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Eid ul Adha (Bakra Eid) Kab Hai 2023: बकरा ईद की सही तारीख, महत्व और इतिहास जानें

बकरा ईद साल में एक बार आने वाला त्यौहार है, जिसे बेहद खास तरीके से मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस बार किस दिन बकरा ईद पड़ रही है और इसका क्या ऐतिहासिक महत्व है।&nbsp; <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2023-06-28, 22:25 IST

बकरा ईद का त्यौहार मुस्लिम समुदाय का दूसरा खास त्यौहार है, जिसे ईद-उल-अजहा के नाम से भी जाता है। बकरा ईद के दिन उस लम्हे का जश्न मनाया जाता है जब मुहम्मद साहब का खुदा ने इम्तिहान लिया था और उनके खुद के बेटे की जगह एक बकरे की कुर्बानी दी थी। तभी से इस दिन मुस्लिम समुदाय बकरा ईद का जश्न मनाता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि यह दिन मुस्लिम समुदायों के लिए क्यों खास है।

कब है ईद-उल-अजहा (बकरा ईद) 2023? (Eid ul Adha Kab Hai 2023)

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यह तो हम सभी जानते हैं कि बकरा ईद का त्यौहार चांद पर निर्भर करता है और इसका अंदाजा इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार लगाया जाता है। हालांकि, बकरा ईद का चांद 10 दिन पहले नजर आ जाता है।

हमें 19 जून को पता लग जाएगा कि त्यौहार किस दिन पड़ रहा है। बाकी कहा जा रहा है कि इस बार बकरा ईद का त्यौहार भारत में 29 जून 2023 यानी गुरुवार के दिन मनाया जाएगा।

बकरा ईद मनाने की वजह

मुस्लिम ग्रंथ के अनुसार इस दिन हलाल जानवर की कुर्बानी दी जाती है। इसके पीछे की कहानी यह है कि हज़रत इब्राहिम को अल्लाह ने आदेश दिया था कि वो अपने बेटे हज़रत इस्माइल को कुर्बान कर दें। 

हज़रत इब्राहिम अल्लाह का यह हुक्म माना और अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए। हालांकि, जब हज़रत इब्राहिम कुर्बानी दे रहे थे तब बीच में बकरा आ गया और कुर्बान हो गया। इस वाकये के बाद इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है। 

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क्या है बकरा ईद की खासियत? 

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ईद-उल-अजहा की खासियत यह है मुस्लिम समुदाय में होने वाला हज भी इसी दौरान होता है। सऊदी अरब में भी लोग हज के दौरान कुर्बानी देते हैं। आपको बता दें कि कुर्बानी देने का यह इस्लामिक तरीका है। इस प्रक्रिया के दौरान पहले जानवर को अच्छे से खिलाया जाता है।

फिर दुआ पढ़कर काबे की तरफ मुंह करके जानवर को लिटाया जाता है। फिर अल्लाह का नाम लेकर ज़बह किया जाता है। (मक्का-मदीना में हिंदुओं का जाना क्यों मना है)

कुर्बानी किन पर वाजिब है? 

कुर्बानी उन मुसलमान औरतों और मर्दों पर वाजिब कर दी गई है जो लोग ज़कात देते हैं। आप अपने नाम से और अपने मां-बाप के नाम से भी कुर्बानी कर सकते हैं। बस आपकी नियत का पाक होना बहुत जरूरी है। 

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ज़कात क्या है?

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अल्लाह ने इंसान की आमदनी में से एक हिस्सा किसी फकीर या जरूरतमंद के लिए रखा है, जिसे इस्लामिक भाषा में ज़कात कहा है। ज़कात उन लोगों को दी जाती है जो आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं। 

 

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