
दुनिया भर में शादी को लेकर कई रस्म निभाए जाते हैं। हल्दी, मेहंदी, संगीत, शादी, जूता छिपाई, सुहागरात से लेकर मुंह दिखाई तक, कई रस्में होती हैं, लेकिन एक ऐसा भी देश है जहां से आए दिन शादी को लेकर अजीबोगरीब रिवाजों के बारे में सुनने को मिलता है। जी हां, हम चीन की बात कर रहे हैं। चीन टेक्नोलॉजी के मामले में जहां सबसे आगे है, वहीं यहां की कई अजीबोगरीब चीजें भी सुनने को मिलती हैं।
यहां शादी से पहले दुल्हन के दांत तोड़ दिए जाते हैं। ये सुनने में भले ही चौंकाने वाला लग रहा हो, लेकिन चीन की एक जनजाति में ये परंपरा लंबे समय तक निभाई जाती रही है। आइए इस रिवाज के बारे में जानते हैं-
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ये रस्म चीन की गेलाओ जनजाति से जुड़ी हुई है। गेलाओ के लोग मुख्य रूप से चीन के साउथ वाले हिस्से, खासकर गुइझोउ प्रांत में रहते हैं। इसके अलावा वियतनाम में भी इस समुदाय के लोग पाए जाते हैं। ये जनजाति अपनी पुरानी परंपराओं और अलग पहचान के लिए पूरी दुनिया में फेमस भी है।
गेलाओ समुदाय में माना जाता था कि अगर शादी से पहले दुल्हन के ऊपर के आगे के एक या दो दांत नहीं तोड़े गए, तो इससे दूल्हे या उसके परिवार पर बुरा असर पड़ सकता है। कुछ लोगों का विश्वास था कि इससे परिवार की खुशहाली और आने वाली पीढ़ी पर भी असर पड़ता है। इसी डर और मान्यता की वजह से ये रस्म जरूरी मानी जाती थी।
कहते हैं कि लड़की जब 20 साल की हो जाती थी तभी से उसकी शादी की तैयारी शुरू कर दी जाती थी। ये रस्म उसी दौरान निभाई जाती थी। इसे इस बात का संकेत भी माना जाता था कि लड़की अब शादी के लिए तैयार है और बचपन से बाहर आ चुकी है।
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इस रस्म में लड़की के मामा अहम रोल प्ले करते थे। परंपरा के अनुसार, मामा को सम्मान के साथ घर बुलाया जाता था। एक छोटा सा हथौड़ा इस्तेमाल किया जाता था, जिससे दुल्हन के ऊपर के आगे के एक या दो दांत हल्के हाथ से तोड़े जाते थे। ये काम बहुत सावधानी से किया जाता था, ताकि ज्यादा चोट न लगे।
दांत टूटने के तुरंत बाद मसूड़ों पर एक खास तरह की औषधि या पाउडर लगाया जाता था, जिससे घाव जल्दी भरे और किसी तरह का इन्फेक्शन न हो।
इस परंपरा से जुड़ी एक पुरानी कहानी भी है। कहा जाता है कि बहुत पहले एक गेलाओ महिला शादी से पहले अपने समुदाय के लिए फल इकट्ठा कर रही थी। इसी दौरान वो चट्टान से गिर गई और उसके आगे के दांत टूट गए। उसकी बहादुरी और समर्पण से प्रभावित होकर समुदाय ने इस घटना को सम्मान का प्रतीक मान लिया और धीरे-धीरे ये एक रस्म बन गई।
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समय के साथ इस रस्म में काफी बदलाव देखे गए। आज के दौर में गेलाओ समुदाय के ज्यादातर लोग इसे व्यवहारिक रूप से नहीं निभाते हैं। कई जगहों पर तो ये रस्म सिर्फ प्रतीकात्मक रूप में रह गई है या पूरी तरह से बंद हो चुकी है।
भले ही ये परंपरा बाहरी दुनिया को अजीब या दर्दनाक लगे, लेकिन गेलाओ समुदाय के लिए ये उनकी संस्कृति, पहचान और इतिहास का हिस्सा रही है।
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Image Credit- Freepik/AI generated
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