कभी-कभी एक सोच दुनिया बदल देने की शक्ति रखती है और हमारे सामने ऐसी कई कहानियां आ जाती हैं जो हिम्मत, हौंसले और जज्बे की मिसाल कायम करती हैं। ऐसी ही एक कहानी है कृष्णा यादव की कहानी।
उत्तर प्रदेश की कृष्णा यादव की कहानी इन दिनों सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हो रही है। उन्होंने जिस तरह से 500 रुपए में अपनी जिंदगी को नया आयाम दिया वो हिम्मत कम ही लोगों में होती है।
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की कृष्णा यादव कैसे बनीं लोगों के लिए प्रेरणा?
कृष्णा एक छोटे से इलाके से ताल्लुक रखती हैं और जब उनके पति की सेहत के कारण घर की जिम्मेदारी उनपर आ गई थी तब वो काम के सिलसिले में दिल्ली चली गई थीं। घर बेचने की नौबत आ गई, तीन छोटे-छोटे बच्चे बहुत ज्यादा कर्ज और पति की बिगड़ती सेहत देख कृष्णा ने ये देख हिम्मत नहीं हारी।
500 रुपए कर्ज लेकर उन्होंने दिल्ली का रुख किया। शुरुआत में बहुत असफलताएं मिलीं।
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कृष्णा यादव और उनके पति दोनों ही किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे और ऐसे में उन्होंने सब्जियां बेचकर अपना गुजारा करने की कोशिश की। थोड़ी सी जमीन किराए पर लेकर खुद की सब्जियां उगाते और कुछ दिन तक ये करने से उनकी थोड़ी कमाई शुरू हुई।
2001 के बाद अपनी जिंदगी बदलने की ठानी
कृष्णा ने 2001 में 3 महीने की फूड प्रोसेसिंग ट्रेनिंग अटेंड की जिसमें उन्होंने 2 लग तरह के अचार बनाना सीखा। इसके बाद 3000 रुपए की लागत से अचार बनाकर उन्होंने 5250 रुपए कमाए। हालांकि, ये बहुत ज्यादा बड़ा अमाउंट नहीं था, लेकिन उनके लिए ये सही था।(आम का अचार नहीं होगा खराब जानें कैसे)
उन्होंने अपनी सारी मेहनत इसी काम में झोंक दी। उनके पति गलि-गलि जाकर अचार बेचते। उन्होंने सड़क के किनारे स्टॉल लगाकर अचार बेचना शुरू कर दिया।
शुरुआत में ये प्रोसेस आसान नहीं था क्योंकि लोग खुला अचार खरीदने से कतराते थे, लेकिन धीरे-धीरे लोगों का भरोसा होने लगा। शुरुआत में मेहनत भी बहुत लगती थी क्योंकि कृष्णा मसाला पीसने से लेकर अचार डालने तक सारा काम खुद ही करती थीं, लेकिन वो कहते हैं ना कि मेहनत कभी ज़ाया नहीं जाती इसलिए कृष्णा की मेहनत रंग लाई और उन्हें बड़े ऑर्डर मिलने लगे।
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अपनी मेहनत से खड़ी कर ली कंपनी
कृष्णा और उनके पति ने धीरे-धीरे अपनी कंपनी बना ली और अचार की जगह और भी चीज़ें बेचनी शुरू की। अब कृष्णा और उनके पति 4 कंपनियों के मालिक हैं और अपना 4 करोड़ से ज्यादा का टर्नओवर ले रही हैं।(कैसे बनें सशक्त महिला)
अब कृष्णा ने अपने साथ कई महिलाओं को जोड़ लिया है और उनकी 4 कंपनियां अलग-अलग लोगों को रोजगार प्रदान कर रही हैं। कृष्णा यादव जैसी महिलाएं ये समझाती हैं कि जिंदगी हमेशा आपकी परीक्षा लेती है, लेकिन आपको हार नहीं माननी चाहिए।
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नोट: इस स्टोरी में दी गई जानकारी दीपा विजयराघवन (Shevolve कंपनी की फाउंडर और महिला एक्टिविस्ट) की लिंक्डइन पोस्ट से ली गई है।
फोटो क्रेडिट- Linkedin Deepa Vijayaraghavan, Shree Krishna Pickles
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