हमारे लिए सबसे महफूज जगह हमारा घर होती है। घर जहां हमें सुकून मिलता है और यह भरोसा होता है कि यहां हम सेफ हैं। घर जहां हमारे अपने होते हैं, रिश्ते होते हैं और ढेर सारे सुकून भरे पल होते हैं। घर जहां हम बेबाक, हर बंदिश से आजाद घूमते हैं। लेकिन, जरा सोचिए, अगर अपने घर में अपनों के बीच ही, कोई लड़की महफूज न हो, तो फिर क्या कुछ कहने-सुनने को बाकी रह जाता है। कोलकाता में डॉक्टर के साथ हुए रेप और मर्डर केस ने सभी को सदमे में डाल दिया है। हम सब यह सोचने पर मजबूर हैं कि क्या महिलाएं अपने वर्कप्लेस पर भी सुरक्षित नहीं हैं। इसके बाद से भी यौन उत्पीड़न और रेप के मामलों की कई खबरें आ रही हैं और इससे पहले भी आती रही हैं। लेकिन, इनमें से कुछ खबरें ऐसी हैं, जो दिखाती हैं कि महिलाएं अपने घर की चाहरदीवारी में भी सुरक्षित नहीं हैं।
यह उन लोगों के मुंह पर भी एक तमाचा है, जो कहते हैं कि रेप या यौन उत्पीड़न के पीछे, महिलाओं का घर से बाहर निकलना है। यहां हम आपके साथ उन खबरों और आंकड़ों का जिक्र कर रहे हैं, जहां इस तरह के मामलों में अपराधी, घर का ही कोई सदस्य था। ऐसे में ये तो बिल्कुल साफ है कि इन घटनाओं के पीछे सिर्फ विकृत मानसिकता जिम्मेदार है और अपने सम्मान के लिए, महिलाओं को खुद लड़ना होगा...अब वक्त 'Fight Back' का है।
रेप के वो मामले जब अपने ही थे आरोपी
- 17 अगस्त, 2024- बिजनौर में पिता ने किया नाबालिग बेटी से दुष्कर्म...एक साल से डरा-धमका कर बेटी संग कर रहा था रेप...मां ने दर्ज की शिकायत
- 17 अगस्त, 2024- चतरा में एक बाप ने अपनी बेटी संग किया बलात्कार, बेहोश हालत में कमरे में छोड़कर हुआ फरार
- 8-9 अगस्त, 2024- अमेठी, उत्तर प्रदेश में 13 साल की लड़की संग पिता ने किया रेप, दर्ज करवाई शिकायत
- 21 अगस्त, 2024- चाचा ने अपनी ही 14 वर्षीय नाबालिग भतीजी के साथ किया दुष्कर्म
- 6 मई, 2024- रुड़की में सगे मामा ने नाबालिग भांजी के साथ रेप की वारदात को दिया अंजाम
- 10 अप्रैल, 2024- शिमला में नाबालिग बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न का मामला, आरोपी संबंधी गिरफ्तार
सकते में डाल देती हैं ऐसी घटनाएं
ऊपर जिन घटनाओं का जिक्र है, वो हाल-फिलहाल की हैं। पिछले कुछ हफ्तों या महीनों में ये खबरें टीवी चैनल या अखबारों में नजर आई हैं। इससे पहले भी न जाने कितनी ऐसी घटनाएं हुई हैं और न जाने कितनी घटनाओं में महिलाएं आवाज भी नहीं उठा पाती हैं। यहां हमारा मकसद आपको सिर्फ इतना बताना नहीं है कि महिलाएं घर में भी सुरक्षित नहीं हैं, बल्कि कुछ और है। सबसे पहले तो यह समझना और स्वीकार करना होगा कि रेप की घटनाओं की जिम्मेदार महिलाओं के कपड़े, उम्र या मॉर्डन होना बिल्कुल नहीं है। इसके पीछे विकृत मानसिकता है, जिस पर सवाल उठाना और जिसे कुचलना जरूरी है। यह घटनाएं उस सोच पर भी तमाचा है, जो यह कहती है कि अगर लड़कियां देर रात घर से बाहर रहेंगी...छोटे कपड़े पहनेंगी...अनजान लोगों से बात करेंगी...तो ऐसा होगा ही।
साल 2020 में दिल्ली पुलिस ने किया था चौंकाने वाला खुलासा
साल 2020 में दिल्ली पुलिस ने बताया था कि दिल्ली में होने वाले 44 प्रतिशत रेप केस में आरोपी, विक्टिम की फैमिली या दोस्तों में से ही था, 13 प्रतिशत मामलों में कोई रिश्तेदार और 12 प्रतिशत मामलों में पड़ोसी आरोपी था। 26 प्रतिशत मामलों में आरोपी, किसी न किसी तरह विक्टिम को जानते थे, 3 प्रतिशत मामलों में आरोपी वर्कप्लेस से जुड़े थे और 2 प्रतिशत मामलों में आरोपी अनजान थे।
'Fight Back' का है वक्त
मुझे बहुत अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि आंकड़ों पर गौर करें, तो महिलाएं कहीं भी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रही हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में औसतन 86 रेप के मामले रोज रिपोर्ट किए जाते हैं। हर 16 मिनट में भारत में एक रेप होता है। वास्तव में यह आजाद भारत पर सवालिया निशान है। अगर आप उन घटनाओं की करें, जहां आरोपी अपने ही होते हैं, तो महिलाएं कई बार आवाज उठाने से डरती हैं। यहां बात सिर्फ रेप के मामले की नहीं है। अगर आपको आपके परिवार में किसी ने गलत तरीके से छूने की कोशिश की है, आपके साथ कोई अश्लील बात की है, तो जरूरी है कि आप चुप न रहें और मुंह तोड़ जवाब दें। गुड टच और बैड टच को हमें सिर्फ लड़कियों को नहीं समझाना है, बल्कि जरूरी पुरुषों की मानसिकता बदलना भी है। अब किसी भी मां को अपनी बेटी को चुप रहना नहीं सिखाना है, बल्कि, आवाज उठाना सिखाना है।
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