आज के समय में कई कपल लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हैं। हाल ही में एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आई है जिसमें शादी का झांसा देकर कॉल सेंटर में काम करने वाली महिला की युवक ने हत्या कर दी और शव के कई टुकड़े करके दिल्ली की अलग-अलग जगहों पर फेंक दिया। करीब पांच महीने बाद इस घटना का खुलासा होने पर पुलिस ने आरोपी आफताब अमीन पूनावाला को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों एक दूसरे के साथ लिव-इन में रहते थे।
पुलिस को जांच के दौरान यह पता चला है कि श्रद्धा अपने पार्टनर के साथ शादी करना चाहती थी वहीं दूसरी ओर आफताब उसका पार्टनर उसे शादी करने से मना कर चुका था और लड़ाई होने पर उसके शव के टुकड़े करके दिल्ली की अलग-अलग जगहों पर फेंक दिया। यही नहीं उसने एक बड़े फ्रिज में बॉडी को रखा था ताकि उसके शव से बदबू ना आए।
लिव-इन रिलेशनशिप में कपल्स के बीच कई मनमुटाव होते रहते हैं ऐसे में आप अगर लिव-इन में रह रही हैं तो आपको भी कई सारे कानूनी अधिकार होते हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कलेक्ट्रेट परिसर लखनऊ मे ए वन चेम्बर के क्रिमिनल एडवोकेट शैलेन्द्र प्रताप सिंह के द्वारा भारत में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली लड़कियों के क्या अधिकार होते हैं।
लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला के अधिकार
जो महिलाएं लिव-इन रिलेशनशिप में रहती हैं अगर वह किसी भी तरह की हिंसा को झेल रही हैं तो आपको बता दें कि घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत यह हिंसा घरेलू हिंसा की श्रेणी में आएगा और किसी भी तरह से प्रताड़ित किए जाने पर वह अपने पार्टनर के खिलाफ पुलिस में शिकायत कर सकती हैं।
अगर बात करें राइट टु शेल्टर की तो उसके अनुसार महिलाओं को जबरदस्ती घर से नहीं निकाला जा सकता। लेकिन अगर लिव-इन रिलेशनशिप कपल के बीच नहीं होता है तो संबंध महिलाओं को यह अधिकार नहीं मिलता है।
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क्या होते हैं लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला के बच्चों के अधिकार?
यदि कोई महिला लिव-इन रिलेशनशिप में रहती है और उसके पार्टनर और उस महिला के बच्चे होते हैं तो महिला को भले ही पार्टनर के संपत्ति में कोई अधिकार ना मिले लेकिन उसके बच्चे को पूरे कानूनी अधिकार मिलते हैं। इसमें भी अगर बच्चा गोद लिया हुआ होगा तो उसे यह अधिकार नहीं मिलेगा।
आपको बता दें कि हिंदू मैरिज एक्ट के अनुसार लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल के बच्चे को एक शादी-शुदा दंपत्ति के बच्चे के जितने ही अधिकार मिलते हैं। साथ ही आपको बता दें कि सीआरपीसी के सेक्शन 125 तहत भारतीय न्यायपालिका बच्चों को सुरक्षा प्रदान भी करती है। अभी तक कई कोर्ट के मामलों में उत्तराधिकार के लिए लिव-इन रिलेशन में रहने वाली महिला को सुरक्षा प्रदान की गई है।
भरण पोषण का अधिकार
सीआरपीसी की धारा-125 के अनुसार लिव-इन रिलेशनशिप में भी भरण-पोषण का अधिकार दिया जाता है। आपको बता दें कि अगर कोई कपल में से एक भी पार्टनर अलग हो जाता है तो उसके बाद में दिया जाने वाला मुआवजा पॉलिमनी कहलाता है।
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आपको बता दें कि अगर कोई महिला लिव-इन में साथ रह रही है और अपना भरण-पोषण नहीं कर सकती हैं तो उसके पार्टनर को घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम-2005 के तहत गुजारा भत्ता यानी मुआवजा पॉलिमनी देना पड़ता है और ऐसा नहीं करने पर महिला कोर्ट भी जा सकती है।
तो यह थे वे सभी अधिकार जो महिलाओं को लिव-इन रिलेशनशिप में मिलते हैं। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें। इसी तरह के लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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