क्या आपको अचानक होने लगी है दूध से एलर्जी, डॉक्टर से जानें क्या हो सकते हैं कारण

कई लोग अचानक दूध पीने के बाद पेट में दर्द की शिकायत करते हैं। महिलाओं को भी डेयरी प्रोडक्ट्स खाने के बाद पेट में मरोड़ और ब्लोटिंग की समस्या हो सकती है। क्या आपने की सोचा है कि ऐसे अचानक आपको डेयरी प्रोडक्ट्स से एलर्जी क्यों होने लगती है? चलिए इस लेख में जानें।
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कहा जाता है कि दूध और उससे बने प्रोडक्ट्स हमारी सेहत के लिए अच्छे होते हैं। यह हमारे शरीर को जरूरी न्यूट्रिशन प्रदान करते हैं। लेकिन क्या हो अगर अचानक वही दूध आपकी सेहत का दुश्मन बन जाए? क्या आपने हाल ही में गौर किया है कि दूध पीने के बाद पेट में मरोड़, गैस, डायरिया या सूजन जैसी समस्याएं होने लगी हैं?

अगर हां, तो हो सकता है कि आप लैक्टोज इन्टॉलरेंट हो गए हों। अब आप सोचेंगी कि 14-15 साल डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करने से कुछ नहीं हुआ फिर यह अचानकर इससे एलर्जी कैसे हो सकती है?

दरअसल, यह एक आम स्थिति है, जिसमें शरीर दूध में मौजूद प्राकृतिक शुगर लैक्टोज को पचाने में असमर्थ हो जाता है। अधिकतर लोग सोचते हैं कि लैक्टोज इन्टॉलरेंस सिर्फ बचपन या किशोरावस्था में होती है, लेकिन हकीकत ये है कि यह किसी भी उम्र में अचानक विकसित हो सकती है।

क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? क्या ये कोई बीमारी है या लाइफस्टाइल से जुड़ा मुद्दा? इस लेख में हमने मैक्स हॉस्पिटल की सीनियर डाइटीशियन सीमा सिंह से यह जानने की कोशिश की है। आइए आप भी विस्तार से इस समस्या के बारे में जानें।

लैक्टोज इन्टॉलरेंस क्या है?

लैक्टोज एक प्राकृतिक शुगर है जो दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स में पाया जाता है। हमारे शरीर में एक एंजाइम होता है जिसे लैक्टेज कहा जाता है। यही एंजाइम लैक्टोज को ग्लूकोज और गैलेक्टोज में तोड़ने में मदद करता है, ताकि वह आसानी से पच सके।

what is lactose intolerance

जब शरीर में लैक्टेज की मात्रा कम हो जाती है या वह ठीक से काम नहीं करता, तो लैक्टोज सीधे बड़ी आंत में चला जाता है और वहीं पर गैस, मरोड़, सूजन और डायरिया जैसे लक्षण उत्पन्न करता है। यही स्थिति लैक्टोज इन्टॉलरेंस कहलाती है।

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अचानक लैक्टोज इन्टॉलरेंस की समस्या क्यों हो जाती है?

अचानक दूध से एलर्जी होने को सेकेंडरी लैक्टोज इन्टॉलरेंस भी कहा जाता है। ऐसा तब होता है जब छोटी आंत की लैक्टेज उत्पादन करने की क्षमता खत्म हो जाती है। इसके अलावा ऐसी कई वजहें जिससे यह हो सकता है-

1. उम्र बढ़ना:

जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर में लैक्टेज एंजाइम का निर्माण धीरे-धीरे कम होने लगता है। इसलिए कई लोग 30 या 40 की उम्र में अचानक डेयरी प्रोडक्ट्स के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।

2. पाचन तंत्र से जुड़ी बीमारियां:

lactose intolerance casue digestion issues

अगर किसी को इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (IBD), सेलिएक डिजीज, या गैस्ट्रोएंटेराइटिस जैसी पाचन संबंधी समस्याएं होती हैं, तो उससे लैक्टेज का उत्पादन करने वाले सेल्स प्रभावित हो सकते हैं।

3. सर्जरी या चोट:

यदि आपकी छोटी आंत पर कोई सर्जरी हुई है या उसे कोई चोट पहुंची है, तो इससे लैक्टेज-प्रोडक्शन कम हो सकता है। इसके साथ ही, कुछ एंटीबायोटिक्स आंत के हेल्दी बैक्टीरिया को प्रभावित करते हैं, जिससे लैक्टेज एंजाइम की क्रिया धीमी हो सकती है।

वहीं, कुछ लोगों में यह स्थिति आनुवंशिक होती है और यह धीरे-धीरे समय के साथ एक्टिव हो सकती है।

क्या हैं लैक्टोज इंटॉलरेंस के मुख्य लक्षण?

  • दूध पीने के 30 मिनट से 2 घंटे के अंदर पेट दर्द या मरोड़ होना
  • अत्यधिक गैस बनना
  • डायरिया या पतला मल
  • पेट फूलना या भारीपन
  • मतली या उल्टी करने जैसा महसूस करना

लैक्टोज इंटॉलरेंस का डायग्नोसिस कैसे होता है?

अगर आपके पेट में गैस ज्यादा बनती है या पेट में अक्सर दर्द होता है, तो डॉक्टर्स कुछ टेस्ट कर सकते हैं-

how to diagnose lactose intolerance

लैक्टोज टॉलरेंस टेस्ट- इसमें मरीज को दूध पिलाकर उसका ब्लड शुगर लेवल जांचा जाता है।

हाइड्रोजन ब्रीथ टेस्ट- जब लैक्टोज पचता है, तो सांस में हाइड्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है। लैक्टोज एलर्जी जांचने के लिए यह हाइड्रोजन ब्रीथ टेस्ट किया जाता है।

लैक्टोज इंटॉलरेंस का क्या है बचाव?

1. लैक्टोज-फ्री डाइट लें:

यदि आप लैक्टोज इन्टॉलरेंट हैं, तो सबसे पहला कदम है अपनी डाइट से लैक्टोज युक्त चीजों को हटा दें। आप लैक्टोज-फ्री दूध का सेवन कर सकती हैं। लैक्टोज-फ्री दही और पनीर का सेवन कर सकती हैं। इनका स्वाद और टेक्सचर सामान्य डेयरी प्रोडक्ट्स जैसा ही होता है, लेकिन उनमें लैक्टोज नहीं होता।

2. प्लांट-बेस्ड विकल्प अपनाएं:

जिन्हें दूध की पूरी तरह से एलर्जी हो या वे पूरी तरह डेयरी फ्री लाइफस्टाइल अपनाना चाहते हैं, उनके लिए प्लांट-बेस्ड मिल्क बेहतरीन विकल्प हैं। आप बादाम, सोया, ओट या नारियल का दूध ले सकती हैं। इनमें कैलोरी कम होती है और यह नेचुरली मीठे होते हैं। ये सभी विकल्प लैक्टोज-फ्री होते हैं और विटामिन-डी, B12, कैल्शियम आदि से फोर्टिफाइड मिलते हैं, जिससे पोषण भी पूरा होता है।

इसे भी पढ़ें: आखिर दूध पीने से क्यों होती है गैस और ब्लोटिंग?

3. प्रोबायोटिक्स का सेवन करें:

लैक्टोज इन्टॉलरेंस की स्थिति में आंतों की सेहत को बनाए रखना बहुत जरूरी होता है। ऐसे में प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थ पाचन में सहायता करते हैं और लैक्टोज पचाने की शरीर की क्षमता बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। आप दही का सेवन कर सकती हैं। इसमें नेचुरल प्रोबायोटिक्स होते हैं जो लैक्टोज को पहले ही ब्रेक कर देते हैं, इसलिए ये कई बार इन्टॉलरेंस वालों को भी सूट करता है।

कांजी एक फर्मेन्टेड इंडियन ड्रिंक है, जो पाचन तंत्र के लिए रामबाण है। इसी तरह कोरियन किमची और सॉरक्राउट जैसे खाद्य पदार्थ आंतों को मजबूत करते हैं।

यदि आपको भी ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है ताकि सही जांच और उपचार हो सके। हमें उम्मीद है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। इसे लाइक और शेयर करना न भूलें। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।

Image Credit: Freepik

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