होली का त्योहार फाल्गुन माह की पूर्णिमा पर मनाया जाता है। इस साल पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण लगने वाला है। ऐसे में ज्योतिष और वास्तुशास्त्र में इस दिन की खास महत्वता मानी जा रही है। लेकिन, यहां हम चंद्रग्रहण या होली के त्योहार के बारे में नहीं बल्कि, एक ऐसी खगोलीय घटना के बारे में बात करने जा रहे हैं, जो इस साल रंगों के त्योहार पर देखने को मिलने वाली है। जी हां, हम बात कर रहे हैं ब्लड मून के बारे में। 14 मार्च यानी होली के दिन चंद्रग्रहण है और इसी दिन ब्लड मून भी देखने को मिलने वाला है।
ब्लड मून का जिक्र आपने कई बार सुना होगा। लेकिन, यह क्या होता है और इसके पीछे का साइंस क्या है। यह बहुत कम लोग ही जानते हैं। दरअसल, ग्रहण के दौरान चंद्रमा पर जब लालिमा छा जाती है, तो उसे लाल चांद या ब्लड मून कहा जाता है। यह नजारा देखने में अद्भुत होता है। आइए, ब्लड मून के बारे यहां डिटेल से जानते हैं।
ब्लड मून एक खगोलीय घटना है, जिसमें चंद्रमा का रंग गहरा लाल या तांबे जैसा हो जाता है। यह घटना तब होती है जब पूर्ण चंद्रग्रहण अपने चरम पर होता है। यह खगोलीय घटना तब होती है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा एक सीधी लाइन में आ जाते हैं। सीधी लाइन में आने की वजह से पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है और सूर्य की ज्यादातर रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती है।
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इस खगोलीय घटना के दौरान, सूर्य की थोड़ी बहुत रोशनी छनकर पृथ्वी के वातावरण से होकर चंद्रमा तक पहुंचती। पृथ्वी के वातावरण से होकर गुजरने की वजह से ब्लू लाइट छन जाती है और केवल लाल या नारंगी रोशनी ही चंद्रमा पर पड़ती है, जिससे वह लाल या नारंगी दिखाई देता है। इसे ही ब्लड मून कहा जाता है। NASA के मुताबिक, ब्लड मून का समय बिल्कुल वैसा होता है जैसे पूरी धरती में सूर्यास्त और सूर्योदय के समय की रोशनी चांद पर पड़ रही हो।
पब्लिक डोमेन में मौजूद जानकारी के मुताबिक, अगर वातावरण में ज्वालामुखी, धुआं या धूल के कण ज्यादा होते हैं, तो चांद और भी ज्यादा लाल या नारंगी दिखाई दे सकता है। वहीं चंद्र ग्रहण के दौरान अगर आसमान या वातावरण में नमी होगी तो मूनबो भी देखने को मिल सकता है। बता दें, मूनबो चंद्रमा से बनने वाला रेनबो यानी इंद्रधनुष होता है।
साल 2025 का पहला चंद्रग्रहण भारत में दिखाई नहीं देने वाला है। ऐसा इसलिए, क्योंकि जिस समय चंद्रग्रहण लग रहा है उस समय भारत में दिन होगा और सूरज की रोशनी में चंद्रमा दिखाई नहीं देगा। इस चंद्रग्रहण को अमेरिका, कनाडा, पश्चिमी यूरोप और अटलांटिक महासागर में देखा जा सकता है। चंद्रग्रहण लगभग 6 घंटे तक दिखाई देगा। लेकिन, पूर्ण चंद्रग्रहण का समय केवल 66 मिनट का है, जिसमें ब्लड मून की अद्भुत खगोलीय घटना का नजारा लिया जा सकता है। बता दें, साल 2024 में भी दो चंद्रग्रहण आए थे और यह भी भारत में नहीं दिखाई दिए थे। ऐसे में साफ है कि ब्लड मून भी भारत में नहीं देखा जा सकेगा।
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अगर आप भारत में रहते हैं और घर बैठे ब्लड मून या चंद्रग्रहण देखना चाहते हैं तो वर्चुअल टेलिस्कोप प्रोजेक्ट पर लाइव स्ट्रीमिंग देख सकते हैं। यह लाइव स्ट्रीमिंग 14 मार्च को भारतीय समयानुसार सुबह 9.30 बजे से शुरू होगी।
एडलर तारामंडल पर भी चंद्रग्रहण की लाइव स्ट्रीमिंग देखी जा सकती है, यह भारतीय समयानुसार सुबह 7.30 बजे शुरू होगी।
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Image Credit: Herzindagi.com
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