जानिए कौन हैं Purnima Devi Barman जिन्हें मिला संयुक्त राष्ट्र का सर्वोच्च पर्यावरण पुरस्कार

Purnima Devi Barman को संयुक्त राष्ट्र का सर्वोच्च पर्यावरण पुरस्कार मिला है। जानिए उनके बारे में।

 
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Purnima Devi Barman: पर्यावरण क्षेत्र के लिए काम करने वाले लोगों को समय-समय पर अलग-अलग अवार्ड से नवाजा जाता है। हाल ही में भारत की डॉ पूर्णिमा देवी बर्मन को भी संयुक्त राष्ट्र के सर्वोच्च पर्यावरण अवार्ड से नवाजा गया है। इसी वजह से इस समय उनके बारे में हर प्लेटफॉर्म पर चर्चाएं हो रही हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में।

कौन हैं पूर्णिमा देवी बर्मन? (Who is Purnima Devi Barman)

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  • पूर्णिमा देवी बर्मन का जिक्र कई बार पर्यावरण क्षेत्र से जुड़े काम को करने के लिए सामने आ चुके हैं। वह लगातार असम में वाइल्ड लाइफ बायोलॉजिस्ट के रूप में सारस को बचाने के लिए काम कर रही हैं।
  • पक्षियों के लिए उनका प्यार 5 साल की उम्र से ही शुरू हो गया था क्योंकि वह जब से ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे अपने दादा-दादी से साथ जाने लग गई थी।
  • खास बात यह थी उनके दादा भी एक किसान थे जिन्होंने पूर्णिमा को इस क्षेत्र में काम करने के लिए प्रेरित किया। पूर्णिमा देवी बर्मन ने जूलॉजी में मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद पीएचडी शुरू की थी।

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बनीं 'चैंपियंस ऑफ द अर्थ'

पूर्णिमा देवी बर्मन को जिस अवार्ड से नवाजा गया है उसे 'चैंपियंस ऑफ द अर्थ' अवार्ड से नवाजा गया है। यह संयुक्त राष्ट्र का सबसे बड़ा पर्यावरण पुरस्कार है।

मिल चुके हैं कई और अवार्ड

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पूर्णिमा देवी को संयुक्त राष्ट्र का सर्वोच्च पर्यावरण पुरस्कार के अलावा 2017 राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार भी मिल चुका हैं। यूनाइटेड किंगडम की राजकुमारी ने भी उन्हें व्हिटली पुरस्कार दिया जिसे लोग ग्रीन ऑस्कर के नाम से भी जानते हैं।

सारस को बचाना क्यों है जरूरी

पूर्णिमा देवी बर्मन लगातार सारस को बचाने का काम कर रही हैं। पर प्रश्न यह है कि सारस को बचाना क्यों है जरूरी। कारण है लगातार कम हो रहे सारस के नंबर। बहुत से पक्षियों की तादाद तेजी से कम हो रही है जिसमें से सारस भी एक है इसलिए पूर्णिमा देवी का काम बहुत सराहनीय है।

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Photo Credit: Twitter

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