
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 आने वाला है। आज के समय में महिलाएं न केवल अपने हक के लिए आवाज बुलंद कर रही हैं, घर-परिवार के साथ ऑफिस और काम की जिम्मेदारियां बखूबी संभाल रही हैं, बल्कि वोटर के तौर पर भी वे वोटिंग के अधिकार की अहमियत को बखूबी समझ रही हैं। अब महिलाएं इस बात को जान चुकी हैं कि सिर्फ वोटिंग के दिन बूथ पर जाकर वोट डालना काफी नहीं है, बल्कि आप किसे वोट दे रही हैं, आपको सरकार से क्या उम्मीदे हैं, किन मुद्दों के आधार पर आप अपनी सरकार चुनना चाहती हैं और किन क्षेत्रों में सरकार की ओर से आपको बदलाव की उम्मीद है या किन पहलुओं को नजरअंदाज किया जा रहा है, ये सभी बातें सोच-समझकर ही महिलाएं वोटिंग के अधिकार का इस्तेमाल कर रही हैं।
बिहार चुनाव से पहले हमने मुजफ्फरपुर, बिहार की महिला वोटर सावन सिन्हा से बात की। वह एक होममेकर हैं और इस बार चुनाव में उनकी क्या उम्मीदें हैं या महिलाओं से जुड़े किन मुद्दों को लेकर उनके मन में सवाल है, इस बारे में उन्होंने अपनी राय रखी।
1. इस चुनाव से आपको अपनी और अपने परिवार की जिंदगी में कौन-सा सबसे बड़ा बदलाव देखने की उम्मीद है?
महिलाओं का स्वाभाव रहा है, जो हमने घर के बड़ों से सीखा है कि हम अपने बारे में बाद में पहले घर के लोगों के बारे में सोचते हैं, तो सीधे शब्दों में इस इलेक्शन के बाद बनने वाली सरकार से मेरी जो मेरी उम्मीद होगी, वो ये होगी कि जो बुनियादी सुविधाएं हैं जिसके लिए हम लोग अब तक संघर्ष कर रहे हैं जैसे महंगाई, बच्चों की पढ़ाई का खर्च, कहीं आने-जाने में सुविधा और इन सब से ऊपर सेफ्टी अपनी भी और अपने परिवार की भी, इस पर सरकार को ध्यान देना होगा।
2. महिलाओं के लिए आप सरकार से कौन-सी नई योजनाएँ या सुविधाएँ चाहती हैं?

योजनाएं अपनी जगह हैं, लेकिन सबसे पहले मैं महिला सुरक्षा की अपील करना चाहूंगी। आए दिन ऐसी ऐसी खबरें देखने-सुनने को मिलती हैं कि रूह कांप जाती है, रात और शाम तो क्या अकेले दिन में भी निकलना मुश्किल है, तो सेफ्टी को लेकर सिर्फ कागजी नहीं, एक ठोस प्लान ऑफ एक्शन की मैं सरकार से उम्मीद करती हूं। दूसरी बात कि जो भी योजनाएं सरकार महिलाओं के लिए लाती है, उसमें भ्रष्टाचार ना हो, बस इतनी उम्मीद है ।
3. क्या आपके क्षेत्र में सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं संतोषजनक हैं? इसमें क्या सुधार होना चाहिए?
आपके सवाल में ही आपका जवाब छुपा है। अगर सब कुछ ठीक होता, तो आपको सवाल पूछने की जरूरत ही नहीं होती। जाहिर है कि अभी बहुत सारे सुधार की जरूरत है, चाहे स्वास्थ्य की बात हो या सुरक्षा की, योजनाएं तो है हीं, मगर उन पर अमल होना भी जरूरी है ।
4. आपकी नजर में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए?
सबसे पहले तो वो ये समझे कि समाज उनका परिवार है और उनका परिवार समाज से अलग नहीं है , अगर वे घर का ख्याल रख सकती हैं तो समाज का क्यों नहीं? जब प्रॉब्लम एक जैसी हैं, तो सॉल्यूशन भी तो एक जैसा ही होगा। महिलाओं में ये सोच डेवलप करने की जरूरत है। गॉसिप और हाउस पार्टी से अलग अगर हम अपनी जिम्मेदारी को समझे, तो हम जरूर राजनीतिक तौर पर अपनी भागीदारी निभा सकेंगे।
5. आने वाले बिहार चुनाव में आप किस मुद्दे को सबसे ज्यादा महत्व देती हैं और क्यों?

सीधे शब्दों में कहूंगी कि सिर्फ महिला सुरक्षा नहीं, बल्कि सभी की सुरक्षा की बात होनी चाहिए। जिंदा रहने का हक और अच्छी जिंदगी जीने का हक सभी को है तो 
सुरक्षा , महंगाई, मेडिकल से जुड़ी सुविधाएं , अच्छी पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेवा, और जॉब के अवसर, इनमें सबसे ऊपर एक अपराध मुक्त समाज, क्योंकि मेरी नजर में यही डेवलेपमेंट की सबसे बड़ी पहचान है या यूं कहिए कि ये सारी समस्याएं कहीं न कहीं एक-दूसरे से जुड़ी हैं।
6. क्या आपको लगता है कि सरकार ने महिलाओं के लिए पर्याप्त काम किया है? अगर नहीं, तो आप क्या बदलाव चाहती हैं?
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि सरकार ने बहुत सारे काम किए हैं, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। यहां पर मैं यह भी कहना चाहूंगी कि समाज जैसा होता है उसको सरकार और व्यवस्थाएं भी वैसे ही मिलती है। हमारे समाज में जहां फूहड़ गाने महिलाओं के शरीर के अंगों पर बनते है उस समाज से हम क्या उम्मीद कर सकते हैं, और विडंबना यह है कि उसे गाने में एक महिला ही डांस करती है और वहीं गाने हम घर के फंक्शन्स में भी बजाते हैं। अश्लीलता पर रोक लगनी चाहिए, और सख्त करवाई होनी चाहिए और सरकार के साथ-साथ ये आम लोगों की भी जिम्मेदारी है और खासकर महिलाओं की।
दूसरी बात एक बार फिर कहूंगी कि इतने सालों बाद भी हम बुनियादी सुविधाएं बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा के लिए जूझ रहे हैं तो हम कैसे कहें कि हम आजाद हैं , डेवलप्ड हैं, लेकिन हां हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारी उम्मीद है , कि आगे सब अच्छा हो जाएगा।
बिहार की महिलाएं इस बार वोटिंग के अधिकार का इस्तेमाल करने से पहले अपने हक की आवाज भी बुलंद कर रही हैं। जब महिलाएं सशक्त होंगी और सुरक्षित महसूस करेंगी, तभी बिहार असल मायने में मजबूत और विकसित बनेगा।
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