
GRAP Rules And Regulations : दिल्ली एनसीआर में सर्दी के साथ ही प्रदूषण का स्तर भी दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इसके प्रभाव को कम करने के लिए कुछ दिन पहले आर्टिफिशियल बारिश कराई गई थी, लेकिन इसके भी कुछ खास राहत मिली थी। बढ़ते वायु प्रदूषण की हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार यानी आज भी सुबह के समय दिल्ली के अधिकतर इलाकों में एक्यूआई 400 के आस-पास रहा। बीते दिन इसके कारण दिल्ली के दफ्तरों के समय में बदलाव और वर्क फ्रॉम होम की खबर सामने आई थी। वहीं अब ऐसा है कि अगर ग्रैप-3 लागू किया जाता है तो दिल्ली के स्कूल-कॉलेज बंद हो सकते हैं। अब ऐसे में सवाल आता है कि ग्रैप क्या है और इसे लागू करने को लेकर नियम क्या हैं। आखिर वह कौन सी स्थिति पर जब इसे लगाया जाता है। आज के इस लेख में हम आपको ग्रैप से जुड़ी जरूरी जानकारी के बारे में बताने जा रहे हैं।

ग्रैप का अर्थ ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान होता है। यह योजना वायु प्रदूषण के लेवल को बताती है जैसे खराब, बहुत खराब, गंभीर और गंभीर से भी ज्यादा।
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ग्रैप लेवल उस दौरान लागू किया जाता है जब शहर की हवा व्यक्ति के नुकसान पहुंचाने वाली होती है। इसे वायु गुणवत्ता के आधार पर प्रतिबंध लगाने और इसे कम करने के लिए विशिष्ट उपाय लागू किए जाते हैं।
केंद्रीय प्रदूषण एवं नियंत्रण बोर्ड द्वारा एक्यूआई के वर्गीकरण के अनुसार 0 से 50 को अच्छा, 51 से 100 को संतोषजनक, 101 से 200 को मध्यम माना जाता है। वहीं 201 से 300 को खराब इस दौरान GRAP 1 लागू होता है। इसके बाद ग्रैप-2, 301 से 400 पर लगाया जाता है, जिसका अर्थ वायु बहुत खराब है। इसके अलावा जब प्रदूषण 401 से 500 को गंभीर, जिसे ग्रैप-3 में रखा जाता है और 450 से अधिक एक्यूआई होने पर गंभीर प्लस की श्रेणी, जिसे ग्रैप-4 कहा जाता है।

अगर बात करें सबसे खतरनाक ग्रैप स्तर की तो वह है ग्रैप-4। यह उस दौरान लागू होता है जब एक्यूआई 450 से अधिक हो जाता है। यह स्वास्थ्य पर अत्यंत गंभीर प्रभाव डालता है और इसे रोकने के लिए सरकारें सबसे सख्त जैसे निर्माण/उद्योगों पर पूर्ण प्रतिबंध, ऑड-ईवन योजना और उपाय लागू करती हैं।
GRAP लागू होने पर, सबसे पहले और महत्वपूर्ण पाबंदी निर्माण और तोड़-फोड़ जैसे गतिविधियों पर लगाई जाती है। GRAP के पहले स्तर पर धूल नियंत्रण उपायों का पालन अनिवार्य कर दिया जाता है। वहीं इसके बाद जैसे GRAP 3/4 में अधिकांश बड़े निर्माण कार्य पूरी तरह से बंद कर दिए जाते हैं। इसके अलावा, प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन जैसे कोयला, लकड़ी का उपयोग करने वाली इंडस्ट्रियल कामों, ईंट भट्टों और होटलों के खुले भोजनालयों पर भी पाबंदी लगाई जाती है, ताकि धूल और धुएं को तुरंत कम किया जा सके।

अगर दिल्ली में ग्रैप-3 लागू किया जाता है तो गैर जरूरी निर्माण काम, ध्वस्तीकरण, पुराने डीजल वाहनों पर रोक लगाई जाएगी। इसके साथ ही सीमेंट, बालू जैसे सामानों की लाने-ले जाने पर रोक, अंतरराज्यीय डीजल बसों पर रोक लगाई जाती है। साथ ही आपात सेवाओं को छोड़कर डीजल जनरेटरों पर रोक लगाई जाती है।
वहीं कक्षा 5 तक के स्कूल बंद कर ऑनलाइन मोड में पढ़ाई कराई जाएगी। कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम या हाइब्रिड मोड में की जा सकती है।
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Image Credit- Freepik, Herzindagi
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