कहते हैं कि इंसान की पहचान उसकी भाषा से होती है...ठीक इसी तरह एक राज्य या क्षेत्र की पहचान उसके व्यंजन से होती है। ऐसा ही एक क्षेत्र है मगध...जो अपने प्राचीन व्यंजन को लेकर काफी फेमस है। वैसे तो कई व्यंजन फेमस है पर आज हम बिरंज के बारे में बात करेंगे। यह एक ऐसा पारंपारिक व्यंजन है जिसे गया, जहानाबाद, अरवल और औरंगाबाद के ग्रामीण इलाकों में शादी-विवाह समेत अन्य बड़े कार्यक्रमों में बनाया जाता था।
यही वजह है कि जब हम मगध के पारंपरिक व्यंजनों की बात करते हैं, तो बिरंज को जरूर शामिल किया जाता है। हालांकि, बिरंज अब लुप्त होने की कगार पर पहुंच चुका है। आधुनिकता के चकाचौंध में फास्ट फूड ने अपनी जगह बना ली है। पर अगर आप बिरंज फूड की खासियत के बारे में जानेंगे, तो यकीनन आपका भी मन करेगा।
बिरंज एक मीठा व्यंजन का है जिसे चावल से तैयार किया जाता था। बिरंज को मगध में शादी- विवाह के मौके पर बनाया जाता था। उस वक्त इस व्यंजन को बनाने वाले लोगों को उच्च वर्ग की श्रेणी में रखा जाता था। कहा जाता है कि जब यह व्यंजन बनाया जाता था, तो उपवास रखा जाता था।
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इस व्यंजन को बनाने के लिए मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता था। हालांकि, मिट्टी के बर्तन में मसाले का अर्क तैयार किया जाता था और फिर एल्यूमिनियम के बर्तन में चावल डालकर पकाया जाता था। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस व्यंजन को बनाने में 10 घंटे का वक्त लगता था। (भारत के इन व्यंजनों के बारे में नहीं जानते होंगे आप)
इस व्यंजन को तैयार करने के लिए स्पेशल सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता था। इस व्यंजन को खास बनाने के लिए चावल, मसाले, काजू,किशमिश, अखरोट और मेवा का इस्तेमाल किया जाता था। (महाराष्ट्रियन शादियों में सजते हैं ये पारंपरिक व्यंजन)
कहा जाता है कि इस व्यंजन को बनाने में जितनी मात्रा में चावल इस्तेमाल किया जाता था उतनी ही मात्रा में मेवा भी डाली जाती थी। यह गाय के शुद्ध घी में तैयार किया जाने वाला खास व्यंजन है।
यह पढ़कर आपको अजीब लग रहा होगा, पर कहा जाता है कि जहां बिरंज बनता था वहां महिलाओं का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित होता था। जाहिर है कि इस व्यंजन को महिलाएं तैयार नहीं करती होंगी।
कहा जाता है कि इस व्यंजन को बनाने वाले शुद्धता का ख्याल रखते हैं। जिनके घर विवाह होता है वे बनाने वाले की पैर पूजा करते हैं। (जोधपुर के प्रसिद्ध व्यंजन)
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अब मगध के खान-पान में काफी बदलाव आया है। पर एक वक्त था जब शादी विवाह या खास अवसरों पर बिरंज बनाया जाता था। इस व्यंजन के स्वाद और खासियत की वजह से मगध की शान कहा जाता था। पर अपने बनाने में काफी मेहनत लगती थी, जिसकी वजह से इस व्यंजन को बनाने की कला लुप्त हो गई।
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