'उत्पीड़न का सबूत देने के लिए क्या घाव दिखाने जरूरी होते हैं?', समाज की सोच पर कटाक्ष करती Nina Kler

एक महिला के साथ फ्लाइट में अगर कुछ होता है तो क्या एयरलाइन का कर्तव्य नहीं बनता कि वो उस महिला की मदद करे या समाज उसका साथ दे?

nina kler social issues

आखिर कैसे उस महिला ने अपने लिए जगह मांग ली। मैं एक पुरुष हूं और वो महिला, उसे चुप रहना चाहिए था और रुकना चाहिए था। मेरी प्यारी सहेलियों ये ही है आज के पुरुष का माइंडसेट। एक ऐसा देश जहां पितृसत्ता से ही ढांचा बनाया गया है, जहां कई लोग ये समझते हैं कि एक महिला सिर्फ एक चीज़ है या कुछ ऐसा है जिसे वो अपने साथ रख सकते हैं। उसका खुद का कोई दिमाग नहीं है। उसकी खुद की कोई आवाज़ नहीं है। यही एटिट्यूड नीना क्लेयर के सामने आया जो वेलबीइंग क्रूसेडर हैं और लेखक भी हैं। ये घटना एयरइंडिया फ्लाइट में हुई। नीना ने अपने साथ हुई इस घटना के बारे में कई लोगों को बताया, और इस बार उन्होंने Herzindagi के पाठकों के लिए एक आर्टिकल लिखा। उन्होंने लोगों की सोच को उजागर किया है जो हमारे देश में व्याप्त है और जिसे ठीक करने की बहुत जरूरत है।

एक महिला को ये साबित करने के लिए कि महिला का उत्पीड़न या शोषण हुआ है किस तरह के घाव दिखाने होते हैं?

उसकी किस जरूरत का गला घोंटना होगा उसे, कितना अपवित्र बनना होगा उसे कि कोई उसपर ध्यान दे?

या फिर सिर्फ यही है कि कुछ खास की-वर्ड्स सुनने के बाद ही उसकी FIR लिखी जाएगी?

अगर कोई महिला असहज और डरा हुआ महसूस कर रही है तो ये काफी नहीं है?

भले ही वो किसी के शब्द हों जो आपको छोटा महसूस करवा रहे हों, भले ही किसी पार्टनर से आर्थिक मामलों में वो शोषण झेल रही हो, या फिर अपने बॉस से झेल रही हो जो उसकी सैलरी नहीं दे रहा, भले ही कोई उसे परेशान कर रहा हो, या सिर्फ उसके अंदर ये भावना हो कि उसके साथ गलत हुआ है और उसे डराया गया है। क्या ये सब काफी नहीं है? क्या ये शोषण नहीं है?

what to do on flight at the time of abuse

बदकिस्मती से शब्दों द्वारा किया गया शोषण, फाइनेंशियल शोषण या धमकी को आम लोगों की नजर में कोई बड़ी बात नहीं माना जाता उसे महिलाओं के शोषण के नजरिए से नहीं देखा जाता। ये जरूरी नहीं है कि कोई शारीरिक चोट हो जिसे दिखाकर ही लोग अपने लिए दया भावना पैदा करवाएं। क्योंकि दिखाने के लिए कोई जख्म तो है ही नहीं।

इसे जरूर पढ़ें- सर्दियों की शादी के दौरान बालों और स्किन का ख्याल रखने के लिए ट्राई करें ये 10 खास टिप्स

ये एक बहुत ही प्रचलित सोच है कि महिलाओं को एडजस्ट करना होगा। उन्हें सामने से हटना होगा, उन्हें ही अपने कदम पीछे रखने होंगे, उन्हें ही डरना होगा अपनी किसी जरूरत की मांग रखने के लिए। वो महिला चुप रहे और अपने साथ हुई घटना की किसी से शिकायत न करे और डर में जिए।

जो मैंने फ्लाइट AI 431 दिल्ली से लखनऊ में एक्सपीरियंस किया वो कुछ ऐसी ही घटना थी। जहां एक पुरुष मेरा फ्लाइट में रास्ता रोके खड़ा था और ये तब था जब सामने भीड़ भी नहीं थी। ये पुरुष बहुत गुस्से में था कि कैसे एक महिला ने उसे आगे बढ़ने को कहा, भले ही ये मेरी टर्न थी। ये मशीन में तेल डालने से बहुत ज्यादा था, ये इस बात की बहस नहीं थी कि कैसे लाइन आगे बढ़नी चाहिए बल्कि ये ईगो की बात थी। ये एक सोच थी, कैसे उसमें इतनी हिम्मत हुई कि उसने मुझसे रास्ता खाली करने को कहा, मैं एक पुरुष हूं और वो एक महिला। उसे चुप रहकर इंतज़ार करना चाहिए। मैं इससे ज्यादा सहज तरीके से बात नहीं कर सकती थी। गुस्सा तो तब आया जब वो वहां खड़ा रहा और बहस हुई। कई महिलाएं इसे जाने देंगी और सोचेंगी कि गुस्सा शांत कर लिया जाए और ऐसे इंसान से बहस नहीं करनी चाहिए। लेकिन क्योंकि मैं असहज और डरा हुआ महसूस कर रही थी इसलिए मैंने इसे निजी लड़ाई बनाया और सोशल मीडिया और उससे आगे इसके बारे में सभी को बताया।

जितना ज्यादा मैं कह रही थी कि मुझसे दूर हो जाओ (अपने हाथ ऊपर हवा में किए उस आदमी से दूरी बनाने की कोशिश में क्योंकि वो काफी पास आ गया था।) उतना ही वो ज्यादा कह रहा था 'Just Chill' और ऐसा कहते समय उसका लहजा धमकाने वाला था। वो वहां खच्चर की तरह खड़ा हुआ था और मुझे मेरी आज़ादी तक पहुंचने नहीं दे रहा। कोई मेरी मदद के लिए नहीं आया, यहां तक कि एयरलाइन स्टाफ भी नहीं क्योंकि वो एक जाना-पहचाना चेहरा था। यहां तक कि जब उसने हार मान ली तब एयरलाइन स्टाफ ने बाकायदा उसे ग्रीट किया।

कई लोगों के लिए ये कोई बड़ी बात नहीं है पर मैं खुद को असहाय और अचंभित महसूस कर रही थी क्योंकि मुझे नहीं पता था कि उसे ये कहने के अलावा कि , 'मेरे सामने से हट जाओ' मैं और क्या कह सकती थी। मैंने पुलिस को बताने की भी बात की, लेकिन वो डरा नहीं। इससे मुझे एक बार और याद आता है कि VIP कल्चर एक ऐसी छतरी है जो आपको सभी तरह की जिम्मेदारियों और जवाबदेही से बचा लेती है।

तो आज एक महिला के तौर पर मैं थका हुआ महसूस कर रही हूं। मैं चिल्ला-चिल्ला कर थक गई कि कैसे एक एयरलाइन को ये जिम्मेदारी लेनी चाहिए थी क्योंकि ये सब मेरे साथ फ्लाइट में हुआ था। इसने में जख्म को और गहरा कर दिया।

'आपको ये पता होना चाहिए था कि किससे शिकायत करनी चाहिए, आपने ऐसा क्यों नहीं किया?'

बदकिस्मति से कोई ये सीखकर इस दुनिया में नहीं आता कि शिकायत करने के तरीके क्या होते हैं और कैसे एक ऑर्गेनाइजेशन जो मशीन की तरह है वो चलती है, जब तक कोई घटना नहीं घट जाती है। इसीलिए बहुत ज्यादा ऊर्जा खो जाती है सही तरीका पता करने में।

इसे जरूर पढ़ें- Winter Style Tips: सिर्फ ब्लाउज के साथ ही नहीं ऐसे अपने कुर्ते के साथ भी पहन सकती हैं लहंगा

और अंत में ये जानना भी जरूरी है कि हमारा कानून कितना प्रभावी है और कितना प्रतीत होता है। भले ही वो सिर्फ एक ऑर्गेनाइजेशन को लेकर हो।

हर कदम पर काफी काम करना बाकी है। मेरी सिर्फ उम्मीद ही है कि शिक्षा से सब ठीक होगा। सिर्फ अपनी बेटियों को ही नहीं बल्कि बेटों को भी सिखाना जरूरी है। उन्हें ज्यादा संवेदनशील बनाना जरूरी है। सिर्फ लिंगभेद को दिमाग से हटाना ही काफी नहीं बल्कि आम इंसानियत के बारे में सोचना भी जरूरी है। उनके लिए अच्छा रोल मॉडल बनना बहुत जरूरी है। एक तय ढांचे में बंधना नहीं है और हर बार जब एक महिला के साथ कुछ गलत होता है तो उसके खिलाफ आवाज़ उठाना भी जरूरी है।

सिर्फ तभी धर्म और कर्म का चक्र घूमेगा और आगे बढ़ेगा। और हां, ये इस बात पर बिलकुल नहीं टिकता कि आपने क्या पहना हुआ है।

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP