भारत में कई ऐसे प्राचीन मंदिर हैं जो न सिर्फ चमत्कारी हैं बल्कि उनसे जुड़े कई ऐसे रहस्य भी हैं जिनका आधार समझ पाना आज भी किसी के लिए संभव नहीं है। आज हम इस लेख में आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां देवी मां के पाटन वस्त्र की विचित्र पूजा की जाती है। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि कहां है ये मंदिर, क्या है इसकी मान्यता और इस मंदिर से संबंधित चमत्कार एवं रहस्य।
कहां होती है देवी मां के पाटन वस्त्र की पूजा?
माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है पाटन देवी मंदिर जिसे मां पाटेश्वरी शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भारत और नेपाल की सीमा पर मौजूद उत्तरप्रदेश के बलरामपुर जिले के तुलसीपुर जगह में स्थिति है।
देवी भगवत, स्कन्द और कलिका आदि पुराणों तथा शिव पुराण में भी देवी पाटन मंदिर शक्तिपीठ का उल्लेख मिलता है। इस स्थान पर माता सती का बायां स्कंध गिरा था। एक श्लोक के माध्यम से इस घटना की पुष्टि भी होती है।
यह श्लोक कुछ इस प्रकार है: पटेन सहित: स्कन्ध:, पपात यत्र भूतले। तत्र पाटेश्वरी नाम्ना, ख्यातिमाप्ता महेश्वरी।। माता सती के इस मंदिर की बहुत मान्यता है और यहां की जाने वाली पूजा भी बहुत चर्चित लेकिन रहस्यमयी है।
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क्या है पाटन देवी मंदिर की मान्यता?
इस मंदिर में माता सती की एक प्रतिमा स्थापित है। माता सती की प्रतिमा के सामने एक यज्ञ कुंड बना हुआ है जहां शिव जी स्थापित हैं। इस यज्ञ कुंड के सामने एक सुरंग जैसी है जहां माता सती का पाटन वस्त्र गिरा था।
सुरंग की दिशा पाताल की ओर है इसलिए इस मंदिर को पातालेश्वरी देवी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर को लेकर पौराणिक कथा है कि इस मंदिर में बने सूर्य कुंड में भगवान परशुराम और कर्ण ने स्नान किया था।
इसी कुंड में स्नान के बाद उन्हें दिव्य अस्त्र-शस्त्रों की प्राप्ति हुई थी। इस मंदिर को लेकर मान्यता यह भी है कि नवरात्रों के दौरान पंचमी से लेकर दशमी तिथि तक नाथ संप्रदाय के पुजारी नेपाल से आकर माता की पूजा करते हैं।
क्या है पाटन देवी मंदिर की पूजा का रहस्य?
पाटन देवी मंदिर में माता पाटेश्वरी की पूजा गुप्त रूप से की जाती है। ऐसा माना जाता है जिस सुरंग में माता का पाटन वस्त्र गिरा था वह रास्ता सीधा पाताल लोक में जाता है। इसलिए उसे बंद कर दिया है फ़िलहाल के लिए।
हां, मगर जब पहले के समय में पुजारी पूजा किया करते थे तो उस सुरंग में जाकर जी पूजा करते थे। मान्यता है कि उस सुरंग में सिर्फ पुजारी ही जा सकते थे। अन्य किसी भी व्यक्ति का जाना पूरी तरह से वर्जित था।
ऐसा माना जाता है कि जब पुजारी माता सती की पूजा के लिए पहले के समय में मंदिर की सुरंग में उतारते थे तब पाताल लोक से कई प्रकार की आवाजें आती थीं। यह ध्वनि इतनी तीव्र होती थी जो कानों को भेद दे।
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क्या है पाटन देवी मंदिर में माता के दर्शन के लाभ?
ऐसा माना जाता है कि भले ही सुरंग का द्वार अब बंद कर दिया गया हो लेकिन यहान मौजूद अष्ट भुजा देवी की प्रतिमा में साक्षात माता रानी का वास है। यहान मांगी हुई प्रार्थना या इच्छा कभी भी निष्फल नहीं जाती है।
इस मंदिर में मुंडन कराने का भी खासा महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में मुंडन कराने से व्यक्ति को उसके जीवन के दुखों से, कठिनाईयों से छुटकारा मिल जाता है। व्यक्ति का सौभाग्य जाग उठता है।
इसके अलावा, ऐसा माना जाता है कि अगर इस मंदिर में संकल्प लेकर मां दुर्गा के सप्तशती स्तोत्र का पाठ 51 बार किया जाए तो इससे व्यक्ति पर माता रानी के साथ भगवान शिव की भी असीम कृपा बनी रहती है।
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image credit: herzindagi, wikipedia
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