भारत कोकिला के नाम से विख्यात सरोजिनी नायडू ने भारत के लिए कई संघर्ष करते हुए महत्त्वपूर्ण योगदान दिए। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा दिया। आइए आज उनके जन्म दिवस की 140 वीं जयंती पर उन्हें याद करते हुए जानें उनसे जुड़ी कुछ बातें और उनके संघर्ष की कहानी।
प्रारंभिक जीवन
सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था। उनके पिता घोरनाथ चट्टोपाध्याय एक नामी वैज्ञानिक और शिक्षाशास्त्री थे तथा उनकी माता वरदा सुंदरी एक कवयित्री थीं। उनकी माता बांग्ला भाषा में कविताएं लिखती थीं। उनके पिता हैदराबाद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख सदस्य थे और उन्होंने हैदराबाद के निज़ाम कॉलेज की स्थापना की थी। सरोजिनी आठ भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं और बचपन से ही होनहार छात्रा थीं। 12 साल की उम्र में ही उन्होंने 10 वीं की परीक्षा पास कर ली थी। 13 वर्ष की आयु में सरोजिनी ने "लेडी ऑफ दी लेक" नामक कविता रची। सरोजिनी नायडू भी अपनी माता की तरह कविताएं लिखा करती थीं और उनकी कविताओं से प्रभावित होकर उन्हें हैदराबाद के निज़ाम ने विदेश में पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति दी और उन्होंने किंग कॉलेज लंदन में दाखिला लिया। लंदन में पढ़ाई के साथ-साथ कविताएँ भी लिखती रहीं। "गोल्डन थ्रैशोल्ड" उनका पहला कविता संग्रह था। उनके दूसरे तथा तीसरे कविता संग्रह " बर्ड ऑफ टाइम " तथा " ब्रोकन विंग" ने उन्हें एक सुप्रसिद्ध कवयित्री बना दिया।
इसे जरूर पढ़ें:भारतीय राजकुमारी नूर इनायत जो ऐशो-आराम छोड़कर बन गई थीं जासूस, ड्यूटी पर ही गंवाई थी जान
वैवाहिक जीवन
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद सरोजिनी ने 19 साल की उम्र में सरोजिनी नायडू ने डॉ गोविंदराजुलू से विवाह कर लिया। डॉ गोविंदराजुलू गैर ब्राह्मण परिवार से थे जबकि सरोजिनी एक ब्राह्मण थीं। उन्होंने अंर्तजातीय विवाह किया जो कि उस दौर में मान्य नहीं था, लेकिन उनके पिता ने उनका पूरा सहयोग किया था। उनका वैवाहिक जीवन सुखमय रहा और उनके चार बच्चे भी हुए- जयसूर्या, पदमज, रणधीर और लीलामणि।
Recommended Video
आजादी के लिए संघर्ष
- वर्ष 1905 में बंगाल विभाजन के दौरान वो भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हुईं। इस आंदोलन के दौरान वो गोपाल कृष्ण गोखले, रवींद्रनाथ टैगोर, मोहम्मद अली जिन्ना, एनी बेसेंट, सीपी रामा स्वामी अय्यर, गांधीजी और जवाहर लाल नेहरू से मिलीं।
- भारत में महिला सशक्तिकरण और महिला अधिकार के लिए भी उन्होंने आवाज उठायी। उन्होंने राज्य स्तर से लेकर छोटे शहरों तक हर जगह महिलाओं को जागरूक किया।
- साल 2020 में सरोजिनी नायडू ने गाँधी जी के साथ असहयोग आंदोलन में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।
- 1924 में उन्होंने पूर्वी अफ्रीका और दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के हित में यात्रा की और अगले वर्ष 1925 में वो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गईं। सरोजिनी नायडू ने 1928 में कांग्रेस आंदोलन पर व्याख्यान देते हुए उत्तरी अमेरिका का दौरा किया।
- साल 1930 में गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया जिसमें सरोजिनी ने हिस्सा लिया और गांधी जी के साथ जेल गईं। साल 1931 के लिए गोलमेज सम्मेलन के अनिर्णायक दूसरे सत्र के लिए वो गांधी के साथ लंदन गईं। वर्ष 1942 के ̔भारत छोड़ो आंदोलन ̕ में भी उन्हें 21 महीने के लिए जेल जाना पड़ा।
क्यों मिली भारत कोकिला की उपाधि
गांधी जी से सरोजिनी नायडू के मित्रवत सम्बन्ध थे और गांधी जी ने उनके भाषणों और प्रतिभा से प्रभावित होकर उन्हें ‘भारत कोकिला’ की उपाधि दी थी। अपने पत्रों में गाँधी जी उन्हें कभी-कभी ‘डियर बुलबुल’,’डियर मीराबाई’ और कभी ‘मदर’ कहकर संबोधित करते थे।
भारत की पहली राजयपाल
स्वतंत्रता के बाद 1947 में वह संयुक्त प्रांत जिसका नाम अब अब उत्तर प्रदेश है, की राज्यपाल बनीं। सरोजिनी भारत की पहली महिला राज्यपाल थीं। उत्तर प्रदेश का राज्यपाल घोषित होने के बाद वो लखनऊ में ही बस गयीं। उनकी मृत्यु 2 मार्च 1949 को दिल का दौरा पड़ने से लखनऊ में हुई।
My tributes to the ‘Nightingale of India’, #SarojiniNaidu Ji on her birth anniversary today. She was an eminent freedom fighter, distinguished scholar, gifted orator and a celebrated poetess. Her contribution to the uplift and emancipation of women will be always remembered. pic.twitter.com/1bKf9K3edr
— Vice President of India (@VPSecretariat) February 13, 2021
सरोजिनी नायडू के महिलाओं और देश के लिए योगदान को उनके जन्म दिवस पर याद करते हुए हम सभी को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।
अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit: wikipedia