मैं स्तब्ध रह जाती हूं जब किसी के साथ हुए खौफनाक मंजर की खबर पड़ती हूं। मैं स्तब्ध रह जाती हूं जब पढ़ती हूं कि इस देश में जहां महिलाओं को एक दिन पूजा जाता है, वहां हर दिन उसके साथ कैसा सलूक किया जाता है। मैं स्तब्ध रह जाती हूं जब पढ़ती हूं कि एक इंसान जिससे इंसानियत की उम्मीद की जाती है, वह हैवानियत की हदें पार कर देता है।
एक लड़की जब उड़ने के, कुछ करने के सपने देखती है तो यह समाज उसकी जंजीरें बन जाता है। जो बाहर निकल जाती हैं, उन्हें हर बात पर इसका डर रहता है कि कहीं उसकी ‘ना’ किसी दरिंदे की ‘हां’ में तब्दील न हो जाए?
रेप एक पीड़िता की आत्मा को चकनाचूर कर देता है। यह घिनौना कृत्य एक महिला के लिए जीवन भर का ट्ऱॉमा ले आता है। इसके बावजूद ऐसा कोई कोना नहीं है जहां एक महिला सुरक्षित महसूस कर सके। जहां उसे गंदी और घूरती नजरों का डर न हो।
वाराणसी से सामने आई यह घटना जिसमें बताया गया कि एक 19 वर्षीया छात्रा के साथ हफ्ते भर तक 23 आदमियों ने घिनौना कृत्य किया, किसी को भी झकझोर के रख सकती है। यह सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि इंसानियत की कब्र पर खुदे उस खौफनाक पत्थर की इबारत है, जो उस छात्रा के जहन में हमेशा के लिए डर बनकर बस जाएगी।
सोचिए, एक 19 साल की मासूम लड़की 23 हवस के भूखे दरिंदों के बीच, चीखती रही होगी, तड़पती रही होगी और इंसाफ मांगती रही होगी। लेकिन इंसाफ... शायद उसकी चीखों से भी ज्यादा गूंगा था।
ये सवाल सिर्फ एक लड़की का नहीं, बल्कि पूरे समाज का है। क्या हम वाकई सुरक्षित हैं? क्या हमारा सिस्टम अब भी आंखें मूंदे बैठा रहेगा? हर बार किसी के साथ ऐसा होने पर या किसी की जान जाने पर सिर्फ मोमबत्तियां जलाने से हल मिल जाएगा? मेरा सवाल है कि सिस्टम आखिर कब नींद से जागेगा?
19 साल की लड़की बनी 23 दरिदों की हवस की शिकार
एक खबर आई और अचानक से लोगों का खून फिर खौल गया। खबर वाराणसी की है। आरोप है कि 23 आदमियों ने एक 19 साल की लड़की के साथ हफ्ते भर तक गैंग रेप किया। वे उसे ड्रग देते रहे और अलग-अलग होटलों पर ले जाते रहे।
पीड़िता ने अपने दोस्त पर भरोसा किया और 29 मार्च को उसके साथ पिशाचमोचन एरिया में स्थित एक हुक्का बार में गई। वहां अन्य आदमी आए और उसके दोस्त के साथ मिलकर उसे ड्रिंक में कुछ मिलाकर दिया जिसे पीने के बाद उसे होश नहीं रहा। इस स्थिति में वे लोग उसे अपने साथ जगह-जगह ले गए और रेप किया।
वाराणसी में दुष्कर्म संबंधित मामले में थाना लालपुर पाण्डेयपुर में सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर अभी तक 6 आरोपियों को पुलिस हिरासत में लिया जा चुका है एवं अग्रिम विधिक कार्यवाही की जा रही है। उक्त संबंध में पुलिस उपायुक्त वरुणा जोन की बाइट.. https://t.co/IqwkVUfOvp
— DCP Varuna Zone Vns (@DcpVns) April 7, 2025
पुलिस ने इस मामले में अब तक 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि बाकी की तलाश जारी है।
कैंट क्षेत्र के एडिशनल पुलिस आयुक्त विदूष सक्सेना ने बताया एक इंटरव्यू में बताया कि लड़की 29 मार्च को कुछ लड़कों के साथ गई थी। जब वो 4 अप्रैल तक घर नहीं लौटी, तो परिवार ने गुमशुदगी दर्ज कराई। बाद में जब पुलिस ने उसे खोज निकाला, तब उसने शुरुआत में गैंगरेप की जानकारी नहीं दी।
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परिवार ने कराई बेटी के साथ सामूहिक दुषकर्म की रिपोर्ट
6 अप्रैल को परिवार ने शिकायत दर्ज कराई कि बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ है। जब पीड़िता अपने घर पहुंची, तो उसने अपने साथ हुए इस दुष्कर्म की जानकारी अपने घरवालों की दी। इसके बाद ही रिपोर्ट लिखी गई। शिकायत में युवती की मां ने बताया कि 29 मार्च को बेटी एक दोस्त के घर गई थी। वापसी में रास्ते में राज विश्वकर्मा नामक युवक मिला, जो उसे लंका स्थित अपने कैफे ले गया और वहां अपने दोस्त के साथ गलत काम किया।
29 मार्च से 04 अप्रैल तक पीड़िता के साथ क्या-क्या हुआ
रिपोर्ट में बताया गया कि 29 मार्च को उसके साथ पहली बार रेप किया गया। अगले दिन, एक और युवक समीर अपनी बाइक पर एक दोस्त के साथ मिला और उसे हाईवे पर ले जाकर वही गंदी हरकत दोहराई। 31 मार्च को आयुष नामक युवक अपने 5 दोस्तों- सोहैल, दानिश, अनमोल, साजिद और जाहिर के साथ सिगरा स्थित कॉन्टिनेंटल कैफे ले गया, वहां उसे नशा युक्त ड्रिंक पिलाकर बारी-बारी से दुष्कर्म किया गया।
एक अप्रैल को साजिद अपने एक दोस्त के साथ उसे होटल ले गया, जहां पहले से मौजूद कुछ और लोगों ने उसके साथ दुष्कर्म किया। फिर एक युवक इमरान मिला, जिसने होटल में नशा देकर उसके साथ गलत काम किया और शोर मचाने पर उसे बाहर छोड़कर चला गया।
दो अप्रैल को राज खान नामक युवक उसे अपने घर की छत पर ले गया और नशा देकर रेप की कोशिश की। जब लड़की चिल्लाई तो वे उसे अस्सी घाट पर छोड़ गए।
तीन अप्रैल को दानिश नामक युवक उसे अपने दोस्त के कमरे में ले गया, जहां सोहैल, शोएब और एक अन्य युवक ने उसे नशा देकर फिर से दुष्कर्म किया और बाद में चौकघाट के पास छोड़ दिया।
चार अप्रैल को घर पहुंचकर उसने अपने परिवार को आपबीती सुनाई।
12 आरोपियों के नाम हुए दर्ज
पुलिस ने बताया कि इस मामले में कुल 12 आरोपियों के नाम दर्ज हुए हैं- राज विश्वकर्मा, समीर, आयुष, सोहैल, दानिश, अनमोल, साजिद, जाहिर, इमरान, जैब, अमन और राज खान। इसके अलावा 11 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया है।
इस मामले में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 70(1) (गैंगरेप), 74 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना), 123 (नशीला पदार्थ देकर अपराध करना), 126(2) (गलत तरीके से रोकना), 127(2) (गलत तरीके से बंदी बनाना) और 351(2) (आपराधिक तरीके से डराना) के तहत केस दर्ज किया गया है।
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सुरक्षा कोई सुविधा नहीं, है हर महिला का जन्मसिद्ध अधिकार
क्या औरतों को बाहर निकलने के लिए साहस नहीं करना चाहिए? अगर नहीं, तो फिर क्यों? क्या उनका लड़की होना एक गलती है? आज भी अगर कोई लड़की देर रात घर लौट रही हो तो उसके कपड़े, उसके इरादे और उसके चरित्र पर सवाल उठाए जाते हैं, कभी सिस्टम पर नहीं यह सवाल नहीं उठते। कभी आरोपी को कुछ नहीं कहा जाता है।
असल में, सिस्टम आज भी पितृसत्तात्मक चश्मा पहने एक लड़की की पीड़ी को देखता है। हर बार जब कोई महिला हिंसा का शिकार होती है, तो सबसे पहले पूछा जाता है, वो वहां गई क्यों थी? उसने वो कपड़े पहने क्यों थे?
सवाल यह होना चाहिए, उसके साथ ऐसा करने की हिम्मत किसी में आई कैसे? कानून और सिस्टम का डर क्यों नहीं है?
आखिर कब तक महिलाएं खुद को सीमाओं में बांधेंगी, सिर्फ इसलिए क्योंकि सिस्टम आंख मूंदे बैठा है? या इसलिए क्योंकि उन्होंने अपने दोस्त, परिवार या पड़ोस वाले पर भरोसा किया जिसकी सजा उन्हें मिलती है।
हर दिन अखबार में किसी बेटी की चीख, किसी मां का आक्रोश और किसी बहन की चुप्पी दबी रह जाती है। सवाल ये नहीं है कि महिलाएं कितनी सतर्क रहें। सवाल ये है कि सिस्टम कब तक सोता रहेगा? कब वो अपनी आंखें खोलेगा?
हम यह क्यों नहीं समझ पा रहे हैं कि महिला की सुरक्षा सुविधा नहीं बल्कि उसका जन्मसिद्ध अधिकार है। यह कैसा सिस्टम है जहां डर एक पीड़िता को होता है और आरोपी को नहीं? यह कैसा सिस्टम है जो इस घिनौने कृत्य पर कड़ी से कड़ी सजा देने में घबराता है?
जब तक रेप जैसे मामलों की कड़ी सजा नहीं होगी। कड़े कानून नहीं होंगे, हम महिलाएं हमेशा सवाल करती रहेंगी। हम अपनी सुरक्षा की भीख मांगती रहेंगी।
365 दिनों में एक दिन किसी महिला की पूजा करने से, उसे महिला दिवस और मदर्स डे पर बधाई देने से वह सुरक्षित नहीं होगी। हम सपने पूरे करने के लिए बाहर तो निकल जाएंगे, लेकिन कभी आजादी से जी नहीं पाएंगी, क्योंकि एक महिला के लिए आजादी तभी पूरी होती है जब वह बिना डरे, सिर ऊंचा करके, कहीं भी और कभी भी जा सके।
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Image Credit: Freepik
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