
उत्पन्ना एकादशी का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व है क्योंकि यह केवल भगवान विष्णु की पूजा का दिन नहीं है, बल्कि देवी एकादशी के अवतरण का पर्व भी है। पौराणिक कथा के अनुसार, इसी तिथि पर देवी एकादशी भगवान विष्णु के शरीर से उत्पन्न हुई थीं और उन्होंने मुर नामक शक्तिशाली राक्षस का वध किया था। इसलिए, यह माना जाता है कि इसी एकादशी से सभी एकादशी व्रतों की शुरुआत हुई थी और श्रद्धापूर्वक यह व्रत रखने से भक्तों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, उन्हें जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है तथा अंत में मोक्ष और वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। इस साल उत्पन्ना एकादशी 15 नवंबर, शनिवार के दिन पड़ रही है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि उत्पन्ना एकादशी के दिन कैसे करें भगवान विष्णु की पूजा, क्या है संपूर्ण पूजन सामग्री और मंत्र?
उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए सामग्री के तौर पर आप ये चीजें शामिल कर सकते हैं:

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उत्पन्ना एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद, पूजा शुरू करने से पहले हाथ में जल लेकर भगवान विष्णु के सामने पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ व्रत रखने का संकल्प लें कि आप यह व्रत पूरी निष्ठा से रखेंगे।
एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। एक कलश में जल भरकर रखें। सबसे पहले दीप प्रज्वलित करें और धूप या अगरबत्ती लगाएं। अगर प्रतिमा है तो भगवान को स्नान कराएं या जल का छींटा दें।
भगवान विष्णु को पीले वस्त्र और माला अर्पित करें। रोली, हल्दी और अक्षत से तिलक करें। भगवान विष्णु को तुलसी दल और अन्य फूल चढ़ाएं। ध्यान रहे कि एकादशी पर तुलसी को तोड़ना नहीं चाहिए, इसलिए तुलसी दल एक दिन पहले दशमी को ही तोड़कर रख लें।

उत्पन्ना एकादशी की व्रत कथा पढ़ें या सुनें। भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें और अंत में कपूर से या घी के दीपक से आरती करें। भगवान को फल, मिठाई और पंचामृत का भोग लगाएं। इसके बाद, पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा याचना करें।
द्वादशी तिथि पर शुभ मुहूर्त में किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं या दान दें। इसके बाद, स्वयं भोजन ग्रहण करके व्रत का पारण करें।
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भगवान विष्णु और देवी एकादशी की पूजा के दौरान आप 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' और 'शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्। विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्। लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्। वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥' का जाप कर सकते हैं।
भगवान विष्णु के इन मंत्रों का जाप करने से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होगा और सौभाग्य जाग उठेगा। इसके अलावा, माता लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहेगी जिससे आर्थिक स्थिति घर की सुधरेगी और धन-धान्य में भी वृद्धि होगी। लक्ष्मी नारायाण की कृपा प्राप्त होगी।
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