what is sutak kaal

सूतक और ग्रहण काल में क्या होता है अंतर? 21 सितंबर को लगने वाले सूर्य ग्रहण से पहले जान लें

अक्सर लोगों को ग्रहण से जुड़े आधे-अधूरे तथ्य पता होते हैं। उदाहरण के तौर पर, ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता है कि सुताक और ग्रहण काल में क्या अंतर होता है, तो चलिए जानते हैं इस बारे में।  
Editorial
Updated:- 2025-09-18, 15:31 IST

21 सितंबर 2025 को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगने वाला है। हालांकि यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा जिसके चलते इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें ग्रहण से जुड़ी जानकारी देते हुए बताया कि ग्रहण से संबंधित शास्त्रों में कई नियम वर्णित हैं। इन नियमों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है नहीं तो इससे राहु का दुष्प्रभाव बढ़ सकता है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि अक्सर लोगों को ग्रहण से जुड़े आधे-अधूरे तथ्य पता होते हैं। उदाहरण के तौर पर, ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता है कि सुताक और ग्रहण काल में क्या अंतर होता है, तो चलिए जानते हैं इस बारे में।

क्या होता है सूतक काल?

सूतक का अर्थ है अशुद्ध या अशुभ समय। यह ग्रहण से पहले शुरू होता है और ग्रहण समाप्त होने के बाद ही खत्म होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूतक काल के दौरान वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ जाता है, इसलिए इस समय कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता।

how sutak is different from grahan kaal

सूर्य ग्रहण में सूतक 12 घंटे पहले शुरू होता है, जबकि चंद्र ग्रहण में यह 9 घंटे पहले शुरू होता है। सूतक के दौरान मूर्ति पूजा, भोजन बनाना और खाना एवं यहां तक कि यात्रा करना भी वर्जित माना जाता है। इसे एक प्रकार का प्रतिबंध समय माना जाता है जिसमें व्यक्ति को खुद को और अपने परिवार को ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों से बचाने के लिए कुछ नियमों का पालन करना होता है।

यह भी पढ़ें: Saal 2025 Ka Dusra Surya Grahan: कब लगेगा इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण? जानें क्या भारत में आएगा नज

क्या होता है ग्रहण काल?

ग्रहण काल वह वास्तविक समय होता है जब सूर्य या चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ती है। यह वह समय होता है जब हम अपनी आंखों से ग्रहण को देख सकते हैं। 21 सितंबर 2025 को लगने वाला सूर्य ग्रहण इसी ग्रहण काल के दौरान दिखाई देगा।

difference between sutak and grahan kaal

ग्रहण काल के दौरान भी कई तरह के कार्य वर्जित माने जाते हैं, जैसे खाना-पीना, सोना और नुकीली चीजों का इस्तेमाल करना। गर्भवती महिलाओं को इस दौरान विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। यह समय पूजा और मंत्र जाप के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दौरान किए गए जाप और दान का फल कई गुना बढ़ जाता है।

यह भी पढ़ें: Mahabharat Ka Kissa: जब लगा था महाभारत के समय सूर्य ग्रहण और बाल-बाल बच गई थी अर्जुन की जान; जानें क्या हुआ था उसके बाद

ग्रहण और सुटक काल में मुख्य अंतर

सूतक काल ग्रहण से पहले शुरू हो जाता है, जबकि ग्रहण काल वह वास्तविक समय है जब ग्रहण लगता है। सूतक काल की अवधि ग्रहण से अधिक लंबी होती है। सूर्य ग्रहण में सूतक 12 घंटे का होता है, जबकि ग्रहण काल कुछ घंटों का ही होता है।

sutak aur grahan kaal mein antar

सूतक काल का मुख्य उद्देश्य नकारात्मक ऊर्जा से बचाव करना है, जबकि ग्रहण काल पूजा-पाठ और मंत्र जाप के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।

अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं और अपना फीडबैक भी शेयर कर सकते हैं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: herzindagi 

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

FAQ
क्या ग्रहण के दौरान तुलसी तोड़ सकते हैं?
ग्रहण के दौरान तुलसी तोड़ना अशुभ और वर्जित माना जाता है।
ग्रहण खत्म होने के बाद सबसे पहले क्या करना चाहिए?
ग्रहण खत्म होने के बाद सबसे पहले गंगाजल से स्नान करना चाहिए।
Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।

;