जाह्नवी कपूर की अगली फिल्म जल्द ही नेटफ्लिक्स में रिलीज होने वाली है। ये फिल्म है एयरफोर्स महिला पायलट गुंजन सक्सेना की बायोपिक। गुंजन को कार्गिल की हिरोइन भी कहा जाता है। वो इसलिए क्योंकि ये एकलौती ऐसी महिला थीं जो बतौर पायलट कारगिल युद्ध में शामिल हुई थीं। पहले तो जाह्नवी की फिल्म 24 अप्रैल 2020 को रिलीज होने वाली थी, लेकिन कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते इसे अब नेटफ्लिक्स पर रिलीज किया जाएगा। इस फिल्म के प्रमोशन के लिए एक शॉर्ट वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर किया गया है। जाह्नवी कपूर ने इस वीडियो को शेयर करते हुए ये न्यूज कंफर्म की है कि गुंजन सक्सेना की जीवनी पर आधारित फिल्म 'गुंजन सक्सेना- द कारगिल गर्ल' नेटफ्लिक्स पर रिलीज होगी। धर्मा प्रोडक्ट्स बैनर तले बनी इस फिल्म के बारे में बात करते हुए जाह्नवी ने कहा कि ये सिर्फ एक फिल्म नहीं बल्कि ये मेरा एक सफर था जिसने मुझे काफी कुछ सिखा दिया।
जाह्नवी ने इस वीडियो को अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर किया है।
जहां बात गुंजन सक्सेना की चल रही है तो चलिए जान लेते हैं कि उनकी कहानी क्या है और आखिर कैसे उन्होंने अपना पराक्रम कारगिल की रणभूमि पर दिखाया।
1999 यानी वो साल जब कारगिल में युद्ध छिड़ा था। ये वो दौर था जब भारतीय सेना के जवानों ने अपने देश के लिए जान न्योछावर करने से पहले एक बार भी नहीं सोचा। कई जवान जख्मी हुई, कई शहीद हुए और जो बचे उनके बलिदान को भी कम नहीं समझा जा सकता है। वो भी पूरी हिम्मत से लड़े। जहां कारगिल के कई जवानों की हिम्मत की कहानी आपने सुनी होगी, वहीं आज आपको बताते हैं कारगिल युद्ध के दौरान हिम्मत दिखाकर चीता हेलिकॉप्टर उड़ाने वाली एकलौती महिला पायलट गुंजन सक्सेना के बारे में।
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25 साल की पायलट और हिम्मत के मामले में सबसे आगे-
जिस समय की ये बात है तब गुंजन सक्सेना सिर्फ 25 साल की थीं। दुबली-पतली, सरल शब्दों में बोलने वाली गुंजन उस समय उधमपुर में 132 Forward Area Control (FAC) फ्लाइट के लिए पोस्टेड थीं। इसके बाद उन्हें ऑर्डर मिला तुरंत श्रीनगर जाने का। उस समय कारगिल युद्ध की शुरुआत हुई थी और किसी को पता नहीं था कि ये कितना बड़ा युद्ध हो सकता है। उस समय श्रीनगर में भारतीय सेना के 4 हेलिकॉप्टर मौजूद थे और गुंजन 10 पायलट में से एक जो उस बेस पर थीं।
लोगों के विरोध के बाद भी टिकी रहीं-
गुंजन जह शुरुआत में वहां थीं तब काफी समस्याएं हुईं। उन्हें शुरुआती ब्रीफिंग के दौरान ही ये समझ आ गया। वो पूरी पल्टन में अकेली महिला थीं। पर धीरे-धीरे पुरुषों को भी इसकी आदत पड़ गई। उसके बाद विवाद तब शुरू होते थे जब असाइनमेंट देने की बारी आती थी। गुंजन से पूछा जाता था कि क्या वो किसी असाइनमेंट को नहीं करना चाहती हैं क्योंकि वो ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं, लेकिन गुंजन टिकी रहती थीं। वो हर इलाके में उड़ान भरने को तैयार रहती थीं चाहें वो कितना ही खतरनाक क्यों न हो। Kargil–Tololing–Batalik इलाके में लड़ाई के बीचों-बीच गुंजन उड़ान भरती थीं और जगह की रिपोर्टिंग करती थीं। साथ ही, गोलीबारी के बीच कई बार राउंड लगाती थीं।
परिवार की चिंता और विश्वास-
गुंजन भारतीय आर्मी से जुड़े परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता लेफ्ट. कर्नल ए.के. सक्सेना (रिटयर्ड) को इसके बारे में पता चला। दरअसल, गुंजन के बारे में ये पता था कि वो उधमपुर में हैं और वो कई दिनों तक फोन नहीं कर पाएंगी। क्योंकि गुंजन के पिता खुद एक आर्मी अफसर थे तो उन्होंने बेटी के काम में दखल नहीं दिया। श्रीनगर जाने से पहले गुंजन ने उन्हें फोन किया और बताया। किसी भी माता-पिता का परेशान होना जायज है, उनकी बेटी युद्ध के बीच में जा रही थी। उस समय उन्हें समझ आया कि उनकी बेटी की जिंदगी खतरे में है, लेकिन आर्मी परिवार से होने के कारण गुंजन को ज्यादा समस्या नहीं हुई और परिवार ने भी गुंजन को कुछ न कहा।
जख्मी सिपाहियों की मदद-
गुंजन ने अपने ऑपरेशन में सिर्फ रिपोर्टिंग नहीं की बल्कि कई बार 13000 फिट की ऊंचाई पर बनाए गए टेम्प्रेरी हेलिपैड पर हेलिकॉप्टर उतार कर जख्मी सिपाहियों की मदद भी की। उस जगह पर हेलिकॉप्टर उतारना किसी नौसिखिए का काम नहीं था। उस समय पायलटों को बहुत सावधान रहना होता था क्योंकि गोलीबारी के बीच उनका हेलिकॉप्टर मार गिराया जा सकता था। चीता हेलिकॉप्टर बेहतरीन था, लेकिन दुश्मन की गोली से बच नहीं सकता था। गुंजन के साथ भी ये एक बार हुआ जब दुश्मन की मिसाइल उनके हेलिकॉप्टर को निशाना बचाने से चूक गई। इसी के साथ, गुंजन हेलिकॉप्टर की मदद से दवाएं, खाना और अन्य जरूरी सामान भी पहुंचाती थीं। गुंजन ने 20 दिनों में ऐसे 10 मिशन किए उसके बाद सेना ने छोटे हेलिकॉप्टर हटाकर फाइटर हेलिकॉप्टर लगा दिए।
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फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन कुछ ही सालों में भारतीय एयर फोर्स से रिटायर हो गईं क्योंकि उस समय परमानेंट कमीशन का कोई नियम नहीं था। अब आखिरकार गुंजन की हिम्मत की कहानी सभी को दिखाई जाएगी।
कुछ ऐसा होगा बायोपिक में जाह्नवी का लुक-
जब इस फिल्म की शूटिंग हो रही थी तब जाह्नवी कपूर का लुक वायरल हुआ था। सोशल मीडिया पर ये तस्वीर आम हो गई थी। अब जब फिल्म कुछ ही दिनों में रिलीज होने वाली है तो एक बार जाह्नवी का लुक भी देख लीजिए।
जाह्नवी ने इस फिल्म की शूटिंग के लिए कई दिनों तक खास ट्रेनिंग भी ली थी। अब कारगिल की हिरोइन के बारे में जानकारी देने का इससे अच्छा तरीका नहीं हो सकता है। गुंजन सक्सेना फिल्म का हमें इंतज़ार है।
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