इस्लाम धर्म में मस्जिद को पवित्र स्थान माना जाता है। यहां मुस्लिम समुदाय के लोग इबादत यानी नमाज के लिए एकत्र होते हैं। मस्जिद, एक अरबी भाषा का शब्द है जिसका मतलब है सज्दा करने का स्थान। मस्जिद सिर्फ नमाज या दुआओं ही नहीं, बल्कि इस्लामिक शिक्षा, सामाजिक एकता और समुदाय की बैठकों का केंद्र भी होती है। यही वजह है कि मस्जिदों की वास्तुकला और सरंचना बेहद खास होती है, जिसे हम दुनियाभर की ऐतिहासिक और आधुनिक मस्जिदों में देख सकते हैं।
आमतौर पर मस्जिदों का आकार एक जैसा होता है, जिसमें बीच में एक गुंबदनुमा छत वाली इमारत और उसके आस-पास मीनारें होती हैं। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि मस्जिदों की छत ज्यादातर गोल या गुंबदनुमा क्यों बनाई जाती है। फिर चाहे वह ऐतिहासिक हो या फिर नई मस्जिद। अगर आपके भी मन में ऐसा सवाल आता है कि क्यों मस्जिद की छत गोल या गुंबदनुमा बनाई जाती है, तो बता दें इसके पीछे आध्यात्मिक या धार्मिक से ज्यादा साइंस होता है। आइए, यहां जानते हैं कि आखिर मस्जिद की गोल या गुंबदनुमा छत बनाने के पीछे क्या-क्या वजह होती हैं।
मस्जिदों की छत के गोल या गुंबदनुमा इसलिए भी बनाई जाती है, जिससे नमाज या आजान के दौरान इमाम की आवाज को पूरे हॉल में ठीक से सुनाई दे सके। जी हां, गोलाकार की छतें ध्वनि तरंगों को सामान रूप से फैलाने में मदद करती है। ध्वनि तरंगों के सामान रूप से वातावरण में फैलने से अद्भुत ऊर्जा का अहसास होता है, जिससे वहां उपस्थित लोगों को शांति और मानसिक सुकून का अहसास होता है।
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गोल या गुंबदनुमा छत मस्जिद के अंदर तापमान का बैलेंस बनाकर रखने में मदद करती है। इसकी वजह से बाहर की गर्मी और ठंड अंदर नहीं महसूस होती है और वातावरण सामान्य रहता है। ऐसा माना जाता है कि गोल या गुंबदनुमा छत की वजह से गर्म हवा ऊपरी इकठ्ठी हो जाती है और नीचे का हिस्सा ठंडा बना रहता है। यही वजह है कि यही वजह है कि मस्जिदों के अलावा मुगल काल के दौरान बने किलों और अन्य इमारतों की छत भी गोल या गुंबदनुमा ही देखने को मिलती है।
विज्ञान में ऐसा माना जाता है कि गोल या गुबंदनुमा छत भवन या इमारत को मजबूती देती है। ऐसे में भूकंप और प्राकृतिक आपदा से बचने के लिए भी मस्जिदों की छत गोल या गुंबदनुमा बनाई जाती है। जिससे वह सालों नहीं, बल्कि सदियों तक मजबूत रहे।
गोल और गुंबदनुमा छत, प्राकृतिक रूप से हवा और रोशनी को अंदर फैलाने में मदद करता है। गुंबदनुमा छत वाले भवनों में आर्टिफिशिय रोशनी और वेंटिलेशन की कम जरूरत होती है। इससे केवल ऊर्जा की बचत नहीं होती है, बल्कि मस्जिद के अंदर शांतिपूर्ण वातावरण भी बना रहता है।
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धार्मिक दृष्टिकोण से इस्लामिक वास्तुकला में गुंबद को ब्रह्मांड और अनंतता का प्रतीक माना जाता है। यह आकाश की तरफ संकेत करता है और आध्यात्मिकता का अनुभव कराने में मदद करता है। ऐसा माना जाता है कि मस्जिद में मौजूद गुंबद प्रार्थना के दौरान एक विशेष आध्यात्मिक माहौल बनता है, जिससे ध्यान और एकाग्रता बढ़ती है। साथ ही कई विद्वानों का मानना है कि गोल या गुंबदनुमा छत इस्लामी कला और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है, यही वजह है कि मस्जिद के अलावा कई इमारतें भी गोल या गुंबदनुमा छत वाली बनाई जाती हैं।
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