Maa Lakshmi Puja Vidhi or Vrat Niyam 2024: इस विधि से करें मां लक्ष्मी की पूजा, शुक्रवार व्रत में रखें इन नियमों का ध्यान

सप्ताह का हर एक दिन किसी न किसी देवी या देवता को समर्पित है। साथ ही, नव ग्रहों में से हर एक ग्रह हफ्ते के प्रत्येक दिन का प्रतिनिधित्व करता है। ठीक ऐसे ही शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित है और इस दिन के ग्रह स्वामी हैं शुक्र।  

maa lashmi puja niyam
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Shukrawar Puja Vidhi And Vrat Niyam: सप्ताह का हर एक दिन किसी न किसी देवी या देवता को समर्पित है। साथ ही, नव ग्रहों में से हर एक ग्रह हफ्ते के प्रत्येक दिन का प्रतिनिधित्व करता है। ठीक ऐसे ही शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित है और इस दिन के ग्रह स्वामी हैं शुक्र। शुक्रवार की पूजा एवं व्रत मां लक्ष्मी को अर्पित किया जाता है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं शुक्रवार की संपूर्ण पूजा विधि और उससे जुड़े नियमों के बारे में।

शुक्रवार की पूजा विधि

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शुक्रवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिरमां लक्ष्मीका ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। शुक्रवार के दिन लाल रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है। इसके अलावा, आप गुलाबी रंग के कपड़े भी धारण कर सकते हैं। इसके बाद पूजा की तैयारियां करें।

एक चौकी लें और उस चौकी को गंगाजल से शुद्ध कर लें। फिर उस चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। फिर चौकी पर मां लक्ष्मी को विराजित करें और उन्हें स्नान कराएं। मां लक्ष्मी को नए वस्त्र धारण कराएं और उनका श्रृंगार करें। मां लक्ष्मी को फूल, रोली, लाल बिंदी, चुनरी, चूड़ी आदि चढ़ाएं।

फिर मां लक्ष्मी को कमल के फूल की माला या कमल का फूल अर्पित करें। मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें। मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं। फिर मां लक्ष्मी की आरती उतारें और शुक्रवार की व्रत कथा अवश्य पढ़ें। अंत में भोग को प्रसाद के रूप में वितरित करें।

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जितनी जरूरी मां लक्ष्मी की पूजा विधि है उतना ही जरूरी है शुक्रवार व्रत से जुड़े नियमों का पालन करना। आपको बस तीन महत्वपूर्ण नियमों का ध्यान रखना है। पहला ये कि आपको शुक्रवार व्रत में किसी भी प्रकार के अपशब्दों के प्रयोग से बचना है। किसी का भी अपमान नहीं करना है।

दूसरा यह कि शुक्रवार व्रत में किसी भी प्रकार की खट्टी चीज न खाएं फिर चाहे वह व्रत की ही क्यों न हो और तीसरा यह कि शुक्रवार व्रत के समापन के बाद दान अवश्य करें। बिना दान किये शुक्रवार का व्रत संपूर्ण नहीं माना जाता है। आप चाहें तो दान में अन्न, वस्त्र, धन दे सकते हैं।

आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से शुक्रवार की संपूर्ण पूजा विधि और नियम के बारे में जान सकते हैं। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: herzindagi

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