दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से धन की देवी माता लक्ष्मी और शुभ-लाभ के देवता भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन शुभ मुहूर्त में पूरे विधि-विधान से मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने पर घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मकता का वास होता है। धन-धान्य से घर हमेशा भरा रहता है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि दिवाली की पूजा कैसे करें और क्या है संपूर्ण विधि?
सबसे पहले पूजा स्थान को अच्छी तरह से साफ करके पवित्र कर लें। पूरे घर और पूजा स्थल पर गंगाजल का छिड़काव करें। एक लकड़ी की चौकी लें और उस पर लाल या पीला साफ कपड़ा बिछाएं।
चौकी पर माता लक्ष्मी की दाईं ओर और भगवान गणेश की बाईं ओर नई मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। गणेश जी को पहले पूजनीय माना जाता है इसलिए उन्हें लक्ष्मी जी के बाईं ओर रखा जाता है।
इनके साथ धन के देवता कुबेर, मां सरस्वती और एक कलश भी स्थापित करें। एक कलश लें उसमें जल भरें और एक सुपारी, सिक्का, अक्षत और फूल डालें। कलश के मुख पर आम के पांच पत्ते रखें।
इसकेबाद कलश के ऊपर एक नारियल रखें। कलश पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। माता लक्ष्मी के सामने घी का एक बड़ा अखंड दीपक जलाएं जिसे पूरी रात जलता रहने देने का प्रयास करना चाहिए।
अपने हाथ में जल, फूल और चावल लें। अपना नाम, गोत्र, स्थान का नाम और समय बोलकर यह संकल्प लें कि आप किस उद्देश्य से यह लक्ष्मी-गणेश पूजन कर रहे हैं। इसके बाद जल को जमीन पर छोड़ दें।
सभी मूर्तियों, पूजा सामग्री और स्वयं पर गंगाजल या शुद्ध जल छिड़ककर शुद्ध करें। इससे पूजा में शुद्धता बढ़ेगी और घर में दैवीय ऊर्जा का वास स्थापित होगा। पूजा में कोई दोष नहीं लगेगा।
सबसे पहले विघ्नहर्ता भगवान गणेश का पूजन करें। उन्हें पीला चंदन या कुमकुम से तिलक लगाएं। उन्हें पीले फूल और दूर्वा अर्पित करें। गणेश जी को मोदक चढ़ाएं। 'ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र का जाप करें।
दिवाली के दिन अगर मां लक्ष्मी की नई मूर्ति मिट्टी की न हो तो उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं। फिर शुद्ध जल से स्नान कराकर साफ कपड़े से पोंछकर पुनः स्थापित करें। माता लक्ष्मी को लाल चंदन, कुमकुम और अक्षत चढ़ाएं।
उन्हें लाल वस्त्र, लाल फूल, कमल गट्टे की माला और आभूषण अर्पित करें। माता को नारियल, सुपारी, पान के पत्ते, फल, बताशे, खीर या सफेद मिठाई, इत्र, लौंग-इलायची आदि अर्पित करें।
तिजोरी में रखने के लिए कुछ सिक्के या रुपए भी माता के सामने रखें। 'ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः' या 'ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः' मंत्र का जाप करें।
पूजा के अंत में धन के देवता कुबेर का भी विधिवत पूजन करें। उनकी मूर्ति या तिजोरी पर तिलक लगाकर 'ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये नमः' मंत्र का जाप करें।
सबसे पहले भगवान गणेश की आरती करें। उसके बाद माता लक्ष्मी की आरती करें। आरती के बाद, भूल-चूक के लिए क्षमा मांगे और हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि माता लक्ष्मी और गणेश जी का आशीर्वाद सदैव आपके घर पर बना रहे।
पूजा के बाद भोग को प्रसाद के रूप में सभी को वितरित करें। जलाए गए दीपों को घर के हर कोने में रखें। रात भर जलने वाली अखंड ज्योत का ध्यान रखें। अगले दिन सुबह शुभ मुहूर्त में मूर्ति का विसर्जन करें या अगर आप हर साल पूजा करते हैं तो विधि अनुसार उनका स्थान परिवर्तन करें।
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