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Kartik Purnima 2025 Kab Hai: 4 या 5 नवंबर,  कब है कार्तिक पूर्णिमा? जानें सही तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त

Kartik Purnima Kab Hai 2025: कार्तिक पूर्णिमा 2025 कब है? जानें 4 या 5 नवंबर में कौन-सी तिथि शुभ है। इस दिन का महत्व, पूजा का शुभ मुहूर्त, व्रत का समय और देव दिवाली का धार्मिक कारण पढ़ें। पंडित मनीष शर्मा के अनुसार 5 नवंबर 2025 को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाएगी।
Editorial
Updated:- 2025-11-03, 11:47 IST

हिंदू धर्मग्रंथें में साल भर में कई पूर्णिमा आती हैं, मगर कार्तिक पूर्णिमा का अपना अलग ही महत्व बताया गया है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली का त्योहार भी आता है और इसे पूरे भारतवर्ष में धूमधाम से मनाया जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कई कथाएं जुड़ी हुई हैं, मगर सबसे चर्चित कथा यह है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के दैत्य से देवों की रक्षा की थी और इसी वजह दे देव लोक में सभी देवताओं ने मिलकर देव दिवाली मनाई थी।

वर्ष 2025 में कार्तिक पूर्णिमा 4 नवंबर या 5 नवंबर, कब पड़ रही है? इसे लेकर लोग दुविधा में हैं। इसलिए हमने मध्य प्रदेश, उज्जैन के पंडित एवं ज्योतिषाचार्य मनीष शर्मा से बात की। वह कहते हैं, " कार्तिक पूर्णिमा के प्रदोष काल को सबसे ज्यादा शुभ माना गया है और यह समय 5 नवंबर 2025 को होगा, इसलिए कार्तिक पूर्णिमा भी तब ही मनाई जाएगी।"

पंडित मनीष शर्मा लेख में आगे बताते हैं, कि कार्तिक पूर्णिमा कब से शुरू होकर कब खत्म हो रही है और पूजा के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त क्या होगा।

कब है कार्तिक पूर्णिमा? (Kartik Purnima Kab Hai 2025)

हिंदी पंचांग के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा 4 नवंबर को 10:35 मिनट पर शुरू हो जाएगी और 5 नवंबर की शाम 7:50 मिनट तक रहेगी। ऐसे में 5 नवंबर को  उदया तिथि मानी जाएगी और कार्तिक पूर्णिमा के लिए व्रत और पूजा भी इस दिन करना सही रहेगा।

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Kartik Purnima importance

कार्तिक पूर्णिमा पर पूजा का शुभ मुहूर्त (Kartik Purnima Shubh Muhurat 2025)

कार्तिक पूर्णिमा के दिन आप ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:15) से रख सकती हैं। पूजा करने के लिए सबसे अच्‍छा समय प्रदोष काल होता है। इसके लिए आप 5 नवंबर 5:15 से लेकर 6:48 मिनट तक कार्तिक पूर्णिमा की पूजा कर सकती हैं।

कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक महत्व (kartik Purnima Significance)

कार्तिक पूर्णिमा का दिन बहुत ज्यादा विशेष होता है क्योंकि इस दिन महादेव और भगवान विष्णु दोनों की ही पूजा की जाती हैं। बहुत से घरों में इस दिन को भी दिवाली जैसा मनाया जाता है। पंडित मनीष शर्मा कहते हैं, " जिन घरों में दिवाली वाले दिन गणेश-लक्ष्‍मी पूजन नहीं हो पाता है या फिर जिनकी दिवाली शुद्ध नहीं होती है, वे लोग देव दिवाली वाले दिन घर में पूजा पाठ, गणेश-लक्ष्‍मी पूजन कर सकते हैं। इस दिन भी घर को दीपों से सजाया जाता है। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा को देव दिवाली भी कहा जाता है। इस दिन चंद्र देव की पूजा करना भी फलदायक होता है।"

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