दुनिया भर में सबसे फेमस जीन्स की कंपनी शायद लीवाइस ही होगी। लेवी (प्रनन्सीएशन के हिसाब से लीवाई) स्ट्रॉस द्वारा स्थापित की हुई यह कंपनी अपने आप में सक्सेस और इनोवेशन की एक कहानी कहती है। इंग्लिश में एक कहावत है, "Necessity is the Mother of Invention" यानी आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। कुछ ऐसा ही हुआ लीवाइस के साथ। बार-बार कपड़ा ना खरीदना पड़े इसलिए लीवाइस का फेमस डिजाइन बना था।
लीवाई स्ट्रॉस एंड कोऑपरेशन एक अमेरिकी कपड़ा बनाने वाली कंपनी है जो पूरी दुनिया में लीवाइस के लिए जानी जाती है। लोगों को अधिकतर इस बारे में नहीं पता होता कि लीवाइस कंपनी नहीं, बल्कि जीन्स का एक ब्रांड है और 'लीवाई स्ट्रॉस एंड को' कंपनी का नाम है।
1853 में ऐसे हुई पहली शुरुआत
एक जर्मन-यहूदी इमिग्रेंट लीवाई स्ट्रॉस (Levi Strauss) सैनफ्रांसिस्को में आता है और एक बिजनेस शुरू करता है। उसका काम था कपड़ा बेचना। अपने जान पहचान के लोगों के साथ वह 1858 तक कपड़ा ट्रेडिंग का एक अच्छा खासा बिजनेस शुरू कर देता है।
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जेकब डेविस नामक एक टेलर लगातार कंपनी से कपड़ा खरीदता था। जेकब का एक कस्टमर हमेशा उससे कपड़ा खरीदता था क्योंकि उसकी पैंट की जेब फट जाती थी। दरअसल, ऐसी समस्या माइन में काम करने वाले कई लोगों हो रही थी। तब जेकब के दिमाग में एक आइडिया आया। उसने पैंट की जेब के साथ-साथ लगभग हर उस एरिया को छोटे कॉपर रिवेट्स (छोटे बटन) से मजबूत बनाया जहां स्ट्रेस ज्यादा पड़ता था।
डिजाइन बहुत बेहतरीन था, लेकिन जेकब के पास इसे पेटेंट करवाने के पैसे नहीं थे। उस वक्त जेकब लीवाई के पास गए और उनसे पेटेंट के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि दोनों मिलकर एक बिजनेस कर सकते हैं।
स्ट्रॉस ने उनका ऑफर स्वीकार लिया और 20 मई 1873 को दोनों ने पेटेंट करवा लिया। इसी पेटेंट की एनिवर्सरी को लीवाई 501 जीन्स की एनीवर्सरी माना जाता है। (महिलाओं की जीन्स में क्यों होता है जिपर)
उसके पहले भी लीवाई ने अपनी जीन्स बेची थी, लेकिन ओवरऑल्स और कॉपर रिवेट वाले डिजाइन ने इतिहास बना दिया। 1890 में रिवेट पेटेंट पब्लिक डोमेन में गई और कई प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल हुआ, लेकिन 501 जीन्स तब भी फेमस रही।
धीरे-धीरे बढ़ी कंपनी की लोकप्रियता
लीवाइस जीन्स की लोकप्रियता 1900 की सदी में बढ़ती चली गई। काउब्वॉय, रेलरोड वर्कर्स और बहुत ज्यादा फिजिकल लेबर करने वाले लोगों को यह जीन्स ओवरऑल्स अच्छे लगते थे क्योंकि इसे कई दिनों तक पहना जा सकता था।
जीन्स वाला लुक 1930 से शुरू हुआ जहां ओवरऑल्स के बिना भी पैंट बननी शुरू हुई। वर्ल्ड वॉर 2 के दौरान ब्लू जीन्स का क्रेज चढ़ा। शायद आपको पता ना हो, लेकिन उस वक्त डिफेंस वर्क वाले लोगों के लिए ब्लू जीन्स एक जरूरत बन गई थी और सिर्फ उन्हें ही बेची जाने लगी थी।
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ब्लू जीन्स का क्रेज जो आज भी बरकरार है
वर्ल्ड वॉर खत्म होने के बाद भी जीन्स का क्रेज कम नहीं हुआ। 1950 तक बैक पॉकेट रिवेट्स हटा दिए गए थे क्योंकि ऐसा माना जाता था कि उनकी वजह से फर्नीचर में निशान लग जाते हैं।
ब्लू जीन्स का क्रेज इसलिए भी बढ़ा क्योंकि इसे बार-बार धोने के बाद यह फेड तो होती थी, लेकिन उसका फेडेड लुक भी सुंदर ही दिखता था। तब तक लीवाइस की बागडोर वॉल्टर हॉज और पीटर हॉज के हाथ आ चुकी थी। उन्होंने एक कनाडाई कंपनी Great Western Garment Company (GWG) का अधिग्रहण किया और वहां से स्टोन वॉशिंग तकनीक ली। यह तकनीक आज भी इस्तेमाल की जाती है। (11 तरह की जीन्स के बारे में जानें)
1980 के दशक तक कंपनी ने बहुत तरक्की की लेकिन फिर आर्थिक तंगी के कारण इसकी रफ्तार धीमी पड़ गई। ऐसे हालात भी आ गए कि लीवाइस को अपने कई प्लांट्स बंद करने पड़े। उस वक्त 1986 में डॉकर्स ब्रांड लॉन्च किया गया जो डिपार्टमेंट स्टोर्स के जरिए बेचा जाता था। यह सफल तो हुआ, लेकिन फिर भी 2004 में कंपनी ने इस ब्रांड को बेचने की कोशिश की थी क्योंकि इसपर कर्ज चढ़ गया था।
इतने सालों में लीवाइस ने कई बार अपनी बिजनेस स्ट्रैटजी बदली, लेकिन कभी भी पीछे नहीं हटी। आज भी यह कंपनी दुनिया के सबसे बड़े डेनिम ब्रांड्स में से एक है।
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