शायद ही आपने कभी कोई इंटरव्यू देते देखा हो, लेकिन कोकिलाबेन का एक इंटरव्यू है जो बहुत फेमस है। ये एक ही बार था जब कोकिलाबेन ने अपनी शादी और धीरूभाई के बारे में पब्लिकली बात की थी।
अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय की फिल्म 'गुरू' जो खास तौर पर धीरूभाई अंबानी और कोकिलाबेन के ऊपर आधारित है उसमें भी कई बातें नहीं बताई गई हैं। जैसे ये कि कोकिलाबेन अंबानी भी यमन में रहने गईं थीं। यही नहीं उनके बड़े बेटे यानि मुकेश अंबानी का जन्म भी यहीं हुआ था।
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शादी के बाद कुछ ऐसे बदली जिंदगी-
शादी के बाद कोकिलाबेन की जिंदगी ही बदल गई थी। जो कोकिलाबेन अपने शहर में ही अपनी दुनिया बसाए बैठी थीं वो मुंबई और यमन गईं। यमन में उन्हें शुरुआत में बहुत मुश्किल होती थी। यहां तक कि जिस स्टीमर में बैठकर वो अदन शहर पहुंची थीं वो भी उनके लिए बहुत नया था। अदन शहर में उन्होंने बहुत अलग चीज़ें देखीं। पर धीरूभाई हमेशा उनके साथ ही थे और उन्हें हर चीज़ समझाते थे।
पहली कार की बात थी कुछ खास-
जिस समय धीरूभाई ने पहली कार खरीदी थी उस समय कोकिलाबेन अंबानी चोरवाड़ (गुजरात) में ही थीं। वहां उन्हें धीरूभाई का खत मिला जिसमें लिखा था कि उन्होंने कार खरीद ली है और उस कार का रंग उनकी तरह ही काला है। कोकिलाबेन को अपने पति द्वारा लिखे खत की ये बात याद रही। जब कोकिलाबेन अदन पहुंची तो धीरूभाई उन्हें लेने कार में आए। जहां एक ओर वो चोरवाड़ में बैलगाड़ी से आईं थीं वहीं अदन में उन्हें कार में बैठने का मौका मिला।
मायानगरी ने बदल दी जिंदगी-
अदन के बाद धीरूभाई मुंबई आए। मुंबई में जो बदलाव देखने को मिले वो शायद ही कोकिलाबेन ने सोचे हों। रिलायंस की शुरुआत होने वाली थी। धीरूभाई और कोकिलाबेन की जिंदगी में बहुत कुछ हुआ। धीरूभाई हमेशा कोकिलाबेन को अपने साथ लेकर जाते। हर प्लांट के इनॉगरेशन में कोकिलाबेन साथ जाती थीं। भले ही कोकिलाबेन ज्यादा बोलती नहीं थीं, लेकिन जाती जरूर थीं।
धीरूभाई कहते थे कि दुनियाभर के लोगों से मिलने से नॉलेज बढ़ती है और यही काम कोकिलाबेन करती थीं।
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मुंबई आने के बाद सीखनी पड़ी इंग्लिश-
कोकिलाबेन हमेशा गुजराती में बोलती थीं। वो गुजराती स्कूल में ही पढ़ी थीं और मुंबई आने के बाद उन्होंने इंग्लिश सीखना शुरू कर दिया। बच्चों को इंग्लिश सिखाने के लिए एक टीचर आता था और धीरूभाई ने एक दिन अपनी पत्नी से कहा कि वो खुद भी क्यों नहीं इंग्लिश सीख लेतीं।
धीरूभाई जब भी कोकिलाबेन को 5 स्टार में लेकर जाते तो चीन, जापान, मेक्सिको, इटली आदि देशों का खाना खिलाते जिससे उनकी नॉलेज बढ़े। वो नहीं चाहते थे कि कोकिलाबेन कभी भी खुद को अलग महसूस करें।
कोकिलाबेन अब देश की सबसे चर्चित महिलाओं में से एक हैं और वो एक बहुत ही अच्छी पत्नी और मां साबित हुई हैं। अपने पति के साथ कदम से कदम मिलाकर वो चली हैं। हम सिर्फ ये अंदाज़ा ही लगा सकते हैं कि कुछ चीज़ें कोकिलाबेन के लिए कितनी मुश्किल रही होंगी। उन्हें परदेस में कितना अकेलापन लगता होगा। उन्हें खुद को मॉर्डन बनाने में कितनी मुश्किलें आई होंगी, लेकिन कोकिलाबेन ने अपने बच्चों के लिए एक ऐसी नींव तैयार की जिसे हिला पाना मुमकिन नहीं।
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