Entry-10
मुझे भूलें तो नहीं आप सब? हाथ जोड़कर, कान पकड़ के माफ़ी मांगती हूं। आप भी सोच रही होंगी कि कहां गई ये आरती की बच्ची? क्या बताऊं और क्या नहीं? एक काम करती हूं, सब कुछ ही बता देती हूं।
आप को ये तो पता ही है न कि भाभी को अचानक ही अस्पताल ले जाना पड़ा था? और दादी ने ज़िद पकड़ ली थीं कि वो भी जाएंगी। अब दादी की ज़िद के सामने किसकी चली है? मेरी तो नहीं। हम दोनों ने पकड़ा ऑटोरिक्शा और पहुंच गए अस्पताल। रास्ते भर दादी कुछ नहीं बोलीं। मैंने हिम्मत करके बोलना शुरू किया, "दादी, अस्पताल में कुछ अंट-शंट मत बोलने लगना। वहां घर का रोना मत रोना।"
दादी ने मुझे घूर कर देखा, पर कुछ बोला नहीं। कुछ धीरे-धीरे बुदबुदा रही थीं। मैंने ध्यान से देखा तो हाथ में माला चल रही थीं, दादी ज़रूर कोई मंत्र जप रही थीं। ऊपर से कितनी भी कठोर हो, अंदर से मोम हैं दादी। भाभी को कितनी भी खरी-खोटी सुना लें पर ये सुनकर की वो अस्पताल में है, दादी पिघल गईं।
अस्पताल पहुंच के सीधे भाभी के बेड के पास गईं और प्यार से सिर पर हाथ फेरा। भाभी ने आंख खोली तो उनके आंसू निकल गए। अगले कुछ दिन तो दादी रोज़ ही अस्पताल जाने लगीं थीं। ऋषभ भइया भी बहुत खुश थे। मां अपने हाथों से फल काटती और दादी अपने हाथों से सुरभि भाभी को खिलाती। आखिरकार हमारा परिवार जैसे एक हो गया था।
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मेरा ऑफिस में भी सही चल रहा था। मिलिंद सर को मेरी आल - वीमेन टीम के लिए हामी भरनी पड़ी थी और मैंने पांच योग्य लड़कियों को नौकरी पर भी रख लिया था। ऐसा लग रहा था कि ज़िन्दगी पटरी पर आ रही है।
"ये दिवाली होगी असली दिवाली, सब साथ मनाएंगे..." पापा ने मुस्कुरा कर कहा।
लेकिन...ऐसा भी होता है न कि कभी-कभी अपनी ही नज़र लग जाती है?
उम्मीद हैं आपकी दिवाली अच्छी निकली होगी...मेरी दिवाली तो निकली... पुलिस स्टेशन में। जी!
किस्सा ये हुआ, कि दिवाली से एक हफ्ता पहले...हां करवाचौथ का दिन था... भाभी को अस्पताल में मेहंदी लगवाने के लिए मैं मेहंदी वाली को लेकर आई थी। मेहंदी वाली गई ही थी कि मैंने सोचा भाभी की फोटो लेकर ऋषभ भैया को भेजती हूं।
"मेरा फ़ोन देखा?" मैंने भाभी से पूछा।
"यहीं तो था अभी...तूने मेहंदी का डिज़ाइन दिखाया था न उसे! वो तो नहीं ले गई?" भाभी की आंखें बड़ी-बड़ी हो गई थीं।
"रिलैक्स भाभी, आप चिंता न करो प्लीज" भाभी की हालत में उन्हें किसी भी बात के लिए उत्तेजित करना ठीक नहीं था।
"उसका नंबर हैं तेरे पास?" भाभी ने पूछा?
"हां, फ़ोन में!" मैंने सिर पर हाथ दे मारा
"भाग कर जा आरती...क्या पता वो पार्किंग में हो अभी" भाभी बेचारी, हाथ में मेहंदी लगाए और माथे पर शिकन लिए मना रही थी कि मेरा फ़ोन मिल जाए।
मैं भागी...लिफ्ट का टाइम नहीं हैं...सीढ़ी से दनदनाती हुई नीचे पहुंची। अभी अस्पताल के रिसेप्शन तक ही पहुंची थी कि... "दीदी!"
मेहंदी वाली की आवाज़ आई!
मैंने पलट कर देखा तो वो लिफ्ट के पास खड़ी थी, मेरा फ़ोन हाथ में लिए!
"आपका फ़ोन रह गया मेरे साथ! मैं वही लौटाने आ रही थी"
एक साथ राहत और शर्म का अहसास कैसा होता है, जानती हैं आप? राहत इसलिए की मेरा अच्छा खासा फ़ोन, जिसमें कई फोटोज, कई कॉन्टेक्ट्स और कई ज़रूरी जानकारी सेव थी, खोते-खोते बच गया। शर्म इस बात की कि बिना सोचे समझे मेहंदी वाली को चोर समझ बैठी थी। नीचे आते-आते, मन ही मन, जाने कितनी गालिया दे चुकी थी उसे।
"थैंक गॉड! मैंने सोचा गया ये तो!" मैंने हांफते हुए कहा
"अरे नहीं दीदी, ऐसे कैसे चला जायेगा! मेहनत की खाती हूं दीदी, चोरी करके अपने ईमान पर लात नहीं मारूंगी"
"सॉरी, मेरा वो मतलब नहीं था...थैंक यू!" मैंने मेहंदी वाली को गले लगा लिया। शायद मेरी शर्मिंदगी थी या सच में मैं भावुक हो गई थी...मैंने फ़ोन का कैमरा ऑन किया और सेल्फी लेने लगी।
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"तुम्हें याद रखने के लिए...स्माइल करो!"
क्लिक
मेहंदी वाली शर्मा गई, बेचारी, कितनी मासूम हैं, शर्म से मुंह पर हाथ रख दिया।
"अरे! चलो एक और लेते हैं..." मैंने हंस कर कहा
"नहीं-नहीं दीदी, मुझे तो शर्म आती हैं...मैं चलती हूं। बाय"
मेहंदी वाली सरपट चली गई, ऐसी भी क्या जल्दी हो गई इसे? मैं सोच ही रही थी कि लिफ्ट खुल गई और मुझे भाभी का ख्याल आया! जल्दी से जाकर उन्हें बता दूं कि फोन मिल गया हैं!
"नुकसान होते-होते बच गया आरती" ऋषभ भैया हिदायत देने का मौका नहीं छोड़ते।
"हां, पर हुआ तो नहीं न!" मैंने मुंह बना कर कहा
"प्लीज तुम लोग लड़ना मत अब! ठीक है? प्लीज बेबी मेरे हाथ में खुजली कर दो!" भाभी ने आदतन भैया को प्यार से बोला। पास बैठी दादी के कान खड़े हो गए, और जैसे ही भैया-भाभी की मदद को उठे, दादी तपाक से बोलीं, "मां - बच्चे के बीच तू क्यों उठ गया, उसने अपने बेबी से बोला है!" हम सब ज़ोर से हंस पड़े।
टिंग टिंग
मेरे फ़ोन में मैसेज आया। किसी नंबर से whatsapp आया था। " हेलो बेबी"
हैं? ये कौन था? अजीब बात है, यहां अभी हम बेबी चुटकुले पर हंस रहे थे और तभी मेरे फ़ोन पर ये मैसेज।
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"क्या हुआ आरती? एवरीथिंग ओके?" भाभी ने मेरी शक्ल देखकर बोला
"आ...हां हां...सब ठीक है भाभी" मैंने फ़ोन बंद कर दिया, "दिखाओ, मेहंदी कैसी रची है?"
ऋषभ भैया भाभी के साथ रुक रहे थे, हम लोग घर आ गए। कपड़े बदलकर मैं सोने ही लगी थी कि सोचा एक बार फ़ोन ऑन कर लूं।
टिंग टिंग टिंग टिंग टिंग टिंग...
इतने सारे whatsapp मैसेज बज उठे। सब उसी अनजान नंबर से।
"जानेमन...बात तो करो हमसे"
"बोल ना! आ जाऊं मिलने?"
ये क्या बकवास है? मेरा सिर घूम गया। इस नंबर से कोई मुझे अश्लील मैसेज भेज रहा था।
कांपते हाथों से मैंने मैसेज को स्क्रॉल किया, ये क्या? कुछ फोटोज भी थीं। ज़रूर अश्लील फोटोज भेजी होंगी। मैं सब डिलीट करने जा ही रही थी कि तभी एक फोटोडाउनलोड हो गई। ये क्या? ये तो मेरी फोटो है! अभी दो-चार दिन पहले मैं ऑफिस जाने ले लिए तैयार हुई थी तो शीशे के सामने खड़ी होकर एक सेल्फी ली थी। ये वही फोटो थी। लेकिन ये इस नंबर से मुझे कैसे आई? मैंने दूसरी फोटोज देखीं। मेरा डर सही साबित हुआ। बाकी की सारी फोटोज भी मेरी थी। ये क्या हो रहा था? और कैसे?
एक ही इंसान इसका जवाब दे सकता था।
"कौन है? और मेरी फोटो तुम्हारे पास कैसे आई?" मैंने whatsapp पर जवाब डाल दिया।
मुश्किल से एक-दो सेकंड बीते होंगे कि मैसेज का जवाब आ गया।
टिंग टिंग
जवाब में एक और फोटो आई। इस फोटो को देख, मेरे रोंगटे खड़े हो गए। फोटो मेरी लग रही थी, मतलब शक्ल तो मेरी थी, पर बॉडी किसी की जिसने बस नाम के कपड़े पहने हों। देखने वाले को ऐसा ही लगेगा कि ये मैं हूं।
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"ये सब क्या हैं? मैंने पूछा तुम कौन हो?" मैंने जवाब लिखा
"हम तो तेरे आशिक हैं सदियों पुराने...क्या लगती हो बेबी"
एकदम से ऐसा लगा जैसे दस किलो वजन मेरी छाती पर पड़ गया हो, हाथ ठंडे पड़ गए और मुंह सूख गया।
टिंग टिंग
"लगता है डार्लिंग कई दिनों से फेसबुक DP चेंज नहीं की है। कहो तो कर दें?"
क्या?? ये जो भी है, इसके पास मेरी फोटोज ही नहीं बल्कि मेरे फेसबुक की एक्सेस भी है? ऐसा कैसे हो सकता है?
मैंने तुरंत फ़ोन मैं फेसबुक खोला, पर ये क्या? मैं तो अपना अकाउंट खोल ही नहीं पा रही थी। पासवर्ड बदल चुका था, जबकि मैंने पासवर्ड चेंज नहीं किया था।
हे भगवान! ये क्या हो रहा था? ऐसा कैसे हो सकता है?
क्या आप समझ पाई हैं कि मेरे साथ ऐसा कैसे हुआ? कैसे मेरी फोटोज और मेरा फेसबुक अकाउंट किसी अनजान के हाथ लग गया? अगर हां, तो कमेंट्स में लिखकर ज़रूर बताइयेगा।
पर बात यहीं तक नहीं रुकी। इस कहानी में और भी पेचीदा मोड़ बाकी है...जानने के लिए जुड़े रहिये मेरी हेलो डायरी से! आप इस लिंक पर क्लिक करके कमेंट कर सकतेे हैं
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