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गणेश जी ने अपनी ही मां देवी पार्वती को कौन सा वरदान दिया था?

ऐसा कहा जाता है कि माता पार्वती ने श्री गणेश को एक मां के तौर पर सभी प्रकार की शिक्षा प्रदान की और श्री गणेश ने भी एक पुत्र के तौर पर उन सभी शिक्षाओं को ग्रहण किया, लेकिन एक घटना ऐसी भी है जब श्री गणेश ने अपनी मां माता पार्वती को एक वरदान दिया था। 
Editorial
Updated:- 2025-11-18, 13:31 IST

भगवान गणेश जिन्हें विघ्नहर्ता और प्रथम पूज्य माना जाता है माता पार्वती के अत्यंत प्रिय और आज्ञाकारी पुत्र हैं। उनका जन्म माता पार्वती ने अपने शरीर के मैल और दिव्य शक्ति से किया था। मां और पुत्र का यह संबंध अत्यंत पवित्र और अनोखा है और इसमें ममता और भक्ति का गहरा भाव छिपा है। भगवान गणेश ने अपनी मां की आज्ञा का पालन करने के लिए अपना मस्तक भी कटवा दिया था जिसके बाद उन्हें हाथी का सिर लगाकर पुनर्जीवित किया गया और सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय होने का वरदान मिला। ऐसा कहा जाता है कि माता पार्वती ने श्री गणेश को एक मां के तौर पर सभी प्रकार की शिक्षा प्रदान की और श्री गणेश ने भी एक पुत्र के तौर पर उन सभी शिक्षाओं को ग्रहण किया, लेकिन एक घटना ऐसी भी  है जब श्री गणेश ने अपनी मां माता पार्वती को एक वरदान दिया था। आइये जानते हैं इस कथा के बारे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।

श्री गणेश ने माता पार्वती को क्या वरदान दिया था? 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान गणेश ने अपनी माता देवी पार्वती को एक बहुत ही विशेष और महत्वपूर्ण वरदान दिया था। यह वरदान विशेष रूप से संकष्टी चतुर्थी के व्रत से संबंधित है जिसे माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, सुख और समृद्धि के लिए रखती हैं।

ganesh ji ne mata parvati ko kaun sa vardan diya tha

जब माता पार्वती ने अपने पुत्र गणेश के लिए एक विशेष व्रत और पूजा की थी जिसे आज संकष्टी चतुर्थी के रूप में जाना जाता है, तब गणेश जी अपनी मां की भक्ति और प्रेम से अत्यंत प्रसन्न हुए थे। प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने अपनी माता पार्वती को एक अत्यंत दिव्य वरदान दिया।

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वरदान अनुसार, संसार की जो भी नारी इस संकष्टी चतुर्थी का व्रत और पूजन पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से करेगी उसे श्री गणेश के भांति ही आज्ञाकारी, स्नेही, दीर्घायु और यशस्वी संतान की प्राप्ति होगी। साथ ही, माताओं पर हमेशा देवी पार्वती की असीम कृपा भी बनी रहेगी।

ganesh ji ne devi parvati ko kaun sa vardan diya th

इस वरदान के माध्यम से गणेश जी ने अपनी मां के मातृत्व सुख को संसार की सभी माताओं तक पहुंचाने का आशीष दिया। यह वरदान न केवल संतान की प्राप्ति के लिए था बल्कि संतान के जीवन के सभी संकटों को हरने वाला भी था क्योंकि गणेश स्वयं 'विघ्नहर्ता' हैं।

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इसलिए, आज भी संकष्टी चतुर्थी के दिन माताएं श्री गणेश का व्रत करती हैं ताकि उन्हें और उनकी संतान को गणेश जी जैसा सुख, सौभाग्य और सभी प्रकार के विघ्नों से मुक्ति प्राप्त हो सके। यह वरदान माता पार्वती को पुत्र-प्रेम की पराकाष्ठा के रूप में मिला प्राप्त हुआ था। 

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गणेश जी को दूर्वा चढ़ाते हुए कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?
गणेश जी को दूर्वा चढ़ाते समय 'इदं दूर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः' मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
गणेश जी की सवारी मूषक का क्या नाम है?
गणेश जी की सवारी मूषक का नाम क्रौंच नाम है।
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