दिल में हौसला और कुछ कर गुजरने की चाह किसी भी व्यक्ति को उन्नति की बुलंदियों तक पहुंचा सकती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया भारतीय महिला नौका चालक नेत्रा कुमानन ने, जिन्होंने ओलंपिक्स की होड़ में अपना नाम दर्ज करके एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। कुछ लोग ऐसे सपने देखते हैं जिन्हें पूरा करने के लिए वो पूरी मेहनत करते हैं और मुकाम हासिल कर लेते हैं। ऐसे ही लोगों में से एक नेत्रा कुमानन वास्तव में ऐसे ही सपनों को साकार करने में सफल रहीं। आइए जानें कौन हैं नेत्रा कुमानन और उनसे जुड़ी कुछ बातें।
कौन हैं नेत्रा कुमानन
नेत्रा का जन्म 21 अगस्त, 1997 को हुआ था। नेत्रा को सेलिंग एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक ग्रीष्मकालीन शिविर के दौरान नौकायन केलिए बुलाया गया था और नौका चालन जल्द ही उनके जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया। नेत्रा चेन्नई के एसआरएम कॉलेज में इंजीनियरिंग की छात्रा हैं, उन्होंने दो बार राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीती है और दो अन्य अवसरों पर उपविजेता रही हैं। नेत्रा के पिता कुमाना एक आईटी कंपनी चलाते हैं।
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ओलिंपिक के लिए हुईं क्वालिफाई
वैसे तो सामान्य रूप से किसी खेल का हिस्सा होना या जीतना ज्यादा मुश्किल काम नहीं है लेकिन ओलंपिक के लिए ‘क्वालिफाई’ करना अपने आप में बहुत मुश्किल काम होता है। खासतौर पर नौकायान जैसे कम प्रचलित और खर्चीले खेल में स्थान हासिल करना और फिर दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित खेल में देश का प्रतिनिधित्व करने का गौरव हासिल कर लेना वास्तव में नेत्रा की कड़ी मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति की एक मिसाल है।
नौकायन में क्वालिफाई पहली महिला
ओलंपिक की नौकायन प्रतिस्पर्धा में पहली बार ऐसा हुआ है जब एक महिला ने अपनी प्रतिभा के दम पर और कड़ी मेहनत से अपने प्रतिद्वंद्वियों से मुकाबला करके बेहतर प्रदर्शन कर यह स्थान हासिल किया है। 2014 और 2018 के एशियाई खेलों में भाग लेने के बाद पिछले साल विश्व कप में कांस्य पदक जीतने वाली नेत्रा ने अपने लिए खुद ही यह मुश्किल लक्ष्य निर्धारित किया है, वरना 12 साल की उम्र तक तो वह टेनिस, साइक्लिंग और बास्केटबॉल जैसे खेलों के साथ-साथ भरतनाट्यम नृत्य के क्षेत्र में कुछ करने का इरादा रखती थीं, लेकिन नौकायन से जुड़ने के बाद उन्होंने अपना इरादा और मंजिल दोनों बदल दिए और एक ऐसा मुकाम हासिल किया जिस पर सभी भारतियों को गर्व है। नेत्रा ने हाल ही में ओमान में एशियाई ‘क्वालीफायर’ की ‘लेजर रेडियल’ स्पर्धा में शीर्ष स्थान पर रहकर ओलंपिक टिकट हासिल कर अपनी मंजिल की तरफ पहला कदम उठाया।
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टीम का मिला सपोर्ट
नेत्रा के पास सपोर्ट स्टाफ की एक पूरी टीम है, जो विशेष रूप से ओलंपिक की तैयारी में उनकी मदद कर रही है। वास्तव में 23 साल की छोटी सी उम्र में ओलंपिक के लिए अर्हता प्राप्त करना वास्तव में अभूतपूर्व है। लेकिन टीम के पूरे सपोर्ट के साथ नेत्रा ने बड़ा मुकाम हासिल किया है।
क्या कहती हैं नेत्रा
नेत्रा ने एक मीडिया इंटरव्यू में कहा कि यह उनका पहला ओलम्पिक है और वो इसमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश करेंगी। यह 2024 में पेरिस में शीर्ष खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की ओर उनका पहला कदम है। नेत्रा अपनी इस प्रारंभिक सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देती हैं। नेत्रा का कहना है, कि वो आज जो कुछ भी हैं उसमें उनके माता -पिता का बड़ा योगदान रहा है। उनके पिता ने सबसे ज्यादा नेत्रा को सपोर्ट किया है।
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Image Credit:instagram.com @nethrakumanan
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