भारतीय महिलाएं हमेशा से हर एक क्षेत्र में अपना परचम फहराने में सफल रही हैं। किसी भी क्षेत्र में हमेशा अपना अलग स्थान बनाना भारतीय महिलाओं की खूबी है। खेलों में भी महिलाएं पुरुषों से आगे बढ़कर हिस्सा लेती हैं। ऐसा ही एक उदाहरण प्रस्तुत किया है भारतीय तीरंदाज़ दीपिका कुमारी ने। पेरिस में तीरंदाजी विश्व कप चरण 3 में तिहरा स्वर्ण पदक जीतने के बाद दीपिका कुमारी विश्व की नंबर एक तीरंदाज बन गई हैं।
दीपिका कुमारी ने अपने प्रशंसनीय कृत्यों से भारतीय तीरंदाज़ों का प्रतिनिधित्व करते हुए आने वाली पीढ़ी का मार्गदर्शन सुनिश्चित किया है। आइए जानें उनके जीवन से जुड़ी कुछ ख़ास बातों और उनकी उपलब्धियों के बारे में।
प्रारंभिक जीवन
दीपिका कुमारी का जन्म 13 जून, 1994 को झारखंड के रांची जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम शिवनारायण महतो और माता का नाम गीता महतो है। उनके पिता एक ऑटो चालक थे और माता नर्स थीं। तीरंदाज़ी का खेल दीपिका को बचपन से ही अपनी ओर आकर्षित करता था और वो पेड़ में लगे आमों को पत्थर से गिराती थीं। जैसे बचपन में आम पर निशाना लगाना उनका लक्ष्य होता था वैसे ही वो हमेशा अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहीं और अपनी अलग जगह बनाने में कामयाब रहीं। दीपिका एक निर्धन परिवार से ताल्लुक रखती थीं और एक ऐसे गांव में रहती थीं जहां आज भी बिजली और पानी नहीं है। ऐसी जगह से आगे बढ़कर तीरंदाज़ी में मुकाम हासिल करना वास्तव में एक उदाहरण है।
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कैसे की तीरंदाज़ी की शुरुआत
एक निर्धन परिवार से होने की वजह से शुरुआत में वह बांस के डंडों से धनुष और तीर बनाकर निशाना लगाती थीं। बाद में टाटा तीरंदाज़ी अकादमी में ट्रेनिंग ले रही अपनी चचेरी बहन विद्या कुमारी की मदद से उन्हें सही राह मिल गई। अकादमी में अपनी प्रतिभा को निखारने के बाद उन्होंने 2009 में कैडेट विश्व चैंपियनशिप जीती। उसी वर्ष उन्होंने अमेरिका के ओग्डेन में 11वीं युवा विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप भी जीती। राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता ने साल 2010 में ही कई अन्य बड़ी तीरंदाज़ी स्पर्धाओं में भी अनगिनत पदक जीते। उनके इन्हीं शानदार प्रदर्शनों के चलते उनकी प्रतिभा को अर्जुन अवार्ड और पद्मश्री जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
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दीपिका की उपलब्धियां
अगर दीपिका की उपलब्धियों की बात की जाए तो, दीपिका को तीरंदाजी में पहला मौका 2005 में मिला जब उन्होने पहली बार अर्जुन आर्चरी अकादमी ज्वाइन की। यह अकादमी झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा ने खरसावां में शुरू की थी। तीरंदाजी में उनके प्रोफेशनल करियर की शुरुआत 2006 में टाटा तीरंदाजी अकादमी से हुई। उन्होने इस अकादमी में तीरंदाजी के दांव- पेंच सीखे और अपना परचम फहराती गयीं।
नवीनतम उपलब्धियां
पेरिस में तीरंदाजी विश्व कप चरण 3 में स्वर्ण पदक की हैट्रिक हासिल करने के बाद, भारत की दीपिका कुमारी नई रैंकिंग की घोषणा होने पर महिलाओं के बीच शीर्ष क्रम की तीरंदाज बनने के लिए तैयार हैं। दीपिका कुमारी ने हाल ही में रिकर्व महिला टीम, रिकर्व मिश्रित टीम और महिला व्यक्तिगत रिकर्व स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीते और शानदार प्रदर्शन किया है। विश्व तीरंदाजी के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर दीपिका द्वारा हैट -ट्रिक पूरी करने की उपलब्धि के बारे में लिखा गया है। बहुत जल्दी ही ये उपलब्धि दीपिका को विश्व रैंकिंग में नंबर एक स्थान पर ले जाने वाली है। दीपिका ने रूस की एलेना ओसिपोवा को सीधे सेटों में हराकर महिला और मिश्रित टीम खिताब के साथ तीसरा खिताब अपने नाम किया है।
Three gold medals. 🥇🥇🥇
— World Archery (@worldarchery) June 27, 2021
Three winning shots.
Deepika Kumari is in the form of her life. 🇮🇳🔥#ArcheryWorldCuppic.twitter.com/bMdvvGRS6i
तीरंदाजी जैसे खेल में अपना झंडा फहराने वाली दीपिका कुमारी वास्तव में हम सभी को प्रेरणा देती हैं और महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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Image Credit: instagram.com Kumari Deepika @dkumari.archer and twitter world archery
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