
श्री राधा रानी का नाम जब भी आता है तो मन में भक्ति भाव के साथ-साथ अलग-अलग रहस्यों से जुड़े प्रश्न भी आते हैं जैसे कि क्या उनका विवाह श्री कृष्ण से हुआ था? या क्या श्री राधा रानी ने श्री कृष्ण को श्राप दिया था? इतना ही नहीं, कई प्रश्न तो उनके जन्म से जुड़े भी हैं। हालांकि ज्यादातर लोगों को यही पता है कि राधा रानी का जन्म बरसाना के रावल गांव में हुआ था, लेकिन पृथ्वी पर जन्म लेने से पहले गोलोक में कैसे अवतरित हुई थीं राधा रानी ये किसी को नहीं पता। तो चलिए जानते हैं इस बारे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से विस्तार में।

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार श्री कृष्ण गोलोक में शीशे के सामने खड़े होकर अपना श्रृंगार कर रहे थे अचानक से श्री कृष्ण के मन में यह आया कि अगर वह किसी स्त्री की तरह सजते हैं तो क्या वह उतने ही सुंदर दिखेंगे जीतने की वह अपने कृष्ण रूप में दिखते हैं।
अपनी इसी उत्कंठा को शांत करने के लिए श्री कृष्ण ने स्त्री रूप धारण किया और स्त्रियों की भांति वस्त्र यानी की साड़ी पहनने के बाद जब उन्होंने अपने मुख का श्रृंगार करना शुरू किया और अंत में काजल लगाया तो उनके काजल लगाने से जो नेत्रों में उर्जा उत्पन्न हुई उस ऊर्जा का तेज इतना तीव्र था कि वह शीशे से टकराकर एक स्त्री रूप में आ गई।
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एक दिव्या स्वर्ण जैसी काया लाखों चंद्रमाओं की शीतलता को भी स्पष्ट कर देने वाला मुख पर तेज और करोड़ों सूर्य की भांति चमकती आंखें ऐसा दिव्य रूप देख श्री कृष्ण अचंभित और साथ में मंत्र मुग्ध हो गए।

श्री कृष्ण के नेत्रों के तेज से उत्पन्न हुई वह और कोई नहीं स्वयं श्री राधा रानी ही थीं। अपने तेज से उत्पन्न हुई इतनी सुंदर और अलौकिक स्वरूप वाली स्त्री को देखकर श्री कृष्ण मोहित हो बैठे और उनके हृदय में प्रेम भाव की उत्पत्ति हुई।
चूंकि श्री राधा रानी काजल की धार से प्रकट हुई थीं और श्री कृष्ण के रोम रोम में जा बसी थी इसलिए श्री कृष्ण ने उन्हें प्रेम से राधा नाम दिया। तभी से श्री राधा कृष्ण गोलोक में निरंतर निवास करते आ रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि श्री कृष्ण की प्रेम इच्छा से राधा रानी का अवतरण हुआ था, इसलिए उनकी समस्त प्रेम लीलाएं श्री राधा रानी के साथ हैं।
शास्त्रों में भी इस बात का उल्लेख मिलता है कि जो भी व्यक्ति पूर्ण प्रेम भाव और समर्पण से श्री राधा कृष्ण की पूजा करता है उसे न सिर्फ राधा रानी और कान्हा की असीम कृपा प्राप्त होती है बल्कि गोलोक में उनके श्री चरणों का वास भी मिलता है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी यह बताया गया है कि पृथ्वी पर जन्म लेने से पहले श्री कृष्ण से ही राधा रानी ने गोलोक में अवतरण लिया था। यही कारण है कि श्री राधा रानी को न सिर्फ श्री कृष्ण की अनन्य ऊर्जा माना जाता है बल्कि श्री कृष्ण के अर्ध अंग के रूप में जाना जाता है।
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