
भगवान गणेश जिन्हें विघ्नहर्ता और प्रथम पूज्य माना जाता है माता पार्वती के अत्यंत प्रिय और आज्ञाकारी पुत्र हैं। उनका जन्म माता पार्वती ने अपने शरीर के मैल और दिव्य शक्ति से किया था। मां और पुत्र का यह संबंध अत्यंत पवित्र और अनोखा है और इसमें ममता और भक्ति का गहरा भाव छिपा है। भगवान गणेश ने अपनी मां की आज्ञा का पालन करने के लिए अपना मस्तक भी कटवा दिया था जिसके बाद उन्हें हाथी का सिर लगाकर पुनर्जीवित किया गया और सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय होने का वरदान मिला। ऐसा कहा जाता है कि माता पार्वती ने श्री गणेश को एक मां के तौर पर सभी प्रकार की शिक्षा प्रदान की और श्री गणेश ने भी एक पुत्र के तौर पर उन सभी शिक्षाओं को ग्रहण किया, लेकिन एक घटना ऐसी भी है जब श्री गणेश ने अपनी मां माता पार्वती को एक वरदान दिया था। आइये जानते हैं इस कथा के बारे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान गणेश ने अपनी माता देवी पार्वती को एक बहुत ही विशेष और महत्वपूर्ण वरदान दिया था। यह वरदान विशेष रूप से संकष्टी चतुर्थी के व्रत से संबंधित है जिसे माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, सुख और समृद्धि के लिए रखती हैं।

जब माता पार्वती ने अपने पुत्र गणेश के लिए एक विशेष व्रत और पूजा की थी जिसे आज संकष्टी चतुर्थी के रूप में जाना जाता है, तब गणेश जी अपनी मां की भक्ति और प्रेम से अत्यंत प्रसन्न हुए थे। प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने अपनी माता पार्वती को एक अत्यंत दिव्य वरदान दिया।
यह भी पढ़ें: Ganesh Ji Ki Puja: घर के मंदिर में कलावे के रूप में क्यों रखे जाते हैं गणेश जी?
वरदान अनुसार, संसार की जो भी नारी इस संकष्टी चतुर्थी का व्रत और पूजन पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से करेगी उसे श्री गणेश के भांति ही आज्ञाकारी, स्नेही, दीर्घायु और यशस्वी संतान की प्राप्ति होगी। साथ ही, माताओं पर हमेशा देवी पार्वती की असीम कृपा भी बनी रहेगी।

इस वरदान के माध्यम से गणेश जी ने अपनी मां के मातृत्व सुख को संसार की सभी माताओं तक पहुंचाने का आशीष दिया। यह वरदान न केवल संतान की प्राप्ति के लिए था बल्कि संतान के जीवन के सभी संकटों को हरने वाला भी था क्योंकि गणेश स्वयं 'विघ्नहर्ता' हैं।
यह भी पढ़ें: पंचमुखी गणेश प्रतिमा में गणपति के कौन-कौन से रूप हैं?
इसलिए, आज भी संकष्टी चतुर्थी के दिन माताएं श्री गणेश का व्रत करती हैं ताकि उन्हें और उनकी संतान को गणेश जी जैसा सुख, सौभाग्य और सभी प्रकार के विघ्नों से मुक्ति प्राप्त हो सके। यह वरदान माता पार्वती को पुत्र-प्रेम की पराकाष्ठा के रूप में मिला प्राप्त हुआ था।
अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
image credit: herzindagi
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।