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Saraswati Puja Vidhi & Mantras 2025: इस विधि से करें बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा, साथ ही जानें कथा और मंत्र

 Saraswati Puja Vidhi, Katha & Mantras 2025: बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए आज हम आपको उनकी पूजा की संपूर्ण विधि, मंत्र और कथा के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।   
Editorial
Updated:- 2025-02-03, 11:05 IST

Basant Panchami 2025: बसंत पंचमी का पर्व इस साल 3 फरवरी, दिन सोमवार यानी कि आज मनाया जा रहा है।बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा से विद्या और ज्ञान का आशीर्वाद मिलता है। व्यक्ति के जीवन से अज्ञान का अंधकार दूर हो जाता है और अगर किसी व्यक्ति के पास कोई कला है तो उसे उस कला में निपुणता मिलती है। ऐसे में हमारे एक्सपर्ट ज्योतिषाचार्य डॉ राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं सरस्वती पूजा की विधि, मंत्र और कथा के बारे में विस्तार से। 

बसंत पंचमी 2025: मां सरस्वती की पूजा 

saraswati puja vidhi

  • बसंत पंचमी के दिन स्नान के बाद पूजा स्थान को गंगाजल (गंगाजल रखने के नियम) से शुद्ध करें।
  • मां सरस्वती की मूर्ति या फोटो स्थापित करें। गंगाजल से उन्हें स्नान कराएं।
  • मां सरवती के समक्ष धूप-दीप, अगरबत्ती जलाएं और उनका ध्यान करें।
  • पूजा आसन पर बैठकर ही करें। बिना आसन की पूजा व्यर्थ मानी जाती है। 
  • मां सरस्वती को तिलक लगाएं और उन्हें माला पहनाएं। 
  • मां सरस्वती को मिठाई और फलों का भोग लगाएं। 
  • मां सरस्वती के मंत्रों का जाप करें और अंत में आरती उतारें। 

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बसंत पंचमी 2025: मां सरस्वती के मंत्र 

saraswati puja mantra

संकल्प मंत्र

यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः माघ मासे बसंत पंचमी तिथौ भगवत्या: सरस्वत्या: पूजनमहं करिष्ये।

स्नान मंत्र 

ॐ त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:। अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयु: प्रमोषी:।

ध्यान मंत्र

या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता।

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।।

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या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।

शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं।

वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्।।

हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।

वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।

प्रतिष्ठा मंत्र

ॐ भूर्भुवः स्वः सरस्वती देव्यै इहागच्छ इह तिष्ठ। इस मंत्र को बोलकर अक्षत छोड़ें। इसके बाद जल लेकर ‘एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्।

बीज मंत्र 

ॐ सरस्वत्ये नमः।। 

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बसंत पंचमी 202: मां सरस्वती की कथा 

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  • पौराणिक कथाओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इसी कारण से इस दिन मां की पूजा का विधान है। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन मां सरस्वती की पूजा कर उनके मंत्रों का जाप करता है उसे ज्ञान और विद्या की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, एक और कथा भी है। 
  • कथा के अनुसार, ब्रह्मा जी ने मनुष्य योनी की रचना की थी लेकिन वह अपनी रचना से संतुष्ट नहीं थे। तब विष्णु भगवान (भगवान विष्णु के 8 भयंकर छल) के केने पर उन्होंने अपने कमंडल से पृथ्वी पर जल छिड़का, उस जल से एक सुंदर स्त्री प्रकट हुईं। उन स्त्री के 4 हाथ थे और आलौकिक तेज से वह घिरी हुई थीं। 
  • क हाथ में वीणा एवं दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। वहीं अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। जैसे ही इन देवी ने वीणा बजाना शुरू किया एक अलग सी तरंग पूरी सृष्टि में फ़ैल गई और सबकुछ बेहद खूबसूरत हो गया। मनुष्यों को वाणी मिली जिससे वह बोल पा रहे थे और बात कर पा रहे थे। 
  • तब ब्रह्मा जी ने उन्हें वाणी की देवी सरस्वती कह कर पुकारा। मां सरस्वती को सरस्वती को वागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से जाना जाता है। चूंकि संगीत की उत्पत्ति इन्हीं से हुई है इसलिए इन्हें संगीत की देवी भी माना जाता है। 
  • जिस दिन मां सरस्वती अवतरित हुईं उस दिन बसंत ऋतु की पंचमी तिथि थी। इसी कारण से इस दिन को मां सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाने लगा।  

तो ये थी बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा विधि, मंत्र और कथा। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Image Credit: Freepik, Shutterstock 

FAQ
सरस्वती पूजा के दिन क्या करना चाहिए?
सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें, पीले वस्त्र धारण करें, मां सरस्वती के नाम का जाप करें, माता का ध्यान करते हुए दान करें और सरस्वती स्तुति का पाठ अवश्य करें।
सरस्वती मां का प्रिय भोग क्या है?
बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती को पीले चावल का भोग लगाना बेहद शुभ माना जाता है। ये खास चावल देसी घी, चीनी, केसर और सूखा मावा से तैयार किये जाते हैं।
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