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Chandra Grahan 2025: होली पर लगेगा साल का पहला पूर्ण चंद्रग्रहण, जानें कब और कैसे लगता है 'ब्लड मून'

इस साल होली के पर्व के साथ चंद्र ग्रहण का संयोग बन रहा है और साथ ही ब्लड मून दिखाई देगा। यह चंद्र ग्रहण दिन के समय लगेगा, इसलिए इसका भारत में कोई असर दिखाई नहीं देगा। आइए जानें इसके बारे में कुछ अन्य बातें।
Editorial
Updated:- 2025-03-03, 15:04 IST

इस साल होली के पर्व के साथ एक और खगोलीय घटना घटने वाली है चंद्र ग्रहण की। होली के दिन यानी कि 14 मार्च को कुछ जगहों पर चंद्रमा के लाल रंग की वजह से आसमान भी लाल हो जाएगा। 14 मार्च को आसमान में लाल रंग का चांद दिखाई देगा, जिसे ब्लड मून भी कहा जाता है। चूंकि इस दिन पूर्णिमा तिथि है और यह पूर्ण चंद्रग्रहण होगा, जो लगभग तीन साल बाद आता है। इसके पहले ब्लड मून का संयोग 2022 में बना  था, जब आसमान में लाल रंग की छाया में चंद्रमा का अनोखा रूप देखने को मिला था। यह उस खगोलीय घटना के चलते होता है, जब पूर्णिमा तिथि का पूर्ण चांद पृथ्वी और सूर्य एक सीध में होते हैं। इस दौरान चंद्रमा रंग बदलते हुए पृथ्वी की छाया में चला जाता है। जिसे ब्लड मून कहा जाता है।

14 मार्च के दिन पूर्ण चंद्रग्रहण लगेगा, जिसमें चंद्रमा का रंग लाल हो जाएगा, जिसे आमतौर पर ‘ब्लड मून’ कहा जाता है। यह एक दुर्लभ संयोग होता है जब रंगों के इस पर्व  पर आसमान में लाल चांद का नजारा देखने को मिलता है। लेकिन हमारे मन में एक सवाल यह होता है कि आखिर क्यों होता है ब्लड मून? इसका ज्योतिष और वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्या है? कितने साल में आसमान में यह नजारा दिखाई देता है और इसका महत्व क्या होता है।

क्या होता है चंद्र ग्रहण?

chandra grahan effects

चंद्र ग्रहण एक ऐसी खगोलीय घटना होती है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, जिससे सूर्य की रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती है। इस स्थिति में पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, जिससे वह कुछ समय के लिए आंशिक या पूर्ण रूप से ढक जाता है। जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में आ जाता है, तब इसे पूर्ण चंद्रग्रहण कहा जाता है और जब यह आंशिक रूप से ढका होता है तब इसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहा जाता है।

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कब और क्यों होता है ब्लड मून?

ब्लड मून वह स्थिति होती है जब पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देता है। यह घटना तब होती है जब पृथ्वी की छाया सूर्य की रोशनी को रोक देती है, लेकिन वातावरण में मौजूद धूल और गैसें लाल रंग की किरणों को चंद्रमा तक पहुंचने देती हैं। इस कारण चंद्रमा लाल या नारंगी रंग का दिखाई देता है। ब्लड मून का खगोलीय कारण 'रैले स्कैटरिंग' प्रभाव होता है। जब सूर्य की किरणें पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरती हैं, तो नीली रोशनी बिखर जाती है और लाल रंग की किरणें चंद्रमा तक पहुंचती हैं, जिससे वह लाल दिखाई देने लगता है।

विज्ञान की मानें तो चंद्रमा अपना प्रकाश स्वयं उत्पन्न नहीं करता है, बल्कि दूसरे ग्रहों से रोशनी लेता है। चंद्रमा चमकता है क्योंकि इसकी सतह सूर्य की किरणों को परावर्तित करती है। ब्लड मून एक दुर्लभ खगोलीय घटना है और यह आमतौर पर साल में एक या दो बार देखने को मिलती है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि पूर्ण चंद्रग्रहण कितनी बार होता है और उसके दौरान पृथ्वी की छाया कैसी पड़ रही है।

साल 2025 में कब दिखाई देगा ब्लड मून

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साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च, शुक्रवार, प्रातः 9 बजकर 29 मिनट से दोपहर 3 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। चूंकि इस समय भारत में सुबह से लेकर दोपहर का समय होगा इस वजह से यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसी कारण से इस ग्रहण का सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।

चूंकि इसी दिन होली का पर्व है, लेकिन सूतक काल न लगने की वजह से होली के पर्व में इस ग्रहण का कोई भी असर नहीं होगा। इसके साथ ही साल का पहला चंद्र ग्रहण और ब्लड मून ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अफ्रीका,अटलांटिक और आर्कटिक महासागर, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, पूर्वी एशिया तथा अंटार्कटिका में स्पष्ट रूप से दिखाई देगा।

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कब और कहां दिखेगा भारत का पहला पूर्ण चंद्रग्रहण?

साल 2025 का पूर्ण चंद्रग्रहण अमेरिका में 13 और 14 मार्च की मध्यरात्रि को देखा जा सकेगा। अमेरिकी समय के अनुसार रात्रि के 11:57 पर ग्रहण की शुरुआत होगी, जब चंद्रमा छाया के बाहरी हिस्से में प्रवेश करेगा और मध्य रात्रि 1:09 बजे यह आंशिक चंद्र ग्रहण होगा जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करेगा और इसका प्रकाश कम होने लगेगा तब रात्रि को 2:26 बजे यह पूर्ण चंद्रग्रहण होगा और साथ ही यह ब्लड मून होने के कारण लाल रंग का दिखाई देगा। प्रातः 3:31 बजे जब यह छाया से बाहर निकलेगा, तब इसका लाल रंग फीका पड़ जाएगा और प्रातः 6 बजे तक यह पूर्ण प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी।

आखिर क्यों भारत में नहीं दिखाई देगा चंद्रग्रहण

chandra grahan kab hai 2025

यह चंद्रग्रहण करीब 65 मिनट तक चलेगा और इसे केवल उन स्थानों पर देखा जा सकेगा, जहां उस समय रात होगी। भारत में इस दौरान दिन का समय रहेगा, इसलिए यहां के लोग इस खगोलीय नजारे को नहीं देख पाएंगे। चंद्रग्रहण तभी स्पष्ट रूप से नजर आता है जब चंद्रमा आकाश में मौजूद हो, लेकिन दिन के समय सूर्य की रोशनी अधिक होने के कारण यह संभव नहीं होता।

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