गणेश चतुर्थी का उत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन गणेश जी का जन्म हुआ था। आप हमेशा पूजा का आरंभ श्री गणेश की पूजा से ही करते होंगे। श्री गणेश जी को यह आशीर्वाद अपने पिता भगवान शिव जी से ही मिला था।
लेकिन एक समय ऐसा भी था जब श्री गणेश पर भगवान शिव बहुत क्रोधित हो उठे थे और उन्होंने क्रोध में श्री गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया था। जिसके बाद श्री गणेश को हाथी का सिर लगाया गया था और उन्हें एक नया जीवन मिला था। लेकिन क्या आपको पता है कि श्री गणेश जी के धड़ में लगाने के लिए हाथी का सिर कौन ले कर आया था? इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कौन श्री गणेश के लिए हाथी का सिर ले कर आया था।
एक बार शिव जी की पत्नी पार्वती जी ने स्नान करने से पहले अपने शरीर पर उबटन लगाया। फिर उस उबटन से एक प्रतिमा का निर्माण किया था। माता ने प्रतिमा को अति सुंदर रूप दिया और फिर उस प्रतिमा में अपनी शक्तियों से प्राण डाल दिए थे। प्रतिमा में प्राण आने के बाद वह प्रतिमा एक बालक के रूप में बन गई थी। यह बालक थे भगवान गणेश जी। माता पार्वती ने गणेश जी को कहा था कि 'तुम मेरे पुत्र हो और तुम्हें केवल मेरी ही आज्ञा का पालन करना होगा'। उसके बाद माता पार्वती स्नान करने के लिए जाने लगी। स्नान ग्रह में जाने से पहले माता पार्वती ने बालक से कहा कि 'तुम्हें किसी को भी अंदर आने की अनुमति नहीं देनी है'।
इसके बाद माता स्नान के लिए चली गई और थोड़ी देर बाद उस स्थान पर भगवान शिव ने प्रस्थान किया। भगवान शिव पार्वती जी के भवन में प्रवेश करने ही जा रहे थे लेकिन तभी गणेश जी ने माता पार्वती की आज्ञा का पालन करते हुए भगवान शिव जी को रास्ते पर ही रुकने को कहा। भगवान शिव ने कई बार गणेश जी से अंदर प्रवेश करने के लिए आग्रह किया।
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यही नहीं कई देवताओं ने भी गणेश जी को समझाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने किसी की भी आज्ञा को माता पार्वती की आज्ञा से ऊपर नहीं रखा। इसके बाद क्रोधित होकर भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से गणेश जी का सिर उनके धड़ से अलग कर दिया। तभी पार्वती माता स्नान करने के बाद भवन से बाहर आई जब उन्होंने यह सब देखा तो वह विलाप करने लगी। जिसके बाद भगवान शिव ने श्री गणेश की धड़ में हाथी का सिर लगाकर उन्हें जीवित कर दिया था।
श्री गणेश को हाथी का सिर लगाकर फिर से जीवित तो कर दिया गया था। लेकिन सवाल यह भी उठता है कि श्री गणेश के लिए हाथी का सिर लेकर कौन आया था? तो आपको बता दें कि माता पार्वती ने अति दुखी होकर और क्रोधित होते हुए कहा कि 'जिस किसी का भी सिर सबसे पहले मिले उसे लाकर गणेश की धड़ में लगा दो'। तब सभी देवता जंगल में जाकर गणेश जी के लिए मस्तक ढूंढने लगें।
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फिर भगवान विष्णु जी ने भद्रा नदी के पास जंगल में जाकर खोज शुरू कर दी और तब उन्हें एक हाथी नजर आया था जिसका सिर विष्णु जी ने उसके धड़ से अलग कर दिया और गणेश जी के लिए ले आए थे। उसके बाद भगवान शिव ने श्री गणेश की धड़ में हाथी का सिर लगाकर उन्हें जीवित कर दिया था। इस वजह से श्री गणेश को गजानन भी कहा जाता है।
माना जाता भगवान गणेश जी का सिर एक गुफा में है जो पटल भुवनेश्वर के नाम से जाना जाता है जो उत्तराखंड में स्थित है।
तो यह थी श्री गणेश के जीवन से संबंधित जानकारी।
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Image Credit- sonyliv/freepik
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